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Monday, September 5, 2022

नवकार मंत्र इसलिए महामंत्र है क्योंकि इसमें व्यक्ति नहीं गुणों की पूजा है : बाल मुनि



वार्षिक जाप के अवसर पर जैन मुनि ने कहा कि सामूहिक रूप से की गई धर्म आराधना होती है अधिक प्रभावी

शिवपुरी। जैन धर्म की पहचान है नवकार महामंत्र। स्थानकवासी, मंदिरवासी, तेरापंथी, दिगम्बर आदि सभी जैन धर्म सम्प्रदायों में नवकार मंत्र महामंत्र के रूप में जाना जाता है। यह महामंत्र इसलिए है, क्योंकि इसमें व्यक्ति की नहीं बल्कि गुणों की पूजा है। जैन संस्कृति व्यक्ति निष्ठा से अधिक गुणनिष्ठा को प्राथमिकता देती है। उक्त उदगार प्रसिद्ध जैन संत पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने नवकार महामंत्र के वार्षिक जाप कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि सामूहिकरूप से की गई धर्म आराधना अधिक प्रभावी होती है। इसलिए जैन समाज को माह में कम से कम एक बार नवकार महामंत्र का सामूहिक जाप अवश्य करना चाहिए। कार्यक्रम में आचार्य कुलचंद्र सूरि जी, मुनि कुलरक्षित विजय जी, मुनि कुलधर्म सूरि जी, साध्वी शासन रत्ना श्रीजी, साध्वी अक्षयनंदिता जी ठाणा 6 सतियां भी विराजमान थीं।

पोषद भवन में प्रतिवर्ष पर्यूषण पर्व की समाप्ति के पश्चात बारी-बारी से समाज के एक-एक व्यक्ति द्वारा नवकार महामंत्र के वार्षिक जाप और स्वामी वात्सल्य का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष इस कार्यक्रम के लाभार्थी मंगलचंद्र, शीलचंद्र, शिरीषचंद्र गुगलिया परिवार थे। एक घंटे तक लगातार नवकार महामंत्र के सामूहिक जाप के पश्चात मुनि श्री कुलदर्शन विजय जी ने सामूहिक रूप से की गई धर्म आराधना को उत्कृष्ठ बताते हुए कहा कि व्यक्तिगत रूप से की गई धर्म आराधना प्रभावी होती है। लेकिन सामूहिक  रूप से की गई धर्म आराधना उससे भी अधिक प्रभावी होती है। अनेक पुण्यशाली जीव सामूहिक रूप से धर्म आराधना करते हैं, तो उससे जीवन में सकारात्मकता का आगमन होता है। 

उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र इस मायने में अनूठा है कि इससे ऐसा आभास नहीं होता है कि यह किसी विशेष धर्म का मंत्र है। नवकार महामंत्र में ऐसी सभी भव्य आत्माओं को नमस्कार और प्रणाम किया जाता है। जिन्होंने अपने भीतर के शत्रुओं को जीत लिया है, या सिद्धगति प्राप्त कर ली है अथवा वह किसी भी धर्म के आचार्य, उपाध्याय या मुनि हैं। यह व्यक्तिवादी मंत्र नहीं है। इससे पूर्व समाज के अध्यक्ष राजेश कोचेटा और दशरथ मल सांखला, चार्तुमास कमेटी के संयोजक तेजमल सांखला, डॉ. दीपक सांखला, पंकज जैन, रीतेश जैन, अशोक गुगलिया, निर्मल कर्नावट, संजय मूथा, संजय लुनावत, सुमत कोचेटा, संजय सकलेचा, पारस कोचेटा, भूपेंद्र कोचेटा, शिरीष गुगलिया सहित अनेक जैन धर्माबलंबियों ने जैन संतों को नमन कर उनसे आर्शीवाद लिया। आचार्य कुलचंद्र सूरि जी ने सभी को मांगलिक पाठ का श्रवण कराया।

आचार्य श्री तपस्वी सखलेचा परिवार के निवास स्थान पर पहुंचे, दिया आर्शीवाद
आचार्य कुलचंद्र सूरि जी और पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी आज तपस्वी सकलेचा परिवार के निवास स्थान पर पहुंचे और उन्हें आर्शीवाद दिया। इस परिवार में 18 वर्ष के दीपेश सखलेचा ने 15 उपवास की तपस्या की है। वहीं श्रीमति सुनीता सखलेचा और कु. दीपिशा सखलेचा ने संतिकर्म तप की आराधना कर पुण्य उपार्जित किया है। सखलेचा परिवार ने महाराज श्री के आगमन पर उनका सम्मान किया। सखलेचा परिवार ने तपस्या के उपलक्ष्य में पंच कल्याणक पूजन का आयोजन किया। वहीं स्वामी वात्सल्य का लाभ उठाया। दोपहर में आराधना भवन में शासन माता के गीत हुए।

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