चमकीली और महंगी शिक्षा के नाम पर बच्चों के मौलिक अधिकारोंं का हो रहा हनन : न्यायाधीश अर्चनासिंहशिवपुरी। स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा जनहित में जारी न्यूज़ बस्ते के बोझ तले बचपन दिनांक 15 जुलाई 2022 के संबंध में जन उपयोगी सेवाओं की लोक अदालत शिवपुरी की प्रभारी अधिकारी अर्चना सिंह जिला न्यायाधीश सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शिवपुरी ने विषय की संवेदनशीलता को देखते हुए शिक्षा के नाम पर मासूम बचपन के साथ होने वाले खिलवाड़ को रोकने के लिए मंगलवार को दोपहर 3 बजे शिक्षा विभाग से जिला शिक्षा अधिकारी संजय श्रीवास्तव एवं प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक ठाकुर एवं राजकुमार शर्मा के साथ बैठक ली।
बैठक में माननीय राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर की मंशा के अनुरूप एवं भारत सरकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी स्कूल बैग पॉलिसी 2020 का कठोरता से पालन कराने हेतु चर्चा की। बैठक में श्रीमती सिंह ने वर्तमान में शासकीय व प्राइवेट स्कूल द्वारा स्कूल बैग के संबंध में किन मानकों के तहत स्कूल प्रशासन काम कर रहा है एवं स्कूल बैग पॉलिसी 2020 के संबंध में वर्तमान में अब तक कोई कदम क्यों नहीं उठाए गए संबंध में चर्चा की।
बच्चों के बचपन को स्कूल के बोझ तले दबाया नहीं जा सकता
बैठक में श्रीमती अर्चना सिंह ने बताया कि शिक्षा के नाम पर बच्चों के बचपन को स्कूल बैग के बोझ के तले नहीं दबाया जा सकता सामान्यत: देखा जा रहा है कि बच्चा सुबह 6 बजे घर से निकल कर दोपहर 2 से 3 बजे तक स्कूल में रहता है। अपने वजन से कई गुना कॉपी पुस्तकों के वजन धोता है घर आने तक बदहाल अवस्था में ना खाने की सुध ना सोने की सुध रही थी लगता है कि चमकीली और महंगी शिक्षा के नाम पर बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है उनकी सुकुमार अवस्था का शोषण हो रहा है।
स्कूल बैग पॉलिसी 2020 का पालन सुनिश्चित कराने के दिए निर्देश
समस्त स्कूल संचालकों को निर्देश देते हुए श्रीमती अर्चना सिंह ने बताया कि स्कूल शिक्षा विषय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 22, बी के अनुसार जनोपयोगी सेवाओं का विषय है परिणाम स्वरूप समस्त शासकीय प्राइवेट स्कूलों को तत्काल में भारत सरकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी स्कूल बैग पॉलिसी 2020 का पालन सुनिश्चित कराने हेतु आवश्यक सक्षम प्रयास कराने के निर्देश दिए गए जिससे कि बालक अपने भविष्य हेतु आवश्यक शिक्षा प्राप्त करते हुए अपने खूबसूरत बचपन को भी जी सकें।
बच्चों के बचपन को स्कूल के बोझ तले दबाया नहीं जा सकता
बैठक में श्रीमती अर्चना सिंह ने बताया कि शिक्षा के नाम पर बच्चों के बचपन को स्कूल बैग के बोझ के तले नहीं दबाया जा सकता सामान्यत: देखा जा रहा है कि बच्चा सुबह 6 बजे घर से निकल कर दोपहर 2 से 3 बजे तक स्कूल में रहता है। अपने वजन से कई गुना कॉपी पुस्तकों के वजन धोता है घर आने तक बदहाल अवस्था में ना खाने की सुध ना सोने की सुध रही थी लगता है कि चमकीली और महंगी शिक्षा के नाम पर बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है उनकी सुकुमार अवस्था का शोषण हो रहा है।
स्कूल बैग पॉलिसी 2020 का पालन सुनिश्चित कराने के दिए निर्देश
समस्त स्कूल संचालकों को निर्देश देते हुए श्रीमती अर्चना सिंह ने बताया कि स्कूल शिक्षा विषय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 22, बी के अनुसार जनोपयोगी सेवाओं का विषय है परिणाम स्वरूप समस्त शासकीय प्राइवेट स्कूलों को तत्काल में भारत सरकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी स्कूल बैग पॉलिसी 2020 का पालन सुनिश्चित कराने हेतु आवश्यक सक्षम प्रयास कराने के निर्देश दिए गए जिससे कि बालक अपने भविष्य हेतु आवश्यक शिक्षा प्राप्त करते हुए अपने खूबसूरत बचपन को भी जी सकें।
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