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Shishukunj

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Saturday, January 15, 2022

मकर सक्रांति पर्व पर आदिवासी ग्राम नीमडांडा में महिलाओं एवं बच्चों को लड्डुओं का वितरण कर मनाया


शिवपुरी
। पूरे देश में मकर संक्रांति को धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के आधार पर मकर संक्रांति का पर्व महत्वपूर्ण होता है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो उसे संक्रांति कहा जाता है, वहीं जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति का पर्व धार्मिक, वैज्ञानिक, आयुर्वेदिक और खगोलीय महत्व रखता है। इन्हीं महत्व के आधार पर राज्यों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग परंपराओं और रीति रिवाज से मनाने की मान्यता है। 

कई लोग मकर संक्रांति को खिचड़ी का पर्व कहते हैं तो कुछ इसे पोंगल नाम से जानते हैं। लेकिन मकर संक्रांति सिर्फ खिचड़ी और पोंगल नहीं, बल्कि कई और नामों से जानी जाती है। यह कहना था शक्तिशाली महिला संगठन के रवि गोयल का जो कि आदिवासी बाहुल्य ग्राम नीम डांडा  में महिलाओं और बच्चों के साथ मकर संक्रांति पर्व लड्डूओं का वितरण अवसर पर बोल रहे थे। 

संस्था द्वारा सबसे पहले साफ -सफाई का महत्व बताया इसके बाद बच्चों एवं महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्र से मिलने वाली सेवाओं का लाभ लेने की नसीहत दी। कार्यक्रम में महिलाओं ने बच्चों को ताजा मुरमुरे, फुल्के, तिल्ली के लड्डू खिलाए फिर उनको गुड़ की गजक एवं रेवड़ी बांटी, इनमें बच्चे लड्डू एवं रेवड़ी पाकर बहुत खुश हुए। इस अवसर पर शक्तिशाली महिला समिति की तरफ  से वर्षा शर्मा, लव  कुमार वैष्णव एवम् सुपोषण सखी सक्रिय भूमिका अदा की।

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