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Saturday, September 17, 2022

गृहस्थ जीवन के साथ-साथ मानव जीवन में आध्यत्म का होना भी है आवश्यक : मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज


जिनवाणी को लेकर महाराजश्री ने दिए आर्शीवचन, 6 से 9 तक मनाया जाएगा शांतिसागर जी महाराज महोत्सव

शिवपुरी- दिन भर काम और उसके बाद परिवार, समाज, देश-धर्म के लिए आवश्याकतानुसार योगदान, निश्चित रूप से मानव अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या को कुछ इसी तरह से व्यतीत करता है, साधु-संत अपने जीवन को आध्यात्म के रूप में चुनकर मोक्ष के मार्ग की ओर चलते है ऐसा नहीं है कि देश-दुनिया से उन्हें मतलब नहीं है बल्कि सांसारिक रूप से यह ज्ञान भी होता है बाबजूद इसके मनुष्य को भी अपने गृहस्थ जीवन के साथ-साथ आध्यात्मिक जीवन को भी जीना चाहिए, यह जीवन में आवश्यक भी है क्योंकि तनाव रहित जीवन में आध्यात्मक का बहुत महत्व है इसलिए आध्यात्मिकता से भी जुड़े और फिर इसके परिणामों को भी देखें, तब एक नया जीवन को आपको देखने को मिलेगा। 

आध्यात्मिकता पर यह आर्शीवचन दिए प्रसिद्ध मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने जो स्थानीय गुरूद्वारा रोड़ स्थित श्रीदिगम्बर छत्री जैन मंदिर परिसर में चार्तुमास के दौरान श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक जीवन से अवगत करा रहे थे। इसके साथ ही यहां जिनवाणी को लेकर भी महाराज ने प्रवचन दिए अैर जिनवाणी से किस प्रकार जीवन में बदलाव आता है ऐसे कई प्रसंगों को श्रवण भी कराया। 

कार्यक्रम में मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के द्वारा भी बाल्यकाल जीवन जीने वाले बच्चों को धर्म-ज्ञान से जोड़कर आध्यात्मिकता का मार्ग दिखाया जा रहा है उन्हें उनके जीवन में किए जाने वाले कार्यों के अतिरिक्त जिनवाणी के अनुरूप जीने वाले वाले जीवन को भी विभिन्न कहानियां, किस्सों और उदाहरणों के माध्यम से बताया जा रहा है। इस दौरान मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के द्वारा बच्चों की ज्ञानवर्धक पाठशाला भी मंदिर परिसर में लगाई जा रही है जिसमें जैन समाज के बच्चों के द्वारा भी बढ़-चढ़कर भाग लिया जा रहा है।

6 से 9 अक्टूबर तक मनाया जाएगा शांतिसागर जी महाराज का महोत्सव, बैठक आज
कार्यक्रम का संचालन कर रहे संजीव बांझल ने बताया कि आगामी 6 से 9 अक्टूबर तक श्रीदिगम्बर छत्री जैन मंदिर परिसर में चार्तुमास कर रहे मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज एवं मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के पावन सानिध्य में प्रसिद्ध प.पू.मुनिश्री शांतिसागर जी महाराज का महोत्सव भी बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। जिसमें जैन समाज की विभिन्न महिला-पुरूष शाखाओं के द्वारा अनेकों कार्यक्रम आयोजित किए जाऐंगें। बच्चों के द्वारा भी सांस्कृति कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी। इस भव्य महोत्सव को मनाने के लिए 18 सितम्बर रविवार को दोप.2:30 बजे मंदिर परिसर में जैन समाज की विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं समाज बन्धुजनों को बैठक में आमंत्रित किया गया है ताकि रूपरेखा तय कर कार्यक्रमों को आयोजित किए जाने पर विस्तृत चर्चा की जा सके।

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