सागर । नाबालिग बलात्काऱ करने वाले आरोपी रवि शर्मा को न्यायालय तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश जिला-सागर सुश्री नीलम शुक्ला की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये आरोपी को भा.दं.सं. की धारा-366 के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 1000/- रूपये का अर्थदंड एवं धारा 376-(2)(आई) के तहत 10 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 5000/- रूपयेे अर्थदण्ड एवं पॉक्सों अधिनियम की धारा-5 एल सहपठित धारा-6 के तहत 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5000/- रूपये के अर्थदण्ड एवं अनुसूचित जाति /जनजाति (अत्याचार निवारण )अधिनियम 1989 की धारा-3(1)डब्ल्यू(आई) के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्ड , अनुसूचित जाति /जनजाति (अत्याचार निवारण )अधिनियम 1989 की धारा-3(2)(व्ही) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं 5000 रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी, श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादी द्वारा दिनॉक 09.05.2017 को पुलिस थाना सानौधा में बालिका के गुम होने की शिकायत की रिपोर्ट लेख कराई गई दिनॉक- 31.05.2018 को बालिका के दस्तयाब होने पर बालिका के कथन लिये गये जिसने अपने कथनों में अभियुक्त रवि शर्मा द्वारा शादी का कहकर बहला फुसलाकर जबरन ले जाने ओर मझोली जबलपुर में सरकारी कन्डम मकान में करीब 01 साल तक रखे रहना तथा उसकी मर्जी के बिना उसके साथ जबरन बलात्कार करना बताया । थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-सानौधा जिला-सागर द्वारा धारा 366, 376 भा.दं.सं.एवं धारा- 5 एल सहपठित धारा-6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं 3(1)डब्ल्यू(आई), 3(2)(व्ही) अनुसूचित जाति /जनजाति (अत्याचार निवारण )अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।
विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी को भा.दं.सं. की धारा-366 के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 1000/- रूपये का अर्थदंड एवं धारा 376-(2)(आई) के तहत 10 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 5000/- रूपयेे अर्थदण्ड एवं पॉक्सों अधिनियम की धारा-5 एल सहपठित धारा-6 के तहत 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5000/- रूपये के अर्थदण्ड एवं अनुसूचित जाति /जनजाति (अत्याचार निवारण )अधिनियम 1989 की धारा-3(1)डब्ल्यू(आई) के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्ड , अनुसूचित जाति /जनजाति (अत्याचार निवारण )अधिनियम 1989 की धारा-3(2)(व्ही) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं 5000 रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।
नाबालिग से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये जुर्माना
सागर । नाबालिग से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी मोहन माली को न्यायालय तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश जिला-सागर नीलम शुक्ला की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये आरोपी को भा.दं.सं. की धारा-354 के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास तथा 1000/- रूपये का अर्थदंड एवं धारा 354-डी के तहत 01 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 1000/- रूपयेे अर्थदण्ड एवं पॉक्सों अधिनियम की धारा-7/8 के तहत 03 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000/- रूपये के अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।मामले की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी, श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादिया ने दिनॉक 13.09.2021 को पुलिस थाना मोतीनगर जिला सागर में रिपोर्ट दर्ज कराई कि अभियुक्त मोहन माली कई दिनों से उसे परेशान कर रहा है और उससे बात करने के लिये कहता है व बात न करने पर वह उसके घर वालों को जान से खत्म करने की धमकी देता है । दिनॉक 13.09.2021 को शाम करीब 5ः00 बजे बालिका अपने स्कूल से घर के लिये जा रही थी तो अभियुक्त मोहन माली बुरी नियत से उसका पीछा करते हुये ओवर ब्रिज के पास उसे मिला और उससे बोलने लगा कि वह उससे बात क्यों नहीं करती बालिका के मना करने पर वह बुरी नियत से बालिका का हाथ पकड़कर उसके साथ झूमा झटकी करने लगा । बालिका के साथ उसकी सहेली भी थी। जब बालिका ने चिललाने की कोशिश की तो अभियुक्त मोहन माली उसे जान से मारने की धमकी देकर भाग गया। बालिका ने अपने घर आकर पूरी घटना अपने पिता एवं दादी को बताई। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया।
विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-मोतीनगर जिला-सागर द्वारा धारा 354, 354घ, 506 भा.दं.सं.एवं 7/8, 11/12 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी को भा.दं.सं. की धारा-354 के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास तथा 1000/- रूपये का अर्थदंड एवं धारा 354-डी के तहत 01 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 1000/- रूपयेे अर्थदण्ड एवं पॉक्सों अधिनियम की धारा-7/8 के तहत 03 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000/- रूपये के अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।
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