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Tuesday, December 13, 2022

एक कलाकार के जीवन में उतार और चढ़ाव तो आते रहते हैं। -:अमित सोनी


मुंबई सपनों की नगरी है। इस मायानगरी में हर साल लाखों लोग एक्टर बनने का सपना लिए अपना घर छोड़ कर आते हैं लेकिन अभिनेता बनना इतना आसान नहीं होता है। इसके पीछे कई सालों का संघर्ष और खुद की मेहनत होती है। अमित सोनी इंडियन डायमंड इंस्टीट्यूट सूरत (गुजरात) से ज्वैलरी डिजाइनर में एमबीए प्रोफेशनल और गोल्ड मेडलिस्ट बने और अपने सपनों को साकार करने देश के हृदयस्थल मध्य प्रदेश को छोड़कर मुम्बई चले गए। एक इंटरनेशल ज्वैलरी डिजायनर से लेकर एक अभिनेता बनने तक का उनका अब तक का सफर तमाम चुनौतियों और संघर्ष से भरा रहा है। 

अमित सोनी ने बचपन से ही अपनी रचनात्मक कहानी कहने की कला को प्रस्तुत करना शुरू कर दिया था। वह अपने कहानी कहने के कौशल से अपने परिवार, स्कूल और दोस्तों को हैरत में डाल देते थे। अमित सोनी ने अपने फिल्म कैरियर की शुरुआत सबसे बड़े टीवी शो ‘सावधान इंडिया ’ से की। उसके बाद उन्हें 'एनआरआई दुल्हा '  में भूमिका निभाई लेकिन किन्हीं कारणों के चलते वो रिलीज नहीं हो पाया। फिर डीडी नेशनल का ‘ना हारेंगे हम’, ‘बेटा भाग्य से बिटिया सौभाग्य से’ किया। 

इसके बाद स्टार प्लस के प्रसिद्ध सीरियल ‘ये है मोहब्बतें’ की सफलता से उन्हें सर्वश्रेष्ठ नकारात्मक भूमिका और सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए एक प्रतिष्ठित छवि मिली जिसके बाद उनकी सफलता को मानो नए पंख ही लग गए। ‘फियर फाइल्स’, ‘ससुराल सिमर का’, ‘सलाम इंडिया ’, ‘ श्रीमद् भागवत  महापुराण ’, ‘परम अवतार श्रीकृष्ण ’ जैसे सीरियल में उनके  दमदार अभिनय को देश और दुनिया में सराहना मिल चुकी है। 

यही नहीं , उनकी 'शुद्धि ' फिल्म मैनचेस्टर लिफ्ट आफ फिल्म फेस्टिवल में  प्रतिष्ठित पाइनवुड अवार्ड के  लिए  चयनित हुई,  जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 13 अवार्ड मिले। उनकी पहली वेब सीरीज़ ‘जाह्नवी ’ (लीड) सोनी लिव जैसे प्रतिष्ठित चैनल से रिलीज हुई। कोरोना लाकडाउन के दौर में उन्होनें 22 सेलिब्रिटियों के साथ एक नया एल्बम गीत ‘सारा हिंदुस्तान’  में अभिनय किया और इसे प्रोड्यूस भी किया जिसमें जाकित हुसैन, सुरेश बेदी , रोहिताश गौड़, सुरेश बेदी,  सोनू सूद जैसे फिल्म जगत के दिग्गज सितारे शामिल थे।

 आज अपने अभिनय के चलते अमित सोनी बॉलीवुड में किसी परिचय के मोहताज नही हैं। अमित  सोनी मूल रूप से द सिटी ऑफ़ लेक 'भोपाल' से ताल्लुक रखते हैं। अमित सोनी मानते हैं कि बहुत से लोग मुंबई आते हैं और अभिनेता बनने के लिए कोर्स करते हैं , लेकिन यह इतना आसान नहीं होता है। आपको रातों रात अभिनेता बनाने के लिए कोई कैप्सूल नहीं होता है और संघर्ष तो हर एक क्षेत्र में होता है। अमित के लिए अभिनय एक बड़ी सहज प्रक्रिया है। उनकी मानें तो दिल से किया गया अभिनय वो है जो दूसरों के दिलों को छू लेता है। 

 हर्षवर्धन पाण्डे ने अभिनेता अमित सोनी से उनकी फिल्म इंडस्ट्री की यात्रा को लेकर विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है उसके मुख्य अंश

 सागर के छोटे से कस्बे से लेकर मुंबई की मायानगरी की यात्रा ये जो सफर है आप इसे कैसे देखते हैं ?

