सागर । चर्चित म.प्र. आरक्षक ऑनलाइन भर्ती परीक्षा-2016 में फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपीगण प्रदीप यादव, संजय दुबे एवं रिंकू उर्फ नंदगोपाल तिवारी को द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश शिवबालक साहू जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की घारा-419,420 के तहत 02-02 वर्ष का सश्रम कारावास व 01-01 हजार रूपये का अर्थदंड , धारा-467, 473 के तहत 07-07 वर्ष का सश्रम कारावास व 03-03 हजार रूपये अर्थदंड,ं धारा-468 के तहत 03-03 वर्ष का सश्रम कारावास व 01-01 हजार रूपये अर्थदंड एवं म.प्र. मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की धारा-3 व 4 के तहत 02-02 वर्ष का सश्रम कारावास व 01-01 हजार रूपये का अर्थदंड की सजा से दंडित किया है एवं अन्य दो अभियुक्त विनय सिंह व संतोष को दोषमुक्त किया गया। मामले की पैरवी अपर लोक अभियोजक आशीष चतुर्वेदी ने की ।
जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी श्री सौरभ डिम्हा ने बताया कि दिनांक 19.07.16 थाना प्रभारी को भ्रमण के दौरान मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि होटल जयराम पैलेस मंे कुछ बाहरी लोग शहर में हो रही ऑनलाईन म.प्र.पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में परीक्षार्थियों की जगह परीक्षा देने ठहरे हुए हैं। उक्त सूचना प्राप्त होने पर होटल जयराम पैलेस मकरौनियां पहुंचे। होटल के कांउंटर पर अटैण्डेंट से जानकारी ली गई तो र्मिजापुर उ.प्र.के बाहरी व्यक्तियों का ठहरे होना तथा उक्त होटल के कमरे संजय दुबे व अन्य के नाम पर दिनांक 18.07.16 से बुक होने की जानकारी दी गई। उक्त सुचना अनुसार रूके हुए व्यक्ति वहीं मिले सभी से उनके नाम,पते,एवं आने का कारण पूंछे जाने पर उन्होंने कोई संतोषप्रद उत्तर नहीं दिया,आरोपीगण ने अपना नाम संजय दुबे निवासी-मिर्जापुर, संतोष कुमार मिश्रा निवासी-चित्रकूट, रिंकू उर्फ नंदगोपाल निवासी- मिर्जापुर, विनयसिंह निवासी - इलाहाबाद एवं प्रदीप यादव निवासी -इलाहाबाद होना बताया।.
आरोपीगण से पूंछतांछ किए जाने पर बताय गया कि म.प्र.पुलिस आरक्षक की आनॅलाईन परीक्षा में दूसरे अभ्यर्थी के स्थान पर प्रदीप यादव,विनयसिंह,संतोष मिश्रा,को परीक्षा में सम्मिलत कराकर संबंधित को पास कराना था। रिंकू उर्फ नंदगोपाल को इन लोगों प्रदीप यादव, विनयसिंह, संतोष मिश्रा को संबंधित परीक्षा केन्द्र तक पहंुचाने का कार्य करना तथा इसके बदले में संजय दुबे द्वारा अभ्यर्थियों से लिए गये रूपयों में से परीक्षा में बैठने वाले को प्रति परीक्षा दस हजार रूपये देना तथा लाने ले जाने वाले को पांच हजार रूपये देना बताया। प्रदीप यादव के द्वारा रामसागर व इरफान की जगह पर,विनयसिंह के द्वारा मेजरसिंह की जगह पर तथा संतोष यादव को पंचलाल व अवनीश सिंह की जगह पर बैठकर परीक्षा देना संजय दुबे द्वारा तय किया गया था।
प्रदीप यादव,विनयसिंह,संतोष यादव के पास संबंधित अभ्यर्थियों के परीक्षा कक्ष में प्रवेश से संबंधित दस्तावेज,संजय दुबे के पास से बहुत से अभ्यर्थियों के दस्तावेज,परिचय पत्र,पेन,अंगूठा निशानी का अंगुष्ठ चिन्ह की प्लास्टिक पट्टी जप्त हुई आरोपियो का कृत्य आपराधिक षणयंत्र रचकर आपराधिक कृत्य किया जाना पाए जाने पर उनके विरूद्ध धारा 419,420,468,473,120-बी भा.द.वि. के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण विवेचना में लिया गया।
विचारण के दौरान अपर लोक अभियोजक आशीष चतुर्वेदी द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपीगण के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहॉ विचारण उपरांत द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश शिवबालक साहू जिला-सागर की अदालत ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया ।
नाबालिग को बहलाफुसलाकर भगा ले जाकर बेचने वाले आरोपी को 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000-/रूपये अर्थदण्ड
