श्री दिगम्बर जैन छत्री मंदिर पर मुनिश्री से धर्मसभा में कराया अधिकारों व कर्तव्यबोध का ज्ञानशिवपुरी-यदि कोई जीवन में सफल होता है तो उसकी पहचान है उसका कर्तव्यबोध होना और अधिकारों को पहचानना क्योङ्क्षक अधिकार कभी छीने या मांगे नहीं जा सकते यह तो प्राप्त किए जा सकते है और अपने कर्तव्यबोध के माध्यम से अपने अधिकारों को प्राप्त करने वाला कभी असफल नहीं होता, यह उसके व्यक्तित्व की पहचान होते है। कर्तव्यबोध और अधिकारों का यह ज्ञान मार्गदर्शित किया श्री दिगम्बर जैन छत्री मंदिर पर आयोजित धर्मसभा में चार्तुमास कर रहे मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने जो मंदिर परिसर में उपस्थित श्रद्धालुओं को आर्शीवचन देकर अधिकारों का ज्ञान व कर्तव्यबोध का मार्ग प्रशस्त कर रहे थे। इस दौरान मुनिश्री के द्वारा मनुष्य को 8 कषायों(विकारों) से भी दूर रहने का ज्ञान प्रदाय किया गया। धर्मसभा के प्रारंभ से पूर्व मंगलाचरण समाजसेवी रामदयाल जैन (मावा वाले) के द्वारा की गई जबकि दीप प्रज्जवलन हर्ष जैन के द्वारा किया गया।
इन 8 विकारों से दूर रहने का दिया संदेश
श्री दिगम्बर जैन छत्री मंदिर में चार्तुमास कर रहे मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने अपने आर्शीचनों में मनुष्य को 8 प्रकार के कषायों(विकारों) से दूर रहने का संदेश दिया जिसमें उन्होंने बताया कि प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में मुख्य रूप से 8 विकारों से दूर रहना चाहिए इसमें हिंसा, काम, क्रोध, लोभ, मोह, माया, परिग्रह, झूठ यह ऐसे विकार है यदि मनुष्य के जीवन में आ जाए तो उसका जीवन कष्टमय हो जाता है इसलिए इन विकारों से बचें और धर्म, परोपकार के कार्यों को आगे बढ़ाने में योगदान दें। इन कार्यों से धर्म की प्रभावना बढ़ती है और धर्म की प्रभावना बढ़ाने में जिन धर्म और जैन समाज को जैन धर्म के बारे में बताना ही प्रभावना है, जिन धर्म की रक्षा हो, मुनियों का संरक्षण और अपना कर्तव्य निभाकर सभी के कार्य में सहभागी बनें, ऐसे कार्य किए जाए तो इन विकारों से बचा जा सकता है इसलिए भक्ति करें, मुनियों से आर्शीवाद लें और धर्म की प्रभावना केा बढ़ाने में अपना अमूल्य योगदान दें।
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