 मेरी जिन्दगी में बहुत उतार और चढ़ाव रहा है। मेरी पैदाइश वैसे तो सागर की है लेकिन बैरासिया में मेरा बचपन गुजरा है। उसके बाद कुछ वक्त विदिशा, फिर सागर रहा। बुंदेलखंड से मेरा एक ख़ास लगाव रहा है। मुझे गर्व है कि मैं मध्यप्रदेश से हूँ। मैंने अपनी उच्च शिक्षा गुजरात से प्राप्त की। ज्वैलरी डिजाइनिंग का कोर्स भी किया। गोल्ड मेडलिस्ट रहा। देश – विदेश की कई बड़ी कंपनी में काम किया उसके बाद एक्टिंग के क्षेत्र में हाथ आजमाया। इसी दौरान सावधान इण्डिया का ऑडिशन भी चल रहा था।  उसमें मेरा चयन हुआ और उसमें काम किया। मेरे गुरु गोविन्द नाम देव जी हैं। उन्होंने मुझे सुझाव दिया भोपाल में वरिष्ठ रंगकर्मी आलोक चटर्जी से जाकर एक बार मिलें। उनके साथ काम करने का बेहतरीन अवसर मिला। बॉलीवुड अभिनेता इरफ़ान खान से मुलाकात भोपाल में हुई और उनसे प्रेरणा लेकर 'ये हैं मोहब्बतें 'सीरियल में काम किया।  मैंने अपनी एक कंपनी भी रजिस्टर्ड की और जब मैं मुंबई गया तो वहां पर मेरी मदद करने वाला कोई नहीं था इसलिए मेरी कोशिश रहती हैं कि मैं लोगों की दिल से मदद करूँ। 

सोनी लिव चैनल में 'जान्हवी' वेब सीरीज आई थी। इसके अलावा जी से मेरा सांग 'तू जो मिला खुदा मिला' भी लांच हुआ था। वो मैंने मलेशिया में शूट किया और इसका शेष बचा हुआ भाग मैंने भोपाल के पीपुल्स वर्ल्ड में शूट किया था। इसके अलावा टी सीरीज का 'खलिश' गाना था जो मैंने भोपाल और इंदौर शूट किया था। अभी जो मैंने ' स्क्र्यू यू'  करके अपने बैनर यानी 'अमित सोनी एंटरटेनमेंट' की शार्ट फिल्म बनाई है जो एक मैंने बड़े ओटीटी प्लेटफार्म पर पिच किया है।

बहुत अच्छी टीम जुड़ गई है मेरी। मैंने साउथ  फिल्म के कुछ डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को भी भोपाल घुमाया है। 2  फिल्म इंडस्ट्री के बड़े कलाकारों को भी जल्द में भोपाल ला रहा हूँ ताकि मध्य प्रदेश में फिल्म निर्माण की संभावनाओं को तराशा जा सके। मैं चाहता हूँ कि जब बॉलीवुड हो सकता है। टालीवुड हो सकता है तो फिर अपना भोपालीवुड क्यों नहीं हो सकता है?  हमारा भी एक हब बनना चाहिए। ऐसा नहीं हैं भोपाल में आजकल बहुत सारे शूट हो रहे हैं। कई बड़े बड़े एक्टर शूट कर रहे हैं। मैं चाहता हूँ कि जो कहानियां हैं जो आज तक हमारे सामने नहीं आई वो कहानियाँ भी उभर कर आये। जहाँ आपने जन्म लिया होता है वहां के कर्जदार आप ज्यादा होते हैं।

 आप बहुत अच्छे इंटरनेशनल ज्वैलरी डिजाइनर रहे हैं और आज भी डिजाइन के प्रोफेशन को आपने छोड़ा नहीं है इसकी कोई ख़ास वजह ?

