विभाग ने कार्रवाई की वजाय बीईओ व संकुल का प्रभार भी सौंपा, शिकायत में सामने आया मामलानरवर कन्या उमावि में पदस्थ है शिक्षक, अनु प्रमाण फार्म में छुपाई थी आपराधिक प्रकरण दर्ज होने की जानकारी
शिवपुरी। किसी भी सरकारी कर्मचारी को नियुक्ति मिलने के बावजूद पुलिस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजरना होता है और इसमें अपात्र पाए जाने पर संबंधित नौकरी हासिल करने के बावजूद सरकारी नौकरी के लिए अनुपयुक्त हो जाता है वहीं नौकरी के समय अनु प्रमाण फार्म में गलत जानकारी देना भी अभ्यार्थी को अपात्र घोषित करता है। लेकिन शिवपुरी जिले के शिक्षा विभाग में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां वर्तमान में कन्या उमावि नरवर स्कूल में पदक उच्च माध्यमिक शिक्षक संजीव कुमार अग्रवाल की नौकरी करीब 24 साल पहले 1998 में नगर पंचायत द्वारा शिक्षा कर्मी के पद पर की गई थी ।
इस मामले में शिक्षक ने नौकरी के समय दिए गए अनु प्रमाण फार्म मैं खुद के विरुद्ध दर्ज आपराधिक प्रकरण की जानकारी छुपाई। लेकिन पुलिस वेरीफिकेशन के दौरान उन पर दर्ज आपराधिक प्रकरण और मामले गिरफ्तारी का खुलासा हो गया और तत्सम पुलिस उपमहानिरीक्षक ने नियुक्ति कर्ता सीएमओ नरवर को पत्र लिखकर संबंधित को शासकीय सेवा के अयोग्य बताया था। तब से अब तक करीब 24 साल बीत गए हैं लेकिन यह शिक्षक अब भी नौकरी कर रहा है। इतना ही नहीं विभाग ने इसे नरवर के विकास खंड शिक्षा अधिकारी व कन्या संकुल जैसे महत्वपूर्ण पद का प्रभारी बनाकर दायित्व भी सौंप दिया है। पूरे मामले को लेकर शिकायतकर्ता नरोत्तम शर्मा ने दस्तावेजों के साथ खुलासा किया है और उच्च स्तर पर इस गंभीर मामले में शिक्षक पर कार्रवाई की मांग की है। देखना होगा कि प्रमाणित शिकायत के इस मामले में हैं विभाग क्या कुछ कार्रवाई करता है।
ईसी एक्ट में भांडेर में दर्ज हुआ था प्रकरण
इस मामले में शिकायत कर्ता द्वारा उपलब्ध दस्तावेजों पर गौर करें तो अभ्यार्थी संजीव अग्रवाल पर 24 सितंबर 1995 को दतिया जिले के भांडेर थाने में ईसी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज हुआ था और 12 नवंबर 1995 को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। हालांकि 20 अगस्त 1998 को न्यायालय द्वारा उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया था लेकिन इससे पहले 17 जुलाई 1998 को अग्रवाल ने नरवर नगर पंचायत से शिक्षा कर्मी वर्ग 1 के पद पर न केवल नियुक्ति हासिल कर ली बल्कि नियुक्ति के समय भरे जाने वाले अनुप्रमाण फार्म के कॉलम क्रमांक 12 में आपराधिक प्रकरण से संबंधित जानकारी निरंक भरकर छुपाई । इस मामले में 8 जून 2000 को पुलिस उपमहानिरीक्षक भोपाल द्वारा नरवर नगर पंचायत के सीएमओ को संजीव अग्रवाल के चरित्र सत्यापन के संबंध में पत्र लिखकर स्पष्ट किया गया था कि अनुप्रमाणन फार्म में गलत जानकारी दी गई इसलिए वह शासकीय सेवा के अयोग्य हैं ।बावजूद इसके नगर पंचायत ने उक्त शिक्षक को पद से नहीं हटाया और तब से अब तक शिक्षा विभाग में समायोजन के बाद विभागीय अधिकारियों ने भी कोई कार्यवाही नहीं की नतीजे में यह शिक्षक आज भी नौकरी कर रहा है।
यह है नियम
इस मामले में नियमों की बात करें तो नियुक्ति के बाद दिया जाने वाला अनुप्रमाणन फार्म अभ्यार्थी का हलफनामा होता है और इसमें साफ चेतावनी अंकित रहती है कि असत्य जानकारी देना या किसी तथ्यात्मक जानकारी को छुपाना अभ्यार्थी को अयोग्य साबित करती है। इतना ही नहीं सेवा के दौरान किसी भी समय असत्य जानकारी का मामला सामने आने पर उसकी सेवा समाप्त की जा सकेगी।
