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Tuesday, November 8, 2022

जीवन में धर्म के बिना मोक्ष का कोई अन्य मार्ग नहीं : मुनिश्री सुप्रभगसार जी महाराज

धर्म के कार्यों में लगाया धन स्वच्छ और निर्मल होना चाएि: मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज


श्रीसिद्ध चक्र महामण्डल विधान का समापन आज, निकलेगी रथयात्रा

शिवपुरी-जब मनुष्य जन्म लिया है तो इसके जीने के तौर-तरीके भी आना चाहिए लेकिन देखने में आ रहा है कि व्यक्ति स्वयं के कार्यों को ना देखे हुए आडंबरों की दुनिया में जी रहा है यह धर्म नहीं है, धर्म को जानना है तो जिन वाणी को श्रवण करें, उसे जानें और सिद्धों के बताए मार्ग पर चलें, निश्चित ही जीवन में यदि मोक्ष का कोई साधन है तो वह है धर्म ज्ञान, इसलिए अपने जीवन को सार्थक बनाने और मोक्ष के लिए धर्म के बिना अन्य कोई मार्ग नहीं मिलेगा, इसलिए सिद्ध चक्र महामण्डल विधान के साथ जहां विश्वशांति महायज्ञ है जो प्रत्येक प्राणी को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। सिद्धों के इस विधान पर आर्शीवचन दिए मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने जो स्थानीय श्रीदिगम्बर जैन मंदिर पर आयोजित श्रीसिद्ध चक्र महामण्डल विधान के दौरान उपस्थित श्रावकों को मंगल प्रवचन दे रहे थे। 

इस अवसर पर चार्तुमास कर रहे मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज भी विराजमान रहे जिन्होंने अपनी वाणी में मनुष्य उसके जीवन का फल कर्मांे पर आधारित बताया, उन्होंने कहा जब अच्छे कर्म होंगें तब निश्चित रूप से जीवन में भी सबकुछ अच्छा होगा, ध्यान रखें कि कभी भी बुरे मन या कर्म से अर्जित राशि को धर्म के कार्यों में ना लगाऐं, यदि धर्म करते हुए धन लगाना है तो स्वच्छ और निर्मल मन के साथ अपनी मेहनत से कमाए हुए फल के रूप में लगाए।

इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन संजीव बांझल के द्वारा प्राप्त किया गया श्रीसिद्धचक्र महामण्डल विधान के प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र.श्रीप्रदीप शास्त्री(पीयूष)जबलपुर के द्वारा विधि-विधान के साथ यह पूजन-कार्य कराया जा रहा है। विधान के महायज्ञ नायक श्रीमती कपूरीबाई-कन्हैया लाल जैन, यज्ञ नायक श्रीमती संपत देवी-जय कुमार जैन, श्रीमती सपना-ऋषभ कुमार जैन, श्रीमती कल्पना-अतुलकुमार, श्रीमती सविता-प्रदीप कुमार लाभार्थी परिवार है जिनके द्वारा समस्ज जैन समाज के लिए सिद्धों को प्राप्त करने वाला सिद्धचक्र महामण्डल विधान 01 नवम्बर से 09 नवम्बर तक मंदिर परिसर में किया गया है। 

कार्यक्रम की शुरूआत प्रात: 6 बजे अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजन एवं विधानश्री 1008 सिद्धचक्र महामण्डल विधान के साथ होती है इसके बाद प्रात: 9 बजे विधान का सानिध्य प्रदान करने वाले चार्तुमास कर रहे प्रसिद्ध मुनिश्री सुप्रभगसार जी महाराज एवं मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के मंगल प्रवचन हुए।

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