अवधेश का जन्मदिवस कवि गोष्ठी के साथ मना
शिवपुरी- शिवपुरी के जाने-माने साहित्यकार, कवि,शायर अवधेश सक्सेना का जन्मदिन इंदिरा नगर स्थित उनके निवास पर शहर के सभी साहित्यकारों ने धूमधाम से मनाया इस अवसर पर एक कवि गोष्ठी का आयोजन भी किया गया कवि गोष्ठी में मुख्य अतिथि जनाब इशरत ग्वालियरी विशिष्ट अतिथि सुकून शिवपुरी अध्यक्ष उर्दू अकादमी जिला शिवपुरी एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अध्यक्ष प्रदीप अवस्थी थे कवि गोष्ठी की अध्यक्षता श्रीमती चंदर मेहता ने की कवि गोष्ठी का प्रारंभ मां सरस्वती के पूजन माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ ।
मंचासीन अतिथियों एवं उपस्थित सभी साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों का स्वागत अवधेश सक्सेना द्वारा किया गया । स्वागत भाषण एडवोकेट सत्येंद्र सक्सेना द्वारा दिया गया जिसमें उन्होंने इंजीनियर अवधेश सक्सेना के व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया बदरवास से पधारे उभरते हुए गीतकार एवं भजन गायक पंडित मुकेश शर्मा ने सरस्वती वंदना का सस्वर गायन किया उपस्थित सभी कवियों शायरों ने इंजीनियर अवधेश सक्सेना का माल्यार्पण कर स्वागत एवं सम्मान किया ।
कवि राकेश भटनागर भ्रमर ने गिरिराज जी की परिक्रमा पर सुंदर गीत सुनाया "चले चलो सैया अब परिक्रमा कर आवैं, मन भयो बेचैन कान्हा हमें बुलावें " श्री राकेश भटनागर भ्रमर की भी आज वैवाहिक वर्षगांठ है इस उपलक्ष में सभी की ओर से उर्दू अकादमी के अध्यक्ष सुकून शिवपुरी ने उनका माल्यार्पण कर स्वागत और सम्मान करते हुए सभी साहित्यकारों की ओर से उन्हें बधाई दी एवं आगामी जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं ।
गीतकार देवेंद्र शर्मा ने नीरज जी की रचना की प्रस्तुति उन्हीं की आवाज और अंदाज में दी " खुशी जिसने खोजी वह धन लेकर लौटा हंसी जिसने खोजी चमन लेके लौटा, मगर प्यार को खोजने जो गया, ना तन लेके लौटा न मन लेके लौटा । " प्रदीप अवस्थी सादिक ने अपनी ग़ज़ल बेहतरीन गजल सुनाई, शेर देखिए "समझौता जिंदगी से करना पड़ा मुझे, हर रोज किस्त किस्त में मरना पड़ा मुझे ।"
बदरवास के भजन गायक कवि मुकेश शर्मा ने छंद मुक्त भावपूर्ण कविता सुनाई " हे मेरे भगवान ये सारी सृष्टि आपने बनाई है, मैंने आपको नहीं देखा, पर हर शक्ल में आपको देखता हूं। " हास्य एवं व्यंग्य के वरिष्ठ कवि राजकुमार सिंह चौहान भारतीय ने अपनी हास्य रचना से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया " आज मिल गए मित्र रसिकलाल, पिचक रहे थे उनके फूले गाल," बदरवास के प्रतिष्ठित कवि घनश्याम शर्मा की मन भावन रचना देखिए "अब तो खुलकर मुझे बरसने दो, अरसों वर्षों से प्यासी धरती की प्यास बुझने दो " शिखर चंद्र जैन शिखर ने सुंदर गीत सुनाया " फूलों में कलियों में है वो, वही बन बागन में, महल झोपड़ी राही पर्वत महके घर आंगन में "
रामकृष्ण मौर्य मयंक की शानदार रचना की कुछ पंक्तियां देखिए "दर्द ही दर्द मोहब्बत में दिए हैं सबने, कम हैं अब जख्म पर मरहम लगाने वाले " शहर के मशहूर संगीतकार त्रिलोचन जोशी ने अपनी शानदार गायन शैली का परिचय हेमंत कुमार के गाए इस गीत के माध्यम से दिया करोड़ों लोग पृथ्वी पर भटकते हैं, करोड़ों आंगन में है अंधेरा, अरे जब तक न हो हर घर में उजियारा, समझना तू कि बाकी है अभी सवेरा, जगत उद्धार में अभी देर है, अभी तो दुनिया में अंधेर है, सूरज रे जलते रहना "
