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Sunday, November 6, 2022

पाठशाला में अध्ययनरत बच्चे संस्कार और शिक्षा से बनते है स्वावलंबी : मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज



धर्म के लिए किए गए कार्य हमेशा फलदायी होते है : मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज

श्रीसिद्धचक्र महामण्डल विधान में धर्मप्रेमीजनों ने शास्त्रदान, पाद प्रच्छालन और प्राप्त किया सौभाग्य कलश

शिवपुरी- जिस प्रकार से मंदिर जाकर मनुष्य धर्म का मार्ग प्रशस्त करता है ठीक उसी प्रकार से बच्चों में भी धर्म और संस्कारों का समावेश हो इसके लिए आवश्यक है बच्चों को बचपन से ही पाठशाला भेजना ताकि वह बच्चे धर्म-ज्ञान को प्राप्त करते हुए पाठशाला में अध्ययन कर संस्कार और शिक्षा प्राप्त करते हुए स्वावलंबी बने, यही मुख्य उद्देश्य पाठशाला का होता है कि वह बच्चों को उचित ज्ञानवर्धक शिक्षा प्रदान कर उनका भविष्य संवारे, मुनिश्री के सानिध्यों में लगने वाली पाठशाला हमेशा बच्चों को संस्कार और शिक्षा के साथ-साथ संस्कारित भी करती है। पाठशाला में बच्चों को भेजने का यह आह्वान किया प्रसिद्ध मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने जो स्थानीय श्रीदिगम्बर छत्री जैन मंदिर में आयोजित श्रीसिद्धचक्र महामण्डल विधान विश्वशांति महायज्ञ एवं रथयात्रा महोत्सव कार्यक्रम में आर्शीवचन दे रहे थे। 

इस अवसर पर चार्तुमास कर रहे मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज ने अपने आर्शीवचनों में धर्म की प्रभावना को बताते हुए कहा कि धर्म के लिए किए जाने वाला हरेक कार्य हमेशा फलदायी होता है, सिद्धों को प्राप्त करने वाला श्रीसिद्धचक्र महामण्डल विधान हो अथवा अन्य कोई धार्मिक आयोजन वह सभी धर्म की प्रभावना को बढ़ाने वाले होते है। इस अवसर पर मुनिश्री को शास्त्रदान प्रदान करने का सौभाग्य कौशल्या जैन एवं वर्षा जैन को प्राप्त हुआ जबकि पृथक-पृथक मुनिश्री का पाद प्रच्छालन का सौभाग्य श्रीसिद्धचक्र महामण्डल विधान के यज्ञनायक परिजनों कन्हैयालाल जैन, ऋषभ जैन, अतुल कुमार, प्रदीप कुमार, विजय जैन, नरेंद्र जैन, आयोजक परिवार ने प्राप्त किया। 

इसके साथ ही यहां मनोज जैन सिरसौद वालो ने भी पाद प्रचालन का सौभाग्य प्राप्त किया। साथ ही हरिओम जैन श्रीमती प्रीति जैन, विष्णु जैन कलश का सौभाग्य एवं चिंतामणि रूपेश कुमार जी बिलारा वाला परिवार को दूसरा कलश प्रदान करने का सौभग्य पाया। इसके अलावा चित्रा देवी उर्मिला, दीपेश जैन बिलारा वाला परिवार को मुख्य मंगल कलश प्राप्त होने का सौभाग्य मिला। कार्यक्रम का संचालन संजीव बांझल के द्वारा प्राप्त किया गया जबकि श्रीसिद्धचक्र महामण्डल विधान में विधान के 6वें दिन भगवान सिद्ध प्रभु की आराधना की गई। इस अवसर मौजूद श्रद्धालजनों ने सपरिवार कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लिया और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हुए भगवान श्रीसिद्ध प्रभु का पूजन किया। 

यहां श्रीसिद्धचक्र महामण्डल विधान के प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र.श्रीप्रदीप शास्त्री(पीयूष)जबलपुर के द्वारा विधि-विधान के साथ यह पूजन-कार्य कराया जा रहा है। विधान के महायज्ञ नायक श्रीमती कपूरीबाई-कन्हैया लाल जैन, यज्ञ नायक श्रीमती संपत देवी-जय कुमार जैन, श्रीमती सपना-ऋषभ कुमार जैन, श्रीमती कल्पना-अतुलकुमार, श्रीमती सविता-प्रदीप कुमार लाभार्थी परिवार है जिनके द्वारा समस्ज जैन समाज के लिए सिद्धों को प्राप्त करने वाला सिद्धचक्र महामण्डल विधान 01 नवम्बर से 09 नवम्बर तक मंदिर परिसर में किया गया है। 

कार्यक्रम की शुरूआत प्रात: 6 बजे अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजन एवं विधानश्री 1008 सिद्धचक्र महामण्डल विधान के साथ होती है इसके बाद प्रात: 9 बजे विधान का सानिध्य प्रदान करने वाले चार्तुमास कर रहे प्रसिद्ध मुनिश्री सुप्रभगसार जी महाराज एवं मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के मंगल प्रवचन होते है, दोप.3 बजे से स्वाध्याय शिविर एवं सायं 7 बजे से आरती व रात्रि 8 बजे प्रवचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर जारी है।

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