---------------------------------News Website By 𝐑𝐚𝐣𝐮 𝐘𝐚𝐝𝐚𝐯--------------------------------

𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Shishukunj

Shishukunj

Wednesday, September 14, 2022

विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने लिखा कलेक्टर को खत, बताए प्रोटोकॉल का नियम




जबाब में बताया शासकीय कार्यक्रमों के प्रोटोकॉल नियमों में विधायक होते है पहली प्राथमिकता

राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त मंत्री होते है मनोनीत जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष पंचायत क्षेत्र के ही होते है प्रमुख

शिवपुरी- कोलारस क्षेत्र से विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के द्वारा लगातार जनप्रतिनिधियों के मान-सम्मान और उनकी प्रतिष्ठा को लेकर जिला प्रशासन से शासकीय कार्यक्रमों में भूमिपूजन-शिलान्यास व लोकार्पण कार्यक्रमों में प्रोटोकॉल नियमों के पालन करने को लेकर जिला प्रशासन के द्वारा जानकारी चाही गई थी जिसमें कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी को प्रोटोकॉल नियमों के बारे में उल्लेख करते हुए बताया है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा मध्यप्रदेश राजपत्र(असाधारण) सामान्य प्रशासन विभाग, मंत्रालय, बल्लभ भवन, भोपाल दिनांक 23 दिसम्बर 2011 द्वारा प्रकाशित किया गया है जिसमें सरल क्रं.24 पर संसद सदस्य(विधायक) के उपरांत मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य की स्थिति है, उक्त संबंध में गैजेट नोटिफिकेशन के पृष्ठ क्रं.6 के टिप्पणी क्र्रं.01,6,10 का भी अवलोकन करने का कष्ट करें। 

कलेक्टर ने बताया कि समारोह के अवसर पर वर्तमान में उपरोक्त क्रम का उपयोग किया जा रहा है पर शासन के दिन प्रतिदिन के कार्यों हेतु एवं अनौपचारिक अवसरों पर इसका पालन बंधनकारी नहीं है। इस तरह कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने प्रोटोकॉल नियमों का हवाला देते हुए बताया कि कोई भी शासकीय कार्यक्रम हो उसमें जनता के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि जो कि विधानसभा सदस्य है उन्हें पहली प्राथमिकता प्रदान की जाती है और ऐसे सभी आयोजनों में उनका नाम शिलापट्टिका पर अंकित होना प्रोटोकॉल नियमों के तहत आता है जबकि मप्र शासन के द्वारा विभिन्न मंडलों के अध्यक्ष(राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त) आदि सरकार के द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि होते है साथ ही जिला पंचातय अध्यक्ष पद भी इसी श्रेणी में आता है और जिला पंचायत के तहत होने वाले कार्यक्रमों में भी उन्हें क्षेत्र के प्रमुख तौर माना जाता है। 

ऐसे में विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने प्रोटोकॉल नियमों की जानकारी के माध्यम से जनता को यह अवगत कराया है कि मप्र शासन के राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त होने का यह अर्थ कतई नहीं है कि वह शासकीय प्रोटोकॉल नियमों के तहत प्रथम स्थान रखते है जबकि जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि(विधायक)पहली पंक्ति में होते है और इन्हें गजट में भी शासकीय कार्यक्रमों के भूमिपूजन, शिलान्यास व लोकार्पण कार्यक्रमों में लगाई जाने वाली शिला पट्टिकाओं में भी नाम अंकित होना आवश्यक है। 

बता दें कि अधिकांश क्षेत्र की जनता राज्यमंत्री दर्जा होने के बाद ऐसे प्रतिनिधियों को ही अक्सर कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि का दर्जा दिया जाता है जबकि यह केवल नाम से अंकित होते है परन्तु नियमों और प्रोटोकॉल की बात की जाए तो राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त जनप्रतिनिधि केवल सरकार के मनोनीत प्रतिनिधि होते है जबकि प्रथम और मुख्य रूप से विधायक को ही अधिकांशत: मुख्य अतिथि के तौर पर माना जाना चाहिए।

No comments:

Post a Comment