आपने कहावत सुनी होगी छोटा बच्चा बिल ही खोदता है। अब मेरे नाम में ही 'सोनी'  है। ज्वैलरी मेरा बैकग्राउंड भी हैं। अभिनय से मुझे तसल्ली मिलती हैं और ज्वैलरी के बिजनेस से मुझे साइड बाई साइड  आय होती है। एक अभिनेता की जो जिन्दगी होती है वो हमेशा अप नहीं होती और हमेशा डाउन नहीं होती। उतार और चढ़ाव जीवन के हिस्से रहते हैं। जो मेरे पुराने ग्राहक हैं वो आज भी मुझसे ही ज्वैलरी खरीदना चाहते हैं। 

हाल के वर्षों में देखें तो सिनेमा में बहुत से बदलाव आये हैं। आप देख रहे होंगे ओटीटी प्लेटफार्म पर काफी सारी बेव सीरीज आ गई है। बड़े -बड़े कलाकार भी आजकल ओटीटी प्लेटफार्म का रूख कर रहे हैं। तो आप इस बदलाव को एक कलाकार के नजरिये से कैसे देख रहे हैं ?

बदलाव तो हमेशा आता है लेकिन ब्लैक एन्ड व्हाइट टेलीविजन से हम कलर टीवी में आने में हमने कितने दशक देखे हैं। उसी तरह से हर दशक में सिनेमा में भी बदलाव आये हैं। होता ये है कि हम आज के बदलाव को देखकर पीछे के बदलाव को भूल जाते हैं। जैसे आप देखेंगे कि नब्बे के दशक के जो गाने थे वो अलग किस्म के थे। आप किशोर कुमार के  गाने सुनेंगें तो उसमें एक अलग कल्चर दिखेगा। मुकेश का आपको एक अलग कल्चर दिखेगा। गोविन्दा की फिल्में अलग तरह की।

 तो ये जो बदलाव है उन्हें मैं दो तरह से देखता हूँ। दरअसल कोविड के बाद आदमी के पास वक्त था उसने ओटीटी प्लेटफार्म को समझा ही नहीं था। अब उसके बाद वक्त मिला ओटीटी प्लेटफार्म में वेब सीरीज देखने को मिली। अब इंसान को वक़्त देखने को मिला है। यदि आपका कंटेंट अच्छा है, क्रिएटिव है तो जनता उसे पसन्द करेगी। जो कंटेंट है आज उसकी ही मांग है और यही बदलाव है। दूसरी ओर बहुत खास बात है अगर आप साउथ की फिल्मों को देखते हैं तो वो अपने कल्चर को नहीं  छोड़ते हैं। हम एकदम से एडवान्स हो जाते हैं। हम अपने कल्चर को छोड़ देते हैं और हम इतना हाई क्लास चले जाते हैं कि उससे हमारा व्यूअर कनेक्ट नहीं होता। हमें कल्चर को भी नहीं छोड़ना है और नया कंटेंट  भी चाहिए।

 आप गाने भी करते हैं, सीरियल भी करते हैं और फिल्में प्रोड्यूस भी करते हैं। एक अच्छे ज्वैलरी डिजाइनर भी हैं। आप किस भूमिका में अपने आपको सहज मानते हैं ?

 एक्टर के तौर पर आपके लिए यही चुनौती है कि आप किसी भी करेक्टर को ना नहीं कहें। मैं ऐज आन ऐज एक्टर हर चीज को इंजाय करता हूँ। मुझे हर भूमिका जीने में मजा आता है। जैसे मैंने एक कपल पार्टी वेब सीरीज की है जो अमेजन प्राइम पर आने वाली है तो उस समय जो मेरे डायरेक्टर थे,  उन्होंने कहा कि अमित कुछ अलग चाहिए तो मैं अलग अलग किरदार में खुद को सहज समझता हूँ। जब आप कुछ नया करते हैं तो वो अलग होता है। किरदार के हिसाब से गेट अप बदलना, बॉडी ट्रांसफार्मेशन भी करता हूँ। मैंने जब शादी फिल्म की थी तब मेरा वजन 92 किलो था, फिर मैंने 24 किलो वजन भी काफी मेहनत करके घटाया जो कि मेरे लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था।   

  मुंबई का सफर बहुत चुनौतीपूर्ण रहता है। आपने खुद कोई प्रशिक्षण भी नहीं लिया। जो नये लोग आ रहे हैं इस फिल्म इंडस्ट्री में उनके लिए कितना चुनौतीपूर्ण टास्क है?  नये लोगों के लिए जगह बनाना और एक नया मुकाम हासिल करना ?

