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Friday, September 9, 2022

सागर/ बी.पी.एल. कार्ड बनाने हेतु रिश्वत लेने वाले बाबू को कठोर कारावास


सागर
। न्यायालय-  श्रीमान आलोक मिश्रा विशेष न्यायालय, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर के न्यायालय ने रिश्वत मांगने व रिश्वत लेने वाले तहसील कार्यालय रहली के अभियुक्त बाबू महेन्द्र खरे को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं रू.10000/- अर्थदण्ड एवं धारा 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) में 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं रू.10000/- के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। राज्य शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक विपुस्था लोकायुक्त सागर रामकुमार पटेल के द्वारा की गई।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक-08.10.2015 को आवेदक साहब सिंह ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय सागर को एक लिखित शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया कि उसका तथा उसके मामा के लड़के धीरज सिंह व रामदास के बी.पी.एल. कार्ड बनवाने के लिए ग्राम पंचायत तिखी से फाईल तैयार करवाकर तहसील कार्यालय रहली में करीब तीन माह पहले जमा की थी, बाद में तहसील कार्यालय रहली के बाबू महेन्द्र खरे से मिला तो सभी से 1500-1500 रूपये ले लिये, बाद में दिनांक-06.10.2015 को जब आवेदक बाबू महेन्द्र खरे से मिला तो उसने 3000-3000 रूपये और रिश्वत की मांग की, वह बाबू महेन्द्र खरे को रिश्वत नहीं देना चाहता बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है।

        शिकायत किये जाने पर शिकायत का सत्यापन कराया गया। आरोपी बाबू महेन्द्र खरे के द्वारा आवेदक से रिश्वत राशि की मांग की जाना और रिश्वत राशि लेने के लिए सहमत पाये जाने पर धारा 7 भ्रष्टाचार अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध किया गया और टेªप आयोजित किया गया। ट्रेप दिनांक-10.10.2015 को आरोपी बाबू महेन्द्र खरे ने आवेदक साहब सिंह से 1000 रूपये की रिश्वत राशि ग्रहण की। तत्पश्चात् आरोपी महेन्द्र खरे को रंगे हाथ पकड़ा गया। आरोपी बाबू महेन्द्र खरे की आवाज के नमूने लिये जाकर रिश्वत मांग वार्ता में दर्ज आवाज से उसका मिलान कराया गया जो मिलान होना सही पाया गया। विवेचना के दौरान भ्रष्टाचार अधिनियम धारा 12, 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) का इजाफा किया गया।
        संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। आरोपी के द्वारा विचारण की मांग किये जाने पर माननीय न्यायालय में विचारण प्रारंभ किया गया। विचारण दौरान अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य तथा अभियोजक द्वारा किये गये तर्कों से सहमत होते हुए विद्वान न्यायाधीश महोदय ने आरोपीगण के विरूद्ध संदेह से परे मामला प्रमाणित पाया। फलतः आरोपी को कठोर कारावास से दंडित किया गया। 

नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 वर्ष का कठोर कारावास

सागर। न्यायालय-श्रीमान डीपी सिंह सिवाच अपर सत्र न्यायाधीश, देवरी जिला सागर, के न्यायालय नें आरोपी सोनू पिता रेवाराम आठ्या उम्र 21 वर्ष निवासी जवाहर वार्ड देवरी, जिला सागर म.प्र. को न्यायालय ने धारा 5/6 पॉक्सो एक्ट में दोषी पाते हुए आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 5000 रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। राज्य शासन की ओर से पैरवी वरिष्ठ सहा. जिला लोक अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी, देवरी ने की।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 07.08.2020 को अभियोक्त्री ने थाना देवरी में एक लिखित आवेदन पेश किया जिसमें बताया गया कि अभियोक्त्री की उम्र 14 वर्ष एवं वह कक्षा 10 में पढ़ती है। दिनांक 13.02.2020 को आरोपी सोनू आठ्या ने बन रहे खाली मकान में अभियोक्त्री के साथ गलत काम किया था एवं जान से मारने और बदनाम करने की धमकी दी। इसी डर के वजह से अभियोक्त्री ने घर वालो को कुछ नहीं बताया एवं आरोपी कई बार उसके साथ दुष्कर्म करता रहा। दिनांक 28.07.2020 को रात्रि करीब 12 बजे आरोपी सोनू आठ्या ने अभियोक्त्री को फोन करके पुनः उसी जगह बुलाया एवं नहीं आने पर बदनाम करने की धमकी दी। अभियोक्त्री डर के कारण आरोपी सोनू से मिलने चली गयी। 

आरोपी सोनू ने पुनः जबरदस्ती गलत काम किया, अभियोक्त्री रोई, चिल्लाई तब भी आरोपी सोनू ने नहीं छोड़ा और धमकी दी कि अगर किसी को बताया तो तुम्हारे परिवार को खत्म कर दूंगा और वहां से भाग गया। अभियोक्त्री ने उक्त घटना के बारे मंे अपने माता-पिता को बताया और उनके साथ थाने में आकर एक लिखित आवेदन पेश किया। उक्त आवेदन के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट अंतर्गत धारा 376, 506 भादवि, 5/6 पॉक्सो एक्ट दर्ज की गयी। उक्त प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया, 

विवेचना के दौरान अभियोक्त्री का चिकित्सीय परीक्षण कराया गया, अभियोक्त्री एवं आरोपी का डीएनए परीक्षण सैंपल लिया जाकर एफएसएल भेजा गया। थाना देवरी द्वारा विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया अभियोजन ने विचारण मे अपना मामला आरोपी के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया जहां न्यायालय ने धारा 5/6 पॉक्सो एक्ट में दोषी पाते हुए आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 5000 रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।      

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