सागर । नाबालिग को बहला फुसलाकर भगा ले जाकर बेचने वाले आरोपी रामभरत उर्फ भरत कुशवाहा थाना-खिमलासा को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की घारा-363 के तहत 5 वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रूपये का अर्थदंड , धारा-368 के तहत 5 वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रूपये अर्थदंड एवं अनुजा/ज.जा. (अत्या.निवा.) अधि0 की धारा-3(2)(अ.ं.ं) के तहत 5 वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है । मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि बालिका के भाई/सूचनाकर्ता द्वारा दिनांक 13.04.2018 को थाना खिमलासा में बालिका को अज्ञात व्यक्ति द्वारा बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की रिपोर्ट लेख कराई । विवेचना के दौरान दिनांक 16.07.2018 को बालिका के दस्तयाब होने पर बालिका ने बताया कि अभियुक्त भागवती ने उसे भगाया था और अभियुक्त रामभरत उर्फ भरत और उसका साथी मोटरसाईकिल पर उसे भगाकर ललितपुर ले गये थे व उन्होंने उसे अभियुक्त धरमा व अन्य फरार अभियुक्त के सुपुर्द कर दिया था तथा अभियुक्त धरमा ने उसे अभियुक्त ‘‘शी’’ को अठारह हजार रूपये में बेंच दिया था व अभियुक्त धरमा ने उसके साथ मारपीट की थी। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया,
विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-खिमलासा में धारा 366, 368, 376, 506, 372,34 भा.द ं.सं. एवं धारा 3/4, लैंगिक अपराधो ं से बालको ं का संरक्षण अधिनियम 2012, एवं धारा 3(2)(अ.क), 3(2)(अ) अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्या. निवा.) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान पीड़िता एवं उसके परिजन ने अन्य आरोपीगण के विरूद्ध घटना का समर्थन नहीं किया एवं आरोपी रामभरत के विरूद्ध घटना के संबंध में पीड़िता एवं उसके परिवार ने कथन दिये ।
विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी रामभरत के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी को भा.द.वि. की घारा-363 के तहत 5 वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रूपये का अर्थदंड , धारा-368 के तहत 5 वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रूपये अर्थदंड एवं अनुजा/ज.जा. (अत्या.निवा.) अधि0 की धारा-3(2)(अ.ं.ं) के तहत 5 वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।
निमार्ण कार्य के बिल पास करने के एवज् में 50,000 रूपये रिष्वत लेने वाले उपयंत्री को 04 वर्ष सश्रम कारावास एवं 50,000/- रूपये अर्थदण्ड की सजा
सागर । निर्माण कार्य के बिल पास करने के एवज् में रिश्वत लेने वाले आरोपी आर.के. पाण्डेय उपयंत्री को न्यायालय-विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा-7 के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 50,000/- रू. (पचास हजार) अर्थदण्ड एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 50,000/- रू. (पचास हजार) के अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है उक्त मामले की पैरवी श्री श्याम नेमा, सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 01.06.2016 को आवेदक देवांश कठल ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को लिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि आवेदक द्वारा किये गये निर्माण कार्य के बिल पास करने के ऐवज् में अभियुक्त आर.के. पाण्डेय उपयंत्री ने 54,000/-रु. की मांग की है वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। अतः कार्यवाही किये जाने का निवेदन किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉगवार्ता रिकार्ड की गई एवं तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राशि दी गई व आवेदक का इशारा मिलने पर टेªप दल के सदस्य मौके पर पहुॅचे और और प्रकरण में अन्य विधिवत कार्यवाहियॉ की गई।
विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया ।
जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम , 1988 की धारा-7 के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 50,000/- रू. (पचास हजार) अर्थदण्ड एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 50,000/- रू. (पचास हजार) के अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है ।
दुष्कर्म के आरोपी को दोहरा आजीवन कारावास एवं जुर्माना से दंडित
सागर । विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की अदालत ने दुष्कर्म करने वाले आरोपी मोहन लोधी थाना-मालथौन को भा.द.वि. की धारा-376 (डी) के संबंध में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3;2द्ध;अद्ध के तहत आजीवन कारावास एवं 2000/-रूपये अर्थदण्ड एवं भा.द.वि. की धारा-366 के संबंध में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3;2द्ध;अद्ध के तहत आजीवन कारावास एवं 2000/-रूपये अर्थदण्ड एवं आरोपी गुटई उर्फ गोपाल लोधी व आरोपी रविंद्र लोधी थाना-बांदरी को दोषी करार देते हुये भा.दवि की धारा- 376;क्द्ध के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व 1000/-रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है एवं एक अन्य आरोपी को दोषमुक्त किया। उक्त मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक(अभियोजन) श्री धमेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक श्री मनोज कुमार पटैल ने की ।
घटना का विवरण संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 25.02.2018 को अभियोक्त्री थाना-बांदरी, में रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 25.02.2018 की दरम्यिानी रात को करीब 12-1 बजे की बात है, गांव मंे मंदिर पर कार्यक्रम चल रहा था, वह और उसकी चचेरी बहन बाथरूम के लिये झाड़िया में पीछे गये थे, वहां पर अंधेरा था, तभी झाड़ियों के पीछे आरोपीे मोहन लोधी, गुटई लोधी, रविन्द्र लोधी और एक अन्य आदमी जिसे मोहन कुवंरजू उर्फ अमित अहिरवार कह रहा था, उक्त चारों ने मिलकर उसे और उसकी चचेरी बहिन को पकड़ लिया, उसे अमित ने पकड़कर उसका मुंह दबा लिया था और चिल्लाने पर गले पर लात रखकर मार डालने की धमकी दी थी तभी मेरी बहिन रविन्द्र से छूटकर भाग गई। वो चारों लोग मुझे पकड ़कर जंगल में उपर ले गये और उसे नीचे जमीन पर गिरा दिया, जिससे उसके दाहिने हाथ की कोहनी पर चोट भी आई, फिर उसके साथ जबरजस्ती बुरा काम किया व मोहन ने मोबाईल से उसकी फोटो खींची, फिर मोहन ने भी उसके साथ जबरजस्ती गलत काम किया। तब मेरी बहिन गांव से अपने जीजा और व अन्य गांव वालों को भी बुला लाई ,तब अभियुक्त गण भाग गये थे। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया।
विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-बांदरी जिला-सागर द्वारा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा-, 366 , 376(क्), 323, 354, 506 (भाग-2), लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 5 ( ह ) सहपठित धारा 6, 9 ( ह ) सहपठित धारा 10 व धारा 14 तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा धारा 3(1)(त)(दोबार), 3(2)(अ)(दो बार), 3(2)(अ) व 3(1);ूद्ध;प)(दो बार) तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67(ठद्ध;इद्ध का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।
विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी मोहन लोधी थाना-मालथौन को भा.द.वि. की धारा-376(डी) के संबंध में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3;2द्ध;अद्ध के तहत आजीवन कारावास एवं 2000/-रूपये अर्थदण्ड एवं भा.द.वि. की धारा-366 के संबंध में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3;2द्ध;अद्ध के तहत आजीवन कारावास एवं 2000/-रूपये अर्थदण्ड एवं आरोपी गुटई उर्फ गोपाल लोधी व आरोपी रविंद्र लोधी थाना-बांदरी को दोषी करार देते हुये भा.दवि की धारा- 376;क्द्ध के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व 1000/-रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है एवं एक अन्य आरोपी को दोषमुक्त किया।
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