 मैं बहुत स्टेट फारवर्ड बोलता हूँ। एक अच्छा कलाकार वह है जो थियेटर करता है। ये आपको आप को एक परफेक्ट पैकेज बनाता है। कई बार लोग नेपोटिज्म की बात करते हैं तो नेपोटिज्म आखिर है क्या?  आप अपना एक मुकाम हासिल करते हो। बीस पच्चीस साल बिजनैस करते हैं और जाहिर सी बात है कि आप आपने पड़ोसी के तो वारिस बनागे नहीं। वैसे ही दृष्टि में लोग नेपोटिज्म की जगह फेवरेटिज्म होता है आप किसी एक पर्टिकुलर ग्रुप का हिस्सा है तो आपको बढ़ावा दिया जाएगा। नेपोटिज्म इस इंडस्ट्री में है लेकिन इतना नहीं है जितना फेवरेटिज्म है। ऋतिक रोशन , वरुण धवन,  आलिया भट्ट, श्रद्धा कपूर है। इन्होनें  बकाया मेहनत भी की और एक्टिंग भी सीखी। डांस भी सीखा। फिजिक भी बनाई तभी एक पूर्ण पैकेज बनकर आए।

 मेरा कहना है अगर आप मुंबई जा रहे तो आपका सबसे पहले एक बहुत अच्छा पैसों  का बैकअप भी होना चाहिए कि आप दो से पांच साल आप वहां सरवाईव कर सकें तो ही आप जाएं वर्ना मत जाइए क्योंकि एक फिल्म में चयन होने से लेकर रिलीज होने तक छह महीने तक या साल भर तक लग जाते हैं और ऐसा तो नहीं है कि आपको  जाने से काम मिल जाए। दूसरी बात आपको एक उचित ट्रेनिंग लेकर जाना चाहिए। एक फुल ऐसा पैकेज होना चाहिए कि आपको कोई रिजेक्ट ना कर सके। इसके अलावा अगर आप ये सोचते हैं कि फेसबुक या इन्ट्राग्राम पर हजार लाइक आ चुके हैं और आपको एक्टिंग  फिल्म में जाकर काम करना है तो मेरी सलाह रहेगी आप न जाएँ।

 आज का जो युवा है वो थियेटर को छोड़कर सिनेमा की तरफ अपना रूख करना चाहता है तो इस बात से आप कहां तक इत्तेफाक करते हैं ?

 मध्य प्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा भारत में है। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा भी है। आप देखिए कि एनएसडी से जितने भी पास आउट हैं। आप उनको देख लें, उनके भीतर स्टेबलेटी है। नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर, मनोज वाजपेयी, ये सब क्या है ? एनएसडी से पासआउट है आज भी वो सरवाइव क्यों कर रहे हैं ? आपको एक्टिंग फिल्म में आने से पहले एक उचित ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी। आप सिर्फ देखने में खूबसूरत हैं इसलिए बॉलीवुड में चले जाएंगे मुझे नहीं लगता कि ये बहुत किस्मत की बात है,  करोड़ों लोगों  में से कुछ लोगों  को मौके से ऐसा अवसर मिलता है। 

 रंगमंच इस क्षेत्र में सफलता के लिए बेहद जरूरी है लेकिन आम आदमी इतना रूचि नहीं  लेता। अब भोपाल के भीतर ही देखें टिकट लेकर देखने की प्रथा बिल्कुल भी खत्म हो गई है। इससे आप कितना इत्तेफाक रखते हैं ?

 मैं इस बात से सौ प्रतिशत इत्तेफाक़ रखता हूँ। बॉलीवुड में आज जो लोग हैं और मुंबई में लोग आज जितने भी बड़े - बड़े कलाकार हैं वो बीच- बीच में जाकर थियेटर करते हैं। वो समझते हैं कि थियेटर एक ऐसा समंदर है,  इसमें जितना तैरते हैं,  उतना सीखते हैं। लोग आज इतने प्रैक्टिकल हो गए हैं कि उन्हें आज रेडी टू ईट चाहिए वो उस चीज को देखना चाहते हैं कि उन्होंने कितने महीने तक तैयारी की । लोग आज मनी माइंडेड हो रहे हैं। 

रंगमंच को मेनस्ट्रीम में लाने के लिए सरकार की कोशिशों को किस तरह से आप देखते हैं? क्या करना चाहिए ?

