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Thursday, September 8, 2022

दान करने से पुण्य जबकि त्याग करने से विकारों से मिलती है मुक्ति: सिद्धार्थ भैया जी


आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर मे भक्तिभाव से मनाया जा रहा पर्युषण पर्व

शिवपुरी/पोहरी- जैन धर्म के दशलक्षण महा पर्व देश दुनिया सहित पोहरी नगर मे बड़े ही भक्ति भाव से मनाया जा रहे है। पोहरी नगर मे श्रीआदिनाथ दिगंबर अतिशय क्षेत्र किले अंदर एवं श्रीचन्दप्रभु जिनालाय मे सुबह से लेकर शाम तक भक्त भक्ति के रंग मे रंगे हुए है।
प्रेस को जानकारी विज्ञाप्ति में जैन समाज के योगेंद्र जैन पत्रकार नें बताया कि पर्यूषण पर्व के आठवें दिन जैन धर्म के अनुयायियों ने उत्तम त्याग धर्म का पालन किया। 

प्रात:काल में श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर मे भक्ति भाव से भक्त श्री जिनेंद्र देव का अभिषेक करते है अभिषेक के बाद शांतिधारा भी भक्तो द्वारा की जाती है  उसके बाद सामूहिक रूप से महिला पुरुष भगवान श्री जिनेंद्र देव की पूजन अर्चना करते है, शाम को भगवान जिनेंद्र देव की सामूहिक आरती के बाद सांगानेर से पधारे सिद्धार्थ भैया जी द्वारा उत्तम त्याग धर्म के वारे मे बताया गया कि हम सबने अभी 7 धर्म का पालन करते हुए 8 वें उत्तम त्याग धर्म के बारे मे बताया गया, उत्तम त्याग क्या है कहा त्याग धर्म है और दान पुण्य।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति धन को दान करना त्याग समझ लेता है। जबकि दान और त्याग में बहुत बड़ा अंतर है। दान करने से केवल पुण्य मिलता है। यह बाहरी त्याग की श्रेणी में आता है, जबकि आंतरिक त्याग वह होता है, जब अपनी आत्मा से राग, द्वेष, कषाय, अहंकार, लोभ, लालच, आदि का विकार भाव छूट जाए। इस त्याग से ही आत्मा निर्मल पवित्र होती है। इसी तरह उत्तम त्याग धर्म के वारे मे विभिन्न उदाहरण द्वारा धर्म प्रेमियों को समझाया गया

10 को पोहरी मे श्रीजिनेंद्र देव की शोभायात्रा
पोहरी नगर मे पर्युषण पर्व की समापन के पश्चात् श्रीजिनेंद्र देव की शोभयात्रा बड़े ही धूमधाम से बड़े मंदिर से सुबह निकाली जाती है जो नगर के विभिन्न मार्ग से होते हुए वापिस जैन मंदिर पंहुचेगे, शिवपुरी से वीरसेवा संघ के दिव्यघोष के बाद सुबह 9 बजे से शोभायात्रा शुरू होंगी इस शोभायात्रा मे शिवपुरी, करैरा, रंन्नोद, कोलारस, करैरा, नरवर, बैराड, सिरसौदा,परिच्छा आदि विभिन्न नगर के जैन धर्म प्रेमी शामिल होते है।

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