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Friday, October 7, 2022

साधक के जीवन का सबसे बड़ा दिन होता है दीक्षा दिवस : मुनिश्री सुप्रभसागर जी महारा




आचार्य शांतिसागर जी महाराज महोत्सव में मनाया गया मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज का दीक्षा उत्सव

शिवपुरी- धर्म के मार्ग पर चलने वाले प्रत्येक मनुष्य के जीवन में वह दिन सबसे बड़ा होता है जब उसका दीक्षा दिवस होता है आज हम आचार्य श्रीशांतिसागर जी महाराज का व्यक्तित्व परिचर्चा कार्यक्रम मना रहे है जिसमें यह बड़ा संयोग है कि शिवपुरी में ही चार्तुमास कर रहे मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज का 7वां दीक्षा दिवस भी आज ही है इस पावन अवसर पर मुनिश्री के परिजन, स्नेहीजन एवं मित्र आदि का शामिल होना भी मुनिश्रीदर्शितसागर जी महाराज के जीवन का सबसे बड़ा दिन है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में इस दिन को सदैव स्मरणीय बनाना चाहता है। दीक्षा विषय को लेकर उक्त आर्शीवचन दिए श्रीदिगम्बर जैन मंदिर में चार्तुमास कर रहे प.पू.मुनिश्री सुप्रभगसार जी महाराज ने जो इन दिनों मनाए जा रहे आचार्य श्रीशांतिसागर जी महाराज के व्यक्त्तित्व परिचर्चा कार्यक्रम के दौरान चार्तुमास में शामिल मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के दीक्षा दिवस पर समस्त जैन समाज को धर्मलाभ से लाभान्वित करा रहे थे। यहां श्रीदिगम्बर जैन समाज के विभिन्न जिनालयों के पदाधिकारी व महिला संगठनों एवं युवा संगठनों के द्वारा मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज का दीक्षा दिवस गुरू उपकार दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत मंगलाचरण से हुई तत्पश्चात आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज एवं मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के जीवन से ओतप्रोत चित्र का अनावरण किया गया। कार्यक्रम में शामिल मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के परिजनों का बहुमान श्रीदिगम्बर जैन समाज के द्वारा किया गया। यहां परिजनों के द्वारा ही मुनिश्रीदर्शितसागर जी महाराज एवं मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज के पाद प्रक्षालन किए गए साथ ही यहां दोनों ही मुनिश्री के प्रति समर्पण भाव से दीक्षा दिवस को गुरू उपकार दिवस के रूप में मनाते हुए श्रद्धा और भक्तिभाव से लाभार्थी नरेश कुमार, अर्जित कुमार परिवार द्वारा दोनों मुनियों के लिए स्फुटिक मणि की माला एवं संयम का उपकार रूपी कमण्डलु भेंट कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। साथ ही यहां मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के परिजनों में श्रेयांश भैया के द्वारा पुनार्यजन स्वरूप राशि 11 हजार रुपये दान की गई। इसके साथ ही यहां मुनिश्री के दीक्षा कार्यक्रम में शामिल परिजनों एवं लाभार्थी परिवार ने विनयांजलि स्वरूप उपहार देते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके अलावा पारस महिला मंडल की ओर से भी उपहार दिया गया। श्रीदिगम्बर जैन समाज की सभी जिनालय की कमेटी के प्रमुखों द्वारा सामूहिक रूप से अर्ध समर्पण किया गया। शास्त्रदान-पाठशाला की बहिन, बेटियो सहित अन्य महिला संस्थाओं पारस महिला मंडल, हैप्पी ग्रुप व अन्य के द्वारा भेंट किया गया। मंदिर कमेटी प्रमुख राजकुमार जैन जड़ीबूटी वाले, रामदयाल जैन, प्रेमचंद जैन, टीटू जैन सहित अन्य के द्वारा मुनिश्री द्वारा लिखित जीवन के संसार- पुस्तक का विमोचन किया गया जिसमें मुनिश्री की पुस्तक में बच्चों को संस्कार, प्राथमिक शिक्षा के बारे में उल्लेख है।  कार्यक्रम का संचालन संजीव बांझल के द्वारा किया गया।
आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के व्यक्तित्व पर हुई परिचर्चा
कार्यक्रम में आचार्य श्रीशांतिसागर जी महाराज के व्यक्तित्व पर आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए आचार्यश्री के जीवन का वृतान्त सुनाया। यहां आचार्यश्रीजी का उत्तर भारत में विहार पर वक्ता श्रीमती मोनिका-राकेश जैन, आचार्यश्रीजी के चार्तुमास एवं विशेषताऐं पर वक्ता चन्द्रसेन जैन, शिवपुरी, आचार्य श्रीजी द्वारा प्रदत्त मुनि आर्यिका क्षुल्लक एवं क्षुल्लिका दीक्षा का वर्णन वक्ता के रूप में श्रीमती कविता विजय चौधरी के द्वारा किया गया, आचार्यश्रीशांतिसागर जी की पट्टपरम्परा एवं वर्तमान में प्रमुख संघ पर वक्ता राजकुमार जैन शिवपुरी के द्वारा दिए गए।
मुनिश्री दीक्षा दिवस पर समाजजनों ने किए विचार व्यक्त
यहां मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज दीक्षा दिवस को लेकर समाजजनों ने भी अपनी भावनाऐं विचारों के रूप में व्यक्त की जिसमें मुनिश्री के जीवन दर्शन पर पारूल विवेक जैन ने कहा कि मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज तप और ज्ञान के सागर है, आज यहां उनका 7वां दीक्षा दिवस है, ग्रहस्थ जीवन में आप वीरेन्द्र कुमार के नाम से जाने जाते थे, सामाजिक रूप से बड़े-बड़े पद अपनी जन्मस्थली बड़वाह में सम्हाले और जब वैराग्य लिया तब आज ही के दिन मुनि दीक्षा मिली और जो भी नियम लिए वह पालन किये, आपका बच्चों से विशेष प्रेम है और उनमें संस्कारों का बीजारोपण किया है, धर्म समाज की रक्षा करते हुए आप आचार्य शांतिसागर जी महाराज के पदचिन्हों पर चले, संस्कृति से जडऩे की शुरू से पहल रही। इसके अलावा व्यक्तित्व परिचर्चा पर श्रीदिगम्बर जैन छत्री मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष राजकुमार जैन जडीबुटी वाले एवं क्षुल्लक, ऐलक आदि विषयों पर कविता जैन के द्वारा अपना वक्तव्य दिया गया।
बड़वाह से पधारे- मुनिश्री के परिजन- श्रेयांश भैया
मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के दीक्षा दिवस कार्यक्रम में परिजन एवं मित्रगण भी शामिल हुए जिसमें परिजन श्रेयांश भैया के द्वारा बताया गया कि किस प्रकार से संयम के मार्ग पर चलने का फैसला मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज ने लिया जिनके जीवन में जब वर्ष 2016 में दशहरे के पश्चात 7 दीक्षाओ के साथ जैनेश्वरी दीक्षा वर्धमान सागर जी महाराज के द्वारा दी गयी तब मंच पर ही केशलोचन हुआ, उस समय ऐसा भावुक पल था कि हरेक व्यक्ति की आंखों में आंसू आ गए, एक समय था जब जब मुनि जन्मे थे तब संयुक्त 52 लोगो का परिवार था, भोग, विलासिता, वैभवशाली जीवन रहा लेकिन एक पहल में वैराग्य का मार्ग चुनने के बाद वह आध्यात्म के मार्ग पर चल दिए, हम सौभाग्यशाली है कि आज उनके दीक्षा दिवस पर दर्शन लाभ और आर्शीवचन श्रवण का धर्मलाभ प्राप्त हुआ।

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