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Shishukunj

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Thursday, June 9, 2022

बिरसा मुंडा पुण्यतिथित्न आदिवासियों को उनके 25 साल का क्रांतिकारी और ऐतिहासिक जीवन से अवगत कराया


शक्तिशाली महिला संगठन ने किया जागरूकता कार्यक्रम

शिवपुरी। बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि प्रतिवर्ष 9 जून को होती है। सामंती राजव्यवस्था के विरुद्ध स्वराज की बलिदानी उद्घोषणा करने वाली ऐसी वनवासी आवाज जिसे गोरी हुकूमत अपने अथाह सैन्य बल से कभी झुका न सकी। जिन महान उद्देश्यों को लेकर इस हुतात्मा ने प्राणोत्सर्ग किया, वनवासी समाज मे राष्ट्रीय चेतना की स्थापना की। बिरसा मुंडा के बलिदान दिवस की रस्मी कवायद के बीच ध्यान रखना होगा कि 9 जून 1900 को बिरसा मुंडा की शहादत होती है और 1908 में छोटा नागपुर टेनक्सी एक्ट लागू कर अंग्रेजी हुकूमत ने उन बुनियादी मुद्दों के राजकीय निराकरण की पहल की जिनको लेकर बिरसा ने ब्रिटिश महारानी तक को परेशान कर दिया था।

इसी क्रम में शक्ति शाली महिला संगठन ने आदिवासी बाहुल्य ग्राम चीटोरी खुर्द में भगवान बिरसा मुंडा के जंगल जमीन एवम पानी के लिए लड़ी क्रांतिकारी लड़ाई के बारे में अवगत कराया। प्रोग्राम संयोजक रवि गोयल ने कहा की आज बिरसा मुंडा की पुण्य तिथि पर संवाद प्रोग्राम में किरण कुमार मुबई तिस ने कहा कि नीति आयोग के आंकड़े खुद कहते है कि करीब 60 फीसदी वनवासी शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित है। जिस साहूकारी, जमीदारी,और फारेस्ट एक्ट के विरुद्ध बिरसा मुंडा ने उलगुलान महाविद्रोह का नेतृत्व किया था वह तीनों बुनियादी मुद्दे आज भी वनवासियों के सामने खड़े है। 

अंग्रेजी राज में वनवासियों की जमीन गैर वनवासी के खरीदने पर रोक का कानून बना लेकिन आज मप्र, छतीसगढ़, महाराष्ट्र, यूपी, में लागू अलग अलग भू-राजस्व सहिंताएंं कलेक्टरों को यह अधिकार देती है कि वे अपने विवेक से ऐसी अनुमतियां जारी कर सकते है भारत में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य,रोजगार, आतंकवाद, अल्पसंख्यक,सामाजिक न्याय,भ्रष्टाचार जैसे तमाम विषयों पर राष्ट्रीय, क्षेत्रीय नीतियां बनती रही हैंं लेकिन वनवासी नीति क्यों नहींं बनाई गई है? सिवाय झारखंड को छोड़कर।

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