Responsive Ads Here

Shishukunj

Shishukunj

Thursday, October 13, 2022

नोबल पुरस्कार विजेता कैलास सत्यार्थी की देश के नागरिकों से अपील


 16 अक्टूबर शाम 5 बजे दीप जलाकर बाल विवाह की खिलाफत का संदेश दें

शिवपुरी- सदियों से समाज में बाल विवाह नामक बुराई मौजूद है। कानून में इसे गंभीर सामुहिक अपराध माना गया है। यह बेहद दुखद बात है कि समाज इसे न बुराई मानता है, न अपराध, बल्कि इसे परंपरा और रिवाज का नाम दिया जाता है। बाल विवाह सामाजिक विकास की बड़ी बाधा है। यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास का बड़ा अवरोध है। इसे सामुदायिक सहयोग के बगैर नहीं मिटाया जा सकता। पूरे समाज को बाल विवाह नामक सामाजिक अपराध के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है।

   बाल विवाह मुक्त भारत बनाने के लिए सामाजिक सहयोग जरूरी है। जब तक पूरा समाज इसे बुराई और अपराध के रूप में नहीं देखेगा, इसे नहीं मिटाया जा सकता। बाल श्रम, बाल विवाह एवं बाल हिंसा जैसे मुद्दों पर कार्यरत नोवल पुरस्कार प्राप्त सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी 16 अक्टूबर से बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ कर रहे है। उन्होंने देश के नागरिकों से अपील की है कि 16 अक्टूबर को शाम 5 बजे अपने आसपास किसी सार्वजनिक स्थल पर एकत्रित होकर एक दीपक या मोमबत्ती जलाकर बाल विवाह के खिलाफ एकजुटता का परिचय दें।

- बाल विवाह पीड़ित नहीं जानतीं विवाह का मतलब

बाल विवाह के बंधन में बंधने वाली अधिकतर लड़के- लड़कियों को विवाह का मतलब भी पता नहीं होता। वे अबोध लड़कियां नहीं जानती कि उनके हाथों में रचाई गई मेहंदी, पैरों के बिछुए और शादी का जोड़ा ऐसी आग है,जिसमें उनके सारे सपने खाक होने वाले है। कितना दुखद है यह बताना कि तरक्की के पथ पर बढ़ते भारत में आज भी 100 में से 23 लड़कियों का विवाह 18 साल की उम्र पूरी करने से पहले हो जाता है।

- संकल्प की लो जलाएं

बाल संरक्षण अधिकारी शर्मा ने कहा कि अगर हम सब एकजुट हो जाएंगे तो यह अपराध गुजरे जमाने की बातें बन जायेगा। जरा उस दृश्य की कल्पना किजिए, जब देश के हजारों गांवों और शहरों में लाखों लोग अपने मन में संकल्प की आग और हाथों में रोशनी की लौ लेकर साथ बाल विवाह मुक्त भारत का संकल्प लेंगे। 16 अक्टूबर की शाम जब आसमान में एक सूरज अस्त हो रहा होगा, तब दूसरा सूरज भारत की धरती से उग रहा होगा।

- बाल विवाह के खिलाफ जिले में पहले से चला रहे है अभियान 

बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि जिले में बाल विवाह की समाप्ति के लिए हम प्रयत्नशील है। कोविड काल में भी जिले में बड़ी संख्या में बाल विवाह रोके गये। सामुदायिक जागरूकता के लिए भी विभिन्न प्रयास किये जा रहे है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी लोगों को इस अपराध के लिए जोड़ा गया है। जनवरी 2018 से "बाल विवाह मुक्त भारत" नाम से एक फेसबुक पेज संचालित कर रहे है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से लोग जुड़े है।

No comments:

Post a Comment