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Friday, November 4, 2022

आरटीआई एक्टिविस्ट बैलगाड़ी और ढोल नगाड़ों के साथ पहुँचा नप कार्यालय


शिवपुरी-
आम आदमी को भारत मे सूचना के अधिकार के जरिये जानकारी लेना इतना आसान भी नही है जबकि आरटीआई एक्टिविस्ट को सम्बंधित अधिकारी या विभाग बड़ी मुश्किल से जानकारी देता है  या हिचकते है मिल भी जाती है तो वो भी आधी अधूरी या मिलती ही नही ऐसा ही बैराढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट माखन धाकड़ के साथ हुआ है पहले तो विभाग ने जानकारी देने से मना कर दिया और आरटीआई के आवेदन को कार्यालय में दबा कर रख लिया जिस के बाद आरटीआई एक्टिविस्ट माखन धाकड़ ने विभाग के प्रथम अपीली अधिकारी को अपील की लेकिन यहां भी राह आसान नही थी 

जिस के बाद आरटीआई एक्टिविस्ट माखन धाकड़ ने भोपाल तक का सफर किया तब जाकर जानकारी मिली तो करीब 9 हजार पेज की जानकारी के लिए उनसे करीब 25 हजार रु जमा करवाये गए जबकि यहां जानकारी आम लोगो के हित की थी इसलिये आरटीआई एक्टिविस्ट माखन धाकड़ के पास इतने पैसे की व्यवस्था न होने पर भी कर्ज लेकर पैसे जमा कराए इतने संघर्ष के बाद खाली जेब होने का दर्द तो था लेकिन जानकारी मिलने की खुशी भी थी। माखन नगर परिषद बैराढ़ कार्यालय बैलगाड़ी से पहुंचे। पेज गिनने के लिए चार अपनो को साथ ले गए जिन्हें गिनने में दो घण्टे लग गए। फिर सिर पर कागज लेकर माखन ने स्वयं बैलगाड़ी में रखे और ढोल नगाड़ों के साथ वो अपने कार्यालय के लिए रवाना हुए। बाजार में इस अजीब तरह के जश्न की चर्चा आमजन में बनी हुई है

क्या कहता है कानून
सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 (1) के तहत 30 दिन के अंदर पूर्ण सूचना देने का प्रावधान है। 30 दिन के अंदर सूचना ना मिलने पर एक्ट की धारा 19 (1) के तहत प्रथम अपील देने का प्रावधान है तथा प्रथम अपील का निपटारा 19 (6) के अनुसार 30 दिनों के अंदर होना चाहिए। सूचना नहीं देने पर एक्ट की धारा 20 (1) के तहत जुर्माना लगाने का अधिकार राज्य सूचना आयोग के पास है। एक्ट की धारा 20 (2) के अनुसार सूचना नहीं देने वाले या गलत सूचना देने वाले अधिकारी/कर्मचारी के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार भी राज्य सूचना आयोग के पास ही है। राज्य सूचना आयोग कार्रवाई न करे तो एक्ट में आगे कोई प्रावधान नहीं है।

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