गीत गजलों में अपनी अलग पहचान कायम करने वाले शरद गोस्वामी ने अपनी खूबसूरत ग़ज़ल प्रस्तुत की शेर देखें " जिसको चाहा था जिंदगी की तरह, वो मिला भी तो अजनबी की तरह " शहर के मशहूर शायर सलीम बादल ने अपनी ग़ज़ल इस तरह सुनाई " रफअतें और बुलंदी तुझ पर नाज करें, तेरी यह उम्र खुदा और भी दराज करे, हसीन चेहरों की ताबंदगी मुबारक हो तुझको, यह सालगिरह की खुशी मुबारक हो " शहर के जाने माने वरिष्ठ साहित्यकार एवं एवं मंच संचालक आदित्य शिवपुरी के शेर देखिए " खुद ही हालात समझने की नजर देता है, वक्त कितने भी बड़े हों जख्म भर देता है "
वरिष्ठ शायर याकूब साबिर ने अपने शेर इस तरह कहे "दर्द की दास्तान समझता हूं, आंसुओं की जुबां समझता हूं, मैं तलबगार हूं मोहब्बत का, नफरतों को कहां समझता हूं " मधुर गीतकार राकेश सिंह ने अपना गीत कुछ इस तरह सुनाया " चरागे मोहब्बत जरा तुम जला दो, मेरी जिंदगी के अंधेरे मिटा दो " लोकप्रिय साहित्यकार, नाटककार कवि और शाइर दिनेश वशिष्ठ ने अपनी बेहतरीन शाइरी के कुछ खूबसूरत शेर इस तरह पेश किए " सुकूने दिल की तबाही से हिफ़ाज़त करना, कभी किसी को तहे दिलसे प्यार मत करना " ।
विशिष्ट अतिथि मुशायरों की शान सुकून शिवपुरी ने अपनी बेहतरीन गजल सुनाई "जिंदगी का जिसकी या रब हर कदम कांटो में है, अब तलक वो फूल सी बच्ची मेरी आंखों में है " उपस्थित सभी साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों के सानिध्य में अवधेश सक्सेना के जन्मदिवस का केक भी काटा गया । इस अवसर पर उनकी बेटी अभिरुचि सक्सैना ने "हैप्पी बर्थडे टू यू पापा " गीत सुनाया । मुख्य अतिथि उर्दू गजल के उस्ताद शायर इशरत ग्वालियरी ने अपनी शानदार गजल सुनाई, शेर देखिए " हम फकीरों को तुम ना समझोगे हम जुबां में कमाल रखते हैं, अपने हुलिए पर जाइए ना हुजूर, अपनी गुदड़ी में लाल रखते हैं "
बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी साहित्यकार कवि, शाइर अवधेश कुमार सक्सेना जिनके जन्म दिवस पर यह कवि गोष्ठी आयोजित की गई थी, उन्होंने मां के ऊपर अपनी लोकप्रिय गजल प्रस्तुत की जिसका मतला देखें " मां अगर है साथ अपने, राम का उपकार है । मां बिना बेकार सूना, द्वार घर संसार है ।"
अध्यक्षता कर रहीं शिक्षाविद समाजसेविका श्रीमती चंदर मेहता ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आज के कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए इसे सभी साहित्य प्रेमियों एवं साहित्यकारों के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया एवं इसी तरह आगे भी ऐसे आयोजनों के लिए सुझाव दिया और अपनी एक छंद मुक्त कविता भी सुनाई " वह छोटा सा गांव संकरी सी गलियां, वो खूबसूरत लम्हा ऐसे गुजरा बनके याद मन में समाया । वो नन्हा सा सपना "
अंत में अवधेश सक्सेना ने सभी उपस्थित साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों का हार्दिक आभार प्रकट किया कार्यक्रम का सफल संचालन आदित्य शिवपुरी ने किया एवं इसके पश्चात उपस्थित सभी साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों ने सामूहिक प्रीतिभोज का आनंद लिया ।
कार्यक्रम में फिजिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य साहित्यकार नाटककार फिल्म कलाकार विजय भार्गव, स्कूल संचालक रामलखन धाकड़ एवं विनोद धाकड़ आदि गणमान्य जन भी उपस्थित रहे ।
No comments:
Post a Comment