शिवपुरी/पिछोर- 1993 में लक्ष्मीनारायण गुप्ता को पराजित कर पिछोर से विधायक बने केपी सिंह कक्काजू ने आज उनके निधन पर कहा कि यह मेरी निजी क्षति है क्योंकि मैंने सार्वजनिक जीवन की बारीकियां उनसे ही सीखी है। पूर्व मंत्री केपी सिंह ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में बेदाग होकर जीना कोई नन्ना से ही सीख सकता है, उनका जीवन एक खुली किताब की तरह रहा, मैं अक्सर उनसे मिलने जाता था और लौटकर यही धारण करने की कोशिश करता कि पद, प्रतिष्ठा कभी भी इंसान के ऊपर नही होनीं चाहिये। वे जीवन भर पिछोर की तंग गली के मकान में रहते रहे यह एक सन्देश है आजकल के नेताओं के लिए की जिस जनता ने उन पर भरोसा जताया वह उसके बीच आजन्म बने रहे, चाहते तो भोपाल औऱ झांसी में आराम का जीवन जी सकते थे। केपी सिंह ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूँ कि नन्ना ने सक्रिय राजनीति में रहकर क्षेत्र के विकास का जो सपना देखा था उसे पूरा करने का अवसर मुझे मिला है। नन्ना का जाना राजनीति में मूल्यों, शुचिता औऱ जबाबदेही की विरासत की अपूर्णीय क्षति है।
शिवपुरी/पिछोर- 1993 में लक्ष्मीनारायण गुप्ता को पराजित कर पिछोर से विधायक बने केपी सिंह कक्काजू ने आज उनके निधन पर कहा कि यह मेरी निजी क्षति है क्योंकि मैंने सार्वजनिक जीवन की बारीकियां उनसे ही सीखी है। पूर्व मंत्री केपी सिंह ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में बेदाग होकर जीना कोई नन्ना से ही सीख सकता है, उनका जीवन एक खुली किताब की तरह रहा, मैं अक्सर उनसे मिलने जाता था और लौटकर यही धारण करने की कोशिश करता कि पद, प्रतिष्ठा कभी भी इंसान के ऊपर नही होनीं चाहिये। वे जीवन भर पिछोर की तंग गली के मकान में रहते रहे यह एक सन्देश है आजकल के नेताओं के लिए की जिस जनता ने उन पर भरोसा जताया वह उसके बीच आजन्म बने रहे, चाहते तो भोपाल औऱ झांसी में आराम का जीवन जी सकते थे। केपी सिंह ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूँ कि नन्ना ने सक्रिय राजनीति में रहकर क्षेत्र के विकास का जो सपना देखा था उसे पूरा करने का अवसर मुझे मिला है। नन्ना का जाना राजनीति में मूल्यों, शुचिता औऱ जबाबदेही की विरासत की अपूर्णीय क्षति है।
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