जिले भर के साहित्यकारों की पावस गोष्ठी सम्पन्न
साहित्य के क्षेत्र में कार्य करना मेरी अभिरुचि:नेहा यादव
साहित्यिक गतिविधियां रुके नही अनवरत जारी रहे:गणेश जायसवाल
शिवपुरी:विगत कई वर्षों से चल रही शिवपुरी के जिले भर के साहित्यकारों की पावस गोष्ठी रविवार 4 सितंबर को माधव नेशनल पार्क सूचना केंद्र पर सम्पन्न हुई,जिसमे जिले भर के साहित्यकारों की उपस्थिति रही।गोष्ठी में मुख्य रूप से शिवपुरी पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल,जिला पंचायत अध्यक्ष नेहा यादव,एस डी एम गणेश जायसवाल,पत्रकार आलोक इन्दोरिया,नेत्र चिकित्सक एच पी जैन मंचासीन रहे।
इस अवसर पर बोलते हुए शिवपुरी पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है,समाज की दिशा व दशा ठीक करने का कार्य साहित्य ही करता है।साहित्यकारों को आगे आकर जिम्मेदारी का निर्वहन ईमानदारी से करना चाहिए।
जिला पंचायत अध्यक्ष नेहा यादव ने कहा कि में बचपन से ही साहित्य में रुचि रखती हूं,कविताएं सुनती हु।आज आप सभी के बीच मे आकर मेरे मन के अंदर छुपा एक साहित्यकार उभर आया है।
शिवपुरी एस डी एम गणेश जायसवाल ने कहा कि शिवपुरी आकर मुझे पता चला कि ये चंचल जी,विरही जी राजीव जी,उपमन्यु जी,चुन्नीलाल सलूजा जी की भूमि रही है।साहित्य ने इतना पुराना वास्ता शिवपुरी का रहा है।यहां साहित्यिक गतिविधियां चलती रहनी चाहिए।
इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद की और से वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मान भी किया गया।मंचासीन अतिथियों के अतिरिक्त साहित्य परिषद के प्रांत महामंत्री आशुतोष शर्मा,प्रान्त मीडिया प्रभारी जयपाल जाट,जिलाध्यक्ष प्रदीप अवस्थी व पावस गोष्ठी संयोजक विकास शुक्ल प्रचंड ने शिवपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार आलोक इन्दोरिया,डॉ एच पी जैन,सुकून शिवपुरी, इशरत ग्वालियरी,मुकेश अनुरागी,राम पंडित,राकेश सिंह,रामकृष्ण मौर्य,सतीश दीक्षित किंकर बैराड़ का सम्मान उनके साहित्यिक योगदान के लिए शॉल श्रीफल व स्मृति चिन्ह देकर किया गया।पुलिस अधीक्षक ,जिला पंचायत अध्यक्ष,एस डी एम शिवपुरी का भी सम्मान किया गया।
दो सत्रों में पावस गोष्ठी चली प्रथम सत्र में शिवपुरी के साहित्यकारों कवियों ने अपनी अपनी रचना कवि विकास शुक्ल प्रचंड के संचालन में प्रस्तुत की।दूसरे सत्र का संचालन आशुतोष ओज ने किया।
शिवपुरी के आदित्य शिवपुरी ने
मां ने कहा कि यह बता जन्नत कहां पर है
मैंने कहा कि नक्शे पर तेरा घर जहां पर है।
इशरत ग्वालियरी ने
प्रश्नों की बौछार करें हैं देखके दुख होवे
अब बच्चे हद पार करे हैं देखके दुख होवे
विजय भार्गव ने
आदर्शों की बात आज के युग में ठाकुर सुहाती है राम राज्य के इंतजार में उम्र गुजरती जाती है।
रामकृष्ण मौर्य ने
कष्ट में भी मुस्कुराना आ गया राग उल्फत गुनगुनाना आ गया।
सलीम बादल ने
मोहब्बत का जमाना चाहता हूं अदावत को मिटाना चाहता हूं
त्रिलोचन जोशी ने
काम यू दर्द में मरहम का वो कर देता है
वक्त कितने भी बड़े जख्म हो भर देता है
मयंक शर्मा बदरवास ने
टूटता हूं बिखरता हूं संभलने को अभी ताउम्र बांकी है
श्याम शास्त्री बदरवास ने
जिन जिन पर शिकस्त लिखी थी , उन सब मैदानों को जीत लिया ...
मुकेश शर्मा बदरवास ने
सत्कर्मों की नाव बनाकर,आगे ही बढ़ना, आगे ही बढ़ना
झूठ की कोई सत्ता नहीं है
अरुणेश रमन शर्मा ने
मन की व्यथा को बिठा दो कहीँ
मनाने मेँ उनको वक्त जाया न हो।
इंद्र सिंह खनियाधाना ने
तल्ख जुवां ना अपनी रख। सीने में कुछ गर्मी रख।
सुकून शिवपुरी ने मेरी जान शिवपुरी में,पहचान शिवपुरी में,
डॉ एच पी जैन ने आओ हम मिलकर सब ऐसा गीत गाये,जिसे गाये ये फिजाये
व राम पंडित ने अपनी हास्य रचना प्रस्तुत की।इनके अलावा आशीष पटेरिया,अजय गौतम,प्रदीप अवस्थी, इंदर मेहता,ज्योति गुप्ता,एकता शर्मा,हरीश हर्षित,योगेंद शुक्ला,अवधेश सक्सेना,जयपाल जाट,सतीश दीक्षित किंकर,ब्रजेश अग्निहोत्री, उर्वशी शर्मा व बाल कवि नव्य शर्मा पांच वर्षीय जार्विष शर्मा ने भी अपनी कविता प्रस्तुत की।आभार पत्रकार व साहित्यकार ब्रजेश तोमर ने ज्ञापित किया।
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