 थियेटर को घर- घर तक पहुँचाना चाहिए क्योंकि कई थियेटर कलाकारों को स्थिति बेहद दयनीय है। सरकार को थियेटर को दुनिया के नक़्शे पर पहुँचाने के लिए मीडिया के माध्यमों का उपयोग करना चाहिए। मध्य प्रदेश में फिल्म निर्माण  की संभावनाओं  को आप किस तरह से देखते हैं?

खूबसूरत लोकेशंस के अलावा सुविधाजनक स्थल होने की वजह से डायरेक्टर्स फिल्म की शूटिंग के लिए मध्य प्रदेश आ रहे हैं। फिल्म निर्माताओं को शूटिंग की अच्छी लोकेशन यहां आसानी से मिल जाती है, साथ ही मध्य प्रदेश सरकार फिल्म के अनुकुल बुनियादी ढांचा स्‍थापित करने के उसे प्रोत्‍साहन भी दे रही है। यहाँ पर शूटिंग के लिए परमिशन और एनओसी मिलना भी अन्य राज्यों की अपेक्षा आसान है। मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में लगातार हो रही शूटिंग के चलते ही हाल ही में 68 वें  राष्ट्रीय फिल्म में  मध्य प्रदेश ने 13 राज्यों को पीछे छोड़ते हुए दूसरी बार मोस्ट फ्रेंडली स्टेट का दर्जा पाया है।

पूरे देश में फिल्मों के निर्माण के लिए मध्य प्रदेश सब्सिडी सबसे अच्छी दे रहा है। मध्य प्रदेश सरकार फिल्म निर्माण के क्षेत्र को बढ़ावा देना के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। यही वजह है कि लोग लगातार यहाँ आकर शूट कर रहे हैं। सरकार को छोटे प्रोडूयूसर को भी सब्सिडी में सहायता देनी चाहिए। कोरोना के बाद देखें तो ओटीटी प्लेटफॉर्म में कंटेंट की बाढ़ सी आ गई है। क्या आपको लगता है कि आने वाले समय में ओटीटी प्लेटफार्म एक चुनौती बन सकता है? 

पहले स्टार बिकता था। आज कंटेंट बिकता है चाहे ओटीटी हो या फिल्म। आने वाले समय में आपके क्या प्रोजेक्ट हैं?  किन पर आप अभी काम कर रहे हैं ? 

मेरे दो प्रोजेक्ट हैं जिसमें दो मेरी वेब सीरीज और फिल्म पर काम चल रहा है और बहुत जल्द ही गाना भी आएगा। मैं फरवरी या मार्च 2023 तक किसी बड़े स्टार के साथ काम करते आपको दिख सकता हूँ। अमित सोनी  

इंटरटेनमेंट पूरे देश में फिल्म प्रोडक्शन का कार्य कर रही है , साथ ही भारत से बाहर विदेशों में भी कई प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है। 

अभी तक आपने जो भी किरदार निभाए हैं उसे पूरी तरह से जीने की कोशिश की चाहे  आपने जो भी किया। ऐसा कोई किरदार जो आपको बहुत भाता हो ?

मिस्टर तनेजा का निभाया किरदार मुझे बहुत अच्छा लगता है। तनेजा के किरदार से मुझे पहचान मिली। मेरे पन्द्रह दिन के रोल को उन्होंने 11 महीने दिए।

एक कलाकार के जीवन में उतार और चढ़ाव तो आते रहते हैं। कभी ऐसा कोई लगा हो जिससे आपको नकारात्मक लगा हो?

जब आप किसी किरदार को निभाते हैं तो कमेंट तो पढ़ते हैं।

 अभी तक आपको जो सम्मान मिला है उसके बाद आपकी चुनौतियाँ और जिम्मेदारी बढ़ जाती है कुछ नया करने की?

अभी तक जो कुछ भी मिला है उसके लिए मैं भगवान का शुक्रगुजार करता हूँ। 'शुद्धि ' फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 13 अवार्ड मिले। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नॉमिनेट होना गर्व की बात है। जो मिलना अभी बाकी है उस पर मेरा फोकस है। लाइफटाइम एचिवेमेंट अभी तक नहीं मिला है इसलिए अभी  मेरी दौड़ जारी है।

आज के युवा जो इस क्षेत्र में आना चाहते हैं उनके लिए क्या सन्देश देना चाहते हैं आप ?

फ्लाइट उड़ानी है तो आपको पायलट की ट्रेनिंग लेनी होगी। इसी तरह फिल्म में करियर बनाने के लिए फुल पैकेज बनना होगा।

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