कवि हरि उपमन्यु और गायक भूपेंद्र को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गईशिवपुरी-भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान शिवपुरी द्वारा गीत ऋषि पदम भूषण गोपाल दास नीरज और शिवपुरी के जाने माने कवि फोटोग्राफर राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक हरि उपमन्यु को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एक दिन पूर्व गायक भूपेंद्र के दु:खद निधन पर उन्हें भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
वरिष्ठ साहित्य प्रेमी देवेंद्र शर्मा द्वारा मां सरस्वती एवं नीरज जी के चित्रों का पूजन, माल्यार्पण किया गया एवं दीप प्रज्वलन किया गया । साहित्यकार, नाटककार, कलाकार एवं संगीत प्रेमी दिनेश वशिष्ठ, विजय भार्गव, त्रिलोचन जोशी, आदित्य शिवपुरी, अशोक सक्सेना, अर्चना सक्सेना, अभिरुचि एवं संस्थान के अध्यक्ष अवधेश सक्सेना की गरिमामई उपस्थिति में कार्यक्रम संपन्न हुआ। त्रिलोचन जोशी और दिनेश वशिष्ठ ने नीरज जी का लिखा हुआ गीत सुनाया फूलों के रंग से, दिल की कलम से, तुझको लिखी रोज पाती, देवेंद्र शर्मा और विजय भार्गव ने ऐ भाई जरा देख के चलो आगे भी नहीं पीछे भी, दाएं ही नहीं बाएं भी, गाना गाकर नीरज जी के साथ राजकपूर की यादें ताजा कर दीं। विजय भार्गव ने एक और गीत सुनाया शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, उसमें फिर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब, होगा यूं नशा जो तैयार वो प्यार है।
अवधेश सक्सेना ने फिल्म शर्मीली का गीत सुनाया ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली, आओ न तरसाओ न दिनेश वशिष्ठ ने हरि उपमन्यु के साहित्य सृजन में रत्नावली पर लिखी पुस्तक का जिक्र करते हुए बताया कि इस पुस्तक को पढऩे पर आंसू नहीं रुकते हैं। आदित्य शिवपुरी ने नीरज जी के गीतों और हरि उपमन्यु जी के साहित्य सृजन के साथ उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। ये प्यासों की प्रेम सभा है, यहाँ सँभलकर आना जी, जो भी आये यहाँ किसी का हो जाए दीवाना जी...। कार्यक्रम का सफल संचालन विजय भार्गव ने किया और समापन पर संस्थान के अध्यक्ष अवधेश सक्सेना द्वारा आभार प्रकट किया गया।
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