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Saturday, October 1, 2022

बाल विवाह ना सिर्फ बचपन को खत्म करता है बल्कि शिक्षा-स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है : राघवेन्द्र शर्मा


चाइल्ड लाइन टीम को दी कानूनी प्रावधानों की जानकारी

शिवपुरी-बाल विवाह न सिर्फ बचपन को खत्म करता है,बल्कि यह बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। बाल विवाह से केवल लड़के और लड़कियों का विकास ही नहीं, बल्कि उनके परिवार और समुदाय का विकास भी प्रभावित होता हैं। यह गंभीर अपराध है,सामाजिक विकास के लिए इसे मिटाना आवश्यक है। यह बात बीते दिन चाइल्ड लाइन सदस्यों से बाल संरक्षण अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा ने कही। 

गत दिवस नोडल चाइल्ड लाइन कार्यालय में बच्चों से जुड़े कानूनों एक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें चाइल्ड लाइन में कार्यरत स्टाफ एवं वोलेंटियर्स मौजूद रहे। अधिकारी शर्मा ने कहा कि बाल विवाह निषेध कानून विवाह बंधन से आजाद होने की व्यवस्था भी की गई है। यदि बाल विवाह पीडि़त बालक या बालिका अपने बाल विवाह को शून्य घोषित कराना चाहता है, तो महिला 20 वर्ष एवं पुरूष 23 वर्ष की उम्र होने तक अपने विवाह को रद्द कराने के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकता है। इस उम्र से पहले भी अपने संरक्षक या महिला बाल विकास के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसके स्कूल से निकल जाने की संभावना बढ़ जाती है। उसका शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो जाता है। उसके सामने घरेलू हिंसा का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है। 

खुद नाबालिग होते हुए भी उसकी बच्चे पैदा करने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान गंभीर समस्याओं के कारण अक्सर नाबालिग लड़कियों की मृत्यु भी हो जाती है। इस प्रशिक्षण में नोडल चाइल्ड लाइन सिटी कॉर्डिनेटर सौरभ भार्गव, सेंटर कोर्डिनेटर अरुण कुमार सेन, काउंसलर अवतार बानो, टीम सदस्य सुल्तान सिंह, संगीता चब्हाण, मुस्कान शर्मा, मनीषा धाकड़ एवं मुकेश बधेल मौजूद रहे। बाल विवाह पीडि़त लड़कियां आमतौर पर इस कारण हिंसा सहन करतीं है कि अलग रहकर कैसे जीवन यापन करेंगे। उन्हें नहीं मालूम होता कि कानून में बाल विवाह पीडि़त को विवाह रद्द कराने के साथ भरण पोषण प्राप्त करने का भी अधिकार है।

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