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Tuesday, September 6, 2022

आत्म शुद्धि के लिये इच्छाओं का रोकना है उत्तम तप : मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज


दशलक्ष्ण पर्युषण महापर्व के छठवें दिन श्रीदिगम्बर जैन छत्री मंदिर पर मुनिसंघ ने बताया उत्तम तप धर्म का महत्व

शिवपुरी-मानसिक इच्छायें साँसारिक बाहरी पदार्थों में चक्कर लगाया करती हैं अथवा शरीर के सुख साधनों में केन्द्रिय रहती हैं, अत: शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिये बहिरंग तप किये जाते हैं और मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिये अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन हैं और आत्मशुद्धि के लिए इच्छाओं को रोकना ही उत्तम तप है इस तप में शरीर को प्रसादमय बनाए रखने के लिए छ बहिरंग तप बताए गए है जिसमें अनशन, ऊनोदर, व्रत परिसंख्यान, रस परित्याग, विविक्तशयनासन एवं कायक्लेश, इन्हें अपनाने से आत्मशुद्धि से इच्छाओं को रोककर उत्तम तप की साधना को पूर्ण किया जा सकता है। 

उत्तम तप के इस महत्व को बता रहे थे प्रसिद्ध मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज जो स्थानीय श्रीदिगम्बर जैन छत्री मंदिर पर आयोजित वर्षायोग चार्तुमास के दौरान मनाए जा रहे पर्युषण पर्व के छठवें दिवस पर उत्तम तप धर्म की महत्वता पर उपस्थित श्रद्धालुओं को ज्ञानोपार्जन करा रहे थे। 

इस अवसर पर प्रसिद्ध मुनिश्री दर्षितसागर जी महाराज भी विशेष रूप से मौजूद रहे जिन्होंने भी अपने आर्शीवचनों में चार्तुमास और पर्युषण महापर्व को लेकर धर्मावलंबियों का मार्ग प्रशस्त किया और बताया उत्तम तप धर्म में उपवास के लिये घर, व्यापार के कार्यों का त्याग, पाँचों इन्द्रियों के विषयों का त्याग तथा क्रोधादि कषाय-कलुषित भावों का त्याग होना आवश्यक है, अपने परिणाम शांत नियंत्रित रखें और सामायिक, स्वाध्याय आदि धर्म साधन के कार्य करता रहे, कोई सांसारिक कार्य न करे। यदि विषय और कषाय का त्याग न किया जाये तो वह उपवास नहीं है, वह तो केवल लंघन समझना चाहिए। यहां संगीत की समधुर लहरों के बीच उपस्थित श्रद्धालुओं के द्वारा दशलक्ष्ण महापर्व की पूजा-अर्चना की गई और आयोजन में बड़ी संख्या में समाजजनों ने शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित किया। इसके साथ ही कार्यक्रम में यहां अन्य विशेष पूजा अर्चना भी मुनिश्री संघ के सानिध्य में संपन्न हुई।

आज होगी नृत्य प्रतियोगिता
गुरूद्वारा स्थित श्रीदिगम्बर जैन छत्री मंदिर पर पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व को लेकर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा भी बनाई गई है जिसमें मंगलवार को महिला मंडलों की नृत्य प्रतियोगिता के साथ अब आज 7 सितम्बर बुधवार को नृत्य प्रतियोगिता, 8 सितम्बर गुरूवार को शास्त्र सजाओ एवं पूजन अर्ध सजाओ प्रतियोगिता एवं 9 सितम्बर शुक्रवार को सामूहिक आरती एवं पुरूस्कार वितरण कार्यक्रम होंगें।  

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