स्कूल स्क्रीन पर अश्लील वीडियो मामले में हो चुकी है कार्रवाई
उच्च माध्यमिक शिक्षक संजीव अग्रवाल का विवादों से पुराना नाता है बताया जाता है कि कुछ साल पहले शासकीय बालक उमावि नरवर में विद्यालय कक्ष में प्रोजेक्टर एलसीडी पर अश्लील फिल्म संचालित हो गई थी और प्रदेश भर के स्कूल तत्समय उस नेटवर्क से जुड़े थे ।उक्त मामले मे तत समय वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच के दौरान शिक्षक को दोषी पाया था और उसकी दो वार्षिक वेतन वृद्धि रोकी गई थी।
इनका कहना है
इस मामले में उच्च स्तर से अधिकारियों के जो भी निर्देश प्राप्त होंगे उसके अनुसार कार्यवाही करेंगे।
समर सिंह राठौर
डीईओ शिवपुरी
ईसी एक्ट में भांडेर में दर्ज हुआ था प्रकरण
इस मामले में शिकायत कर्ता द्वारा उपलब्ध दस्तावेजों पर गौर करें तो अभ्यार्थी संजीव अग्रवाल पर 24 सितंबर 1995 को दतिया जिले के भांडेर थाने में ईसी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज हुआ था और 12 नवंबर 1995 को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। हालांकि 20 अगस्त 1998 को न्यायालय द्वारा उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया था लेकिन इससे पहले 17 जुलाई 1998 को अग्रवाल ने नरवर नगर पंचायत से शिक्षा कर्मी वर्ग 1 के पद पर न केवल नियुक्ति हासिल कर ली बल्कि नियुक्ति के समय भरे जाने वाले अनुप्रमाण फार्म के कॉलम क्रमांक 12 में आपराधिक प्रकरण से संबंधित जानकारी निरंक भरकर छुपाई । इस मामले में 8 जून 2000 को पुलिस उपमहानिरीक्षक भोपाल द्वारा नरवर नगर पंचायत के सीएमओ को संजीव अग्रवाल के चरित्र सत्यापन के संबंध में पत्र लिखकर स्पष्ट किया गया था कि अनुप्रमाणन फार्म में गलत जानकारी दी गई इसलिए वह शासकीय सेवा के अयोग्य हैं ।बावजूद इसके नगर पंचायत ने उक्त शिक्षक को पद से नहीं हटाया और तब से अब तक शिक्षा विभाग में समायोजन के बाद विभागीय अधिकारियों ने भी कोई कार्यवाही नहीं की नतीजे में यह शिक्षक आज भी नौकरी कर रहा है।
यह है नियम
इस मामले में नियमों की बात करें तो नियुक्ति के बाद दिया जाने वाला अनुप्रमाणन फार्म अभ्यार्थी का हलफनामा होता है और इसमें साफ चेतावनी अंकित रहती है कि असत्य जानकारी देना या किसी तथ्यात्मक जानकारी को छुपाना अभ्यार्थी को अयोग्य साबित करती है। इतना ही नहीं सेवा के दौरान किसी भी समय असत्य जानकारी का मामला सामने आने पर उसकी सेवा समाप्त की जा सकेगी।
स्कूल स्क्रीन पर अश्लील वीडियो मामले में हो चुकी है कार्रवाई
उच्च माध्यमिक शिक्षक संजीव अग्रवाल का विवादों से पुराना नाता है बताया जाता है कि कुछ साल पहले शासकीय बालक उमावि नरवर में विद्यालय कक्ष में प्रोजेक्टर एलसीडी पर अश्लील फिल्म संचालित हो गई थी और प्रदेश भर के स्कूल तत्समय उस नेटवर्क से जुड़े थे ।उक्त मामले मे तत समय वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच के दौरान शिक्षक को दोषी पाया था और उसकी दो वार्षिक वेतन वृद्धि रोकी गई थी।
इनका कहना है
इस मामले में उच्च स्तर से अधिकारियों के जो भी निर्देश प्राप्त होंगे उसके अनुसार कार्यवाही करेंगे।
समर सिंह राठौर
डीईओ शिवपुरी
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