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Shishukunj

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Wednesday, December 21, 2022

श्रीसम्मेद शिखर को तीर्थस्थल बनाए जाने के विरोध में बंद का रहा आह्वान, लोगों ने बंद रखी दुकानें


शिवपुरी।
जैन समाज के 20 तीर्थंकरों एवं अनंत मुनिराजों की निर्वाण भूमि शाश्वत तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर जी को झारखंड सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरुद्ध देश भर में जैन समाज शांतिपूर्वक आंदोलन कर रही है। विश्व भर की जैन समाज की मांग है कि इस सिद्ध भूमि को पर्यटक स्थल अधिसूचित सम्बन्धी आदेश शीघ्र वापिस लिया जाए और इसे पूर्णत: पावन पवित्र स्थल घोषित किया जाए। इसी क्रम में शिवपुरी जिले में भी 21 दिसंबर को बंद का आह्वान जैन समाज द्वारा किया गया था। 

इसी क्रम में आज शिवपुरी शहर में जैन बंधुओं ने शिवपुरी शहर में खुल रही दुकानों को बंद कराया। आज बंद का असर बाजार में देखने को मिला। जैन समाज के लोग सुबह 9 बजे गुरुद्वारा चौक पर एकत्रित हुए और 7 से 8 ग्रुप बनाकर शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में रैली के रूप में निकले। जैन बंधुओ ने जो दुकानें खुल रही थी उनसे हाथ जोड़कर मुनिराज पर्वत के लिए समर्थन मांगा। जो दुकानें खुल रही थी अपने हाथो से बंद कराई। जैन समाज के लोग बाजार बंद कराने शहर की सड़क पर घूम रहे थे। हालांकि देर शाम तक सोशल मीडिया पर संदेश आया कि झारखण्ड सरकार के द्वारा श्रीसम्मेद शिखर को दिया गया पर्यटन का दर्जा बदलते हुए पुन: तीर्थस्थल के रूप में ही घोषित किया गया है इस संदेश के बाद जैन समाज में हर्ष की लहर व्याप्त हो गई।

खतौरा में जैन समाज का आंदोलन, बाजार बंद रखकर, सौंपा ज्ञापन

जैन समाज के तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में खतौरा में जैन समाज ने रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया है। इसमे जैन समाज के साथ अग्रवाल समाज ने भी अपना पूरा समर्थन देकर रैली में शामिल हुये एवं अपने प्रतिष्ठान भी बंद रखे। रैली में महिलो पुरूषों के साथ बच्चे हाथ में विरोध की तख्तियाँ लेकर चल रहे थे। नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए समाज जन ने पुलिस सहायता केन्द्र पर थाना प्रभारी इन्दार के एन शर्मा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय पर्यावरण वन मंत्री भूपेन्द्र यादव एवं मुख्यमंत्री झारखंड सरकार हेमंत सोरेन के नाम ज्ञापन दिया। 

जैन समाज का कहना है कि जैनों के सबसे मुख्य एवं पवित्र तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी की पवित्रता को नष्ट करने का कुचक्र रचा जा रहा है। जिसे जैन समाज सहन नहीं करेगी । तीर्थ क्षेत्र की पवित्रता बनाये रखने के लिये हम आगे कुछ भी कर सकते है। 20 तीर्थंकर भगवंतों एवं अनंत संतों की निर्वाण स्थली के साथ यह तीर्थ शाश्वत तीर्थ के रूप में अनादिकाल से अहिंसा का सन्देश दे रहा है। श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन नही पवित्र तीर्थक्षेत्र घोषित करे।

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