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Saturday, September 17, 2022

सत्ता का दुरूपयोग कर करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद बसाए जा रहे कूनो में चीते : अध्यक्ष मोहित अग्रवाल


चीता विस्थापन कार्यक्रम को शहर कांग्रेस ने बताया दिखावटी और कहा ककुपोषण का कलंक तो मिटा ना सके

शिवपुरी-जिस चीते के पर 70 दशक पुरानी राजनीति का जो स्वांग भारतीय जनता पार्टी रच रही है वह सत्ता के मद में चूर होकर सत्ता का दुरूपयोग कर करोड़ों रूपये पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है यदि इन्हीं पैसों से पूरे विश्व में कुपोषण का दंश झेल रहे श्योपुर को कुपोषण रोग से मुक्ति भाजपा सरकार दिलाती तो आज माूसम बच्चे बेमौत नहीं मर रहे होते, लेकिन सरकार ने अपनी मंशाओं को पूरा करने के लिए सत्ता का दुरूपयोग कर चीतों के विस्थापन पर ही करोड़ों रूपये व्यर्थ कर दिए, 

यह विस्थापन सामान्य तरीके से भी हो सकता था और इस राशि का सदुपयोग कर जन सामन्य के हित में उपयोग किया जा सकता है तब शायद सरकार का यह विस्थापन जनता को भी रास आता। चीतों के विस्थापन के लेकर यह रोष प्रकट किया शहर कांग्रेस अध्यक्ष मोहित अग्रवाल ने जिन्होंने अपने प्रेस बयान में श्योपुर के कूनों में बसाए जा रहे चीतों के विस्थापन को लेकर महज दिखावटी कार्यक्रम बताया और करोड़ों रूपये की राशि व्यर्थ बहाए जाने के आरोप लगाए। शहर कांग्रेस अध्यक्ष मोहित अग्रवाल ने मप्र सरकार से मांग की है कि सरकार अब चीता विस्थापन के बाद समय मिले तो वह श्योपुर जिले पर लगे कुपोषण के कलंक को मिटाने का कार्य करें ताकि मासूम नौनिहालों का जीवन सुरक्षित बचाया जा सके।

शहर कांग्रेस ने उठाए सवाल सिंह परियोजना पर बसाए चीते
शहर कांग्रेस अध्यक्ष मोहित अग्रवाल ने प्रेस को जारी बयान में बताया है कि एक ओर जहां सरकार चीता विस्थापन की खुशी मना रही है तो वहीं दूसरी ओर एक तथ्य यह भी स्वीकार करना होगा कि कूनो में सिंह परियोजना के लिए भूमि अग्रिहण की गई थी, अब सरकार यहां सिंह तो नहीं ला सकी लेकिन चीतों को लेकर 70 दशक पुराना चीता विस्थापन पर ढिंढोरा पीटा जा रहा है। पालपुर रियासत काल के भूमि दान करने वालों ने बताया है कि वर्ष 1981 में अधिग्रहण की अधिसूचना जारी हुई थी तब सिंह परियोजना के लिए यह भूमि दानस्वरूप दी गई थी ऐसे में नियमानुसार अधिसूचना के दो साल में अधिग्रहित की गई संपत्ति का अवार्ड जारी करना होता है लेकिन जिल प्रशासन ने लगभग 30 वर्ष वह अवार्ड जारी किया। ऐसे में यहां सिंह के बजाए सत्ताधारी दल भाजपा ने अपनी राजनीैतिक रोटियां सेंकने के लिए सिंह की बजाए चीतों की बसाहट बसा दी। यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है कि योजना को अमलीजामा तक सरकार नहीं पहुंचा सकी और योजना बदलकर उसे अब नया नाम देकर श्रेय की राजनीति की जा रही है।

जिन्होंने भूमि दान की उन्हें ही नहीं किया आमंत्रित, राजघराना परिवार में नाराजगी
शहर कांग्रेस अध्यक्ष मोहित अग्रवाल ने यहां तक कहा कि मध्यप्रदेश के कूनों में नामीबिया से चीतों को लाया जाकर जिस भूमि में बसाया जा रहा है वह भूमि पालपुर राजघराने परिवार के वंशज शिवराज कुंवर, पुष्पराज सिंह, कृष्णराज सिंह, विक्रमराज सिंह, चंद्रप्रभा सिंह, विजयकुमारी आदि के द्वारा दान में दी गई थी और इस चीता विस्थापन कार्यक्रम में भूमि दान करने वाले परिवार को आमंत्रित नहीं किया गया जिससे राजघराना परिवार भी नाराज है। ऐसेे में राजघराने के वंशजों का दावा है कि जब जमीन ली गई थी जब गुजरात के शेरों को बसाया जाना था पर अब विदेशों से चीतों को यहां लाकर रखा गया है, ऐसे में अब पालपुर के राजघराने परिवार ने अपनी भूमि को ही वापस मांग लिया है और यह मामला माननीय न्यायालय में पहुंच गया है जहां श्योपुर में पालपुर राजघराने की ओर से श्याुपेर जिले के विजयपुर अतिरिक्त सत्र न्यायालय में ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना संबंधी याचिका पहुंची है जहां इसकी सुनवाई 19 सितम्बर को होगी।

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