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Tuesday, September 20, 2022

कभी मिले हुए दान को व्यर्थ कार्य में ना लगाए, दान का उपयोग मंदिर निर्माण में ही हो : मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज


दान की महिमा के साथ संयम, व्रत, नियम का मार्गदर्शन किया मुनिश्री ने

शिवपुरी-कभी भी जीवन में दान करना चाहिए तो वह बताने की आवश्यकता नहीं, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि कभी भी दान में मिली राशि को व्यर्थ में कार्य में नहीं लगाना चाहिए, मंदिर में मिला हुआ दान मंदिर निर्माण और संरक्षण के लिए ही हो और वहीं उसका उपर्युक्त उपयोग हो, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है, तभी तो मिले हुए दान से मिलने वाला लाभ भी धर्मलाभ होता है इसलिए आवश्यक है कि जब भी कोई दान करें तो मंदिर में ही मंदिर निर्माण के रूप में किया जावे, जब भी कोई दान मिले तो उसका सदुपयोग करें और सही कार्यों में ही उस राशि का उपयोग हो। 

दान की इस महिमा का मार्गदर्शन किया प.पू.मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने जो स्थानीय स्थित श्रीदिगम्बर छत्री जैन मंदिर परिसर में चार्तुमास के दौरान श्रद्धालुओं को दान, व्रत, संयम और नियमपूर्वज जीवन जीने को लेकर आर्शीवचन दे रहे थे। इस दौरान मंदिर परिसर में मौजूद श्रद्धालुओं के लिए मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज के द्वारा दान की महिमा को विभिन्न कथाओं और उदाहरणों के माध्यम से बताया। इसके साथ ही संयमित जीवन जीने के लिए व्रत करना, नियम और संयम धारण करने पर जोर दिया गया। 

इसके साथ ही मुनिश्री ने कहा कि अधिकांश मंदिरों में प्रबंधन के लिए ट्रस्ट बनाया जाता है और इन यहां ट्रस्ट में दी जाने वाली राशि का उपयोग भी दान के रूप में मंदिरों के जीर्णोद्धार में किया जाता है, मंदिर के लिए मिली राशि का उपयोग जहाँ आवश्यकता है वहां लगाना चाहिए, क्योंकि अधिकांश देखा गया है कि पैसे का निर्धारण सही रूप में नहीं किया जाए तो यह विवाद और झगड़े का कारण भी बन जाता है इसलिए पारदर्शिता के साथ मंदिर एवं ट्रस्ट के साथ मिलकर मंदिरों के जीर्णोद्वार एवं व्यवस्थाओं में सहयोग प्रदान करते हुए मिली दान की राशि का उपयोग करें।

बच्चों के जीवन में बदलाव लाने मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज की जारी है पाठशाला
बच्चों के जीवन में आध्यात्मिकता और धर्म-ज्ञान का भी समावेश हो इसे लेकर मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के द्वारा भी बाल्यकाल जीवन जीने वाले बच्चों को धर्म-ज्ञान से जोड़कर आध्यात्मिकता का मार्ग दिखाया जा रहा है उन्हें उनके जीवन में किए जाने वाले कार्यों के अतिरिक्त जिनवाणी के अनुरूप जीने वाले वाले जीवन को भी विभिन्न कहानियां, किस्सों और उदाहरणों के माध्यम से बताया जा रहा है। इस दौरान मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के द्वारा बच्चों की ज्ञानवर्धक पाठशाला भी मंदिर परिसर में लगाई जा रही है जिसमें जैन समाज के बच्चों के द्वारा भी बढ़-चढ़कर भाग लिया जा रहा है।

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