सागर । नाबालिग को बहला फुसलाकर भगा ले जाकर दुष्कृत्य करने वाले आरोपी रोहित पिता सोहन रजक थाना-रहली को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की घारा-366 के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास व एक हजार रूपये का अर्थदंड एवं धारा-376(2)(एन) के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदंड एवं अनु.जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा-3(1)(ू) (प) के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड तथा धारा-3(2)(अं) के तहत आजीवन सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है एवं पीड़िता का दो लाख रूपये प्रतिकर दिलाये जाने का आदेश न्यायालय द्वारा पारित किया गया। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि बालिका के मामा/शिकायतकर्ता द्वारा दिनॉक 15.10.2018 को थाना-रहली में रिपोर्ट लेख कराई कि सावन के महीन में उसकी भॉजी घर पर रहने आई थी दिनॉक -14.10.2018 की रात खाना खाकर सो गई थी, रात 2ः00बजे उसने उठकर देखा तो भॉजी घर पर नहीं थी उसकी आस-पास तलाश की लेकिन उसका काई पता नहीं चला । कोई अज्ञात व्यक्ति उसकी लड़की को बहला फुसलाकर भगाकर ले गया है। विवेचना के दौरान दिनॉक 22.10.2018 को बालिका के दस्याब होने पर उसके द्वारा बताया गया कि अभियुक्त रोहित रजक उसे मोटरसाइकिल पर बैठाकर भगाकर ले गया थाा और उसके साथ बुरा काम किया।उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये,
घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-रहली में धारा -366क, 376(2)(एन) भा.दं.सं. एवं धारा 3/4, 5/6, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं अनु.जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा-3(1)(ू) (पप) , 3(2)(अं) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।
विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी को रोहित पिता सोहन रजक को उपरोक्त सजा से दंडित किया है।
नाबालिग को बहला फुसलाकर भगा ले जाकर दुष्कृत्य करने वाले आरोपी को आजीवन सश्रम कारावास एवं 5000-/रूपये अर्थदण्ड
सागर । नाबालिग को बहला फुसलाकर भगा ले जाकर दुष्कृत्य करने वाले आरोपी रोहित पिता सोहन रजक थाना-रहली को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की घारा-366 के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास व एक हजार रूपये का अर्थदंड एवं धारा-376(2)(एन) के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदंड एवं अनु.जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा-3(1)(ू) (प) के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड तथा धारा-3(2)(अं) के तहत आजीवन सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है एवं पीड़िता का दो लाख रूपये प्रतिकर दिलाये जाने का आदेश न्यायालय द्वारा पारित किया गया। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि बालिका के मामा/शिकायतकर्ता द्वारा दिनॉक 15.10.2018 को थाना-रहली में रिपोर्ट लेख कराई कि सावन के महीन में उसकी भॉजी घर पर रहने आई थी दिनॉक -14.10.2018 की रात खाना खाकर सो गई थी, रात 2ः00बजे उसने उठकर देखा तो भॉजी घर पर नहीं थी उसकी आस-पास तलाश की लेकिन उसका काई पता नहीं चला । कोई अज्ञात व्यक्ति उसकी लड़की को बहला फुसलाकर भगाकर ले गया है। विवेचना के दौरान दिनॉक 22.10.2018 को बालिका के दस्याब होने पर उसके द्वारा बताया गया कि अभियुक्त रोहित रजक उसे मोटरसाइकिल पर बैठाकर भगाकर ले गया थाा और उसके साथ बुरा काम किया।उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये,
घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-रहली में धारा -366क, 376(2)(एन) भा.दं.सं. एवं धारा 3/4, 5/6, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं अनु.जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा-3(1)(ू) (पप) , 3(2)(अं) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी को रामस्वरूप पिता मोहन विश्वकर्मा को उपरोक्त सजा से दंडित किया है।
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