भागमभाग जिंदगी के बीच एकाग्रचित्त मन के लिए मुनिश्री ने दिए आर्शीवचनशिवपुरी- कहीं ना कहीं आज के समय में व्यक्ति अपने कार्यांे को लेकर भागमभाग जिंदगी जी रहा है लेकिन इस जीवन को सार्थक करने के लिए उसे ज्ञान का मार्ग भी होना चाहिए और यह ज्ञान हासिल करने के लिए एकाग्र मन की आवश्यकता है जब एकाग्रचित मन नहीं होता तब तक जीवन में व्यक्ति भले ही कितनी भागमभाग कर लें लेकिन उसे सुकुन नहीं मिलने वाला, इसलिए आवश्यक है कि कुछ समय आध्यात्म की ओर भी लगाऐं, एकाग्र मन से भी ईश्वर का स्मरण करें ताकि परमपिता परमात्मा के सम्मुख पहुंचने का यह अवसर प्रत्येक व्यक्ति प्राप्त कर सके।
एकाग्र मन और चित्त को लेकर यह आर्शीवचन दिए स्थानीय श्रीदिगम्बर छत्री जैन मंदिर में चार्तुमास कर रहे मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने जो स्थानीय मंदिर परिसर में आयोजित धर्मसभा के माध्यम से श्रद्धालुओं के लिए ज्ञान का मार्ग प्रशस्त कर रहे थे। इस अवसर पर मंगलाचरण रामदयाल जैन (मावावाले)के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कई जिज्ञासाओं का समाधान भी मुनिश्री सुप्रभसागर जी के द्वारा आर्शीचनों के दौरान किया गया। यहां मौजूद महिला-पुरूष पृथक-पृथक प्रवचनों के माध्यम से जीवन के गूढ़ रहस्यों को जानने का प्रयास मुनिश्री के सानिध्य में करते हुए नजर आए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिला-पुरूष श्रद्धालुजनों ने मुनिश्री के आर्शीवचनों का धर्मलाभ प्राप्त किया।
बच्चों को ज्ञान और आध्यात्म का मार्ग प्रदान कर रहे मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज
एक ओर जहां पुरूष-महिला वर्ग प्रतिदिन चार्तुमास के दौरान मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज के आर्शीवचनों का धर्मलाभ प्राप्त कर रहे है तो वहीं सायंकाल के समय मंदिर परिसर में ही चार्तुमास कर रहे मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के द्वारा बच्चों की पाठशाला ली जा रही है जिसमें मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के द्वारा बच्चों को ज्ञान और आध्यात्म का मार्ग प्रदान करते हुए उनके भविष्य को देखते हुए विभिनन कथाओं, उदाहरणों के माध्यम से ज्ञानवर्धक शिक्षा प्रदान की जा रही है। बच्चे भी बढ़-चढ़कर इस पाठशाला में पहुंचकर संस्कार और अनुशासन के साथ-साथ ज्ञान रूपी शिक्षा प्रदान करने वाले मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज का पावन सानिध्य प्रतिदिन पाठशा में शामिल होकर प्राप्त कर रहे है।
बच्चों को ज्ञान और आध्यात्म का मार्ग प्रदान कर रहे मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज
एक ओर जहां पुरूष-महिला वर्ग प्रतिदिन चार्तुमास के दौरान मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज के आर्शीवचनों का धर्मलाभ प्राप्त कर रहे है तो वहीं सायंकाल के समय मंदिर परिसर में ही चार्तुमास कर रहे मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के द्वारा बच्चों की पाठशाला ली जा रही है जिसमें मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के द्वारा बच्चों को ज्ञान और आध्यात्म का मार्ग प्रदान करते हुए उनके भविष्य को देखते हुए विभिनन कथाओं, उदाहरणों के माध्यम से ज्ञानवर्धक शिक्षा प्रदान की जा रही है। बच्चे भी बढ़-चढ़कर इस पाठशाला में पहुंचकर संस्कार और अनुशासन के साथ-साथ ज्ञान रूपी शिक्षा प्रदान करने वाले मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज का पावन सानिध्य प्रतिदिन पाठशा में शामिल होकर प्राप्त कर रहे है।
No comments:
Post a Comment