नौहरी से प्रारंभ होकर बछोरा होते हुए निकली बारातशिवपुरी-शहर के मंशापूर्ण मंदिर पर चल रही श्रीराम कथा के छठवें दिन भगवान श्रीराम का विवाह महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया जिसकी बरात नोहरी से प्रारंभ होकर बछोरा होते हुए मंशापूर्ण मंदिर पहुंची, बारात का ग्रामीणों द्वारा जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया मंदिर परिसर मैं पं.गोपाल कृष्ण शर्मा,पं. अरुण शर्मा,पं.लक्ष्मीकांत शर्मा द्वारा स्वस्तिवाचन मंगलाचरण किया गया।
कथा का वाचन करते हुए साध्वी किशोरी दासी महाराज ने धनुषभंग और राम-सीता विवाह की कथा के प्रसंग का बड़े ही मार्मिक ढंग से वर्णन किया। इस दौरान कृष्णा दीदी द्वारा प्रस्तुत किए गए भजनों पर महिलाएं झूम उठीं। महाराज ने धनुषभंग की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि धनुष अहंकार का प्रतीक है और अहंकार तोडऩा भगवान का सरल स्वभाव है। उन्होंने कहा कि अहंकार के नाश के लिए गुरू कृपा का होना अति आवश्यक है। जब तक जीवन में अभिमान रहेगा। तब तक भगवान की प्राप्ति संभव नहीं है।
भगवान ने स्वयं अवतार लेकर गुरू महिमा का दर्शन करवाया। बिना गुरू कृपा के ज्ञान की प्राप्ति भी संभव नहीं हो सकती। आज की कथा में उन्होंने जनकपुर दर्शन, धनुषभंग, परशुराम संवाद और सीता-राम विवाह का वर्णन किया। सीता-राम विवाह को लेकर पूरे पांडाल को रंग-बिरंगे गुब्बारों और फूलों से सजाया गया था। झुक जइयो तनक रघुवीर, मिथिला नगरिया निहाल हो गई, प्यारे राघव की यह ससुराल हो गई, भजन प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया पं. अमरदीप शर्मा द्वारा विधिवत पूजन-अर्चन कर आरती उतारी।
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