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Thursday, December 16, 2021

बैंक कर्मचारी आज से हड़ताल पर, सरकार के निजीकरण के विरोध में उतरे कर्मचारी



शिवपुरी।
यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर 16-17 दिसम्बर को दो दिवसीय बैंक कर्मचारियों ने हड़ताल का आह़वान किया है और इसे लेकर गुरूवार को स्थानीय गुरूद्वारा स्थित भारतीय स्टेट बैंक शाखा पर यूनियन के पदाधिकारी अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार शर्मा तथा ऑल इंडिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एम्पलाईज एसोसिएशन के क्षेत्रीय सचिव संजय वर्मा तत्था ऑफिसर एसोसिएशन के क्षेत्रीय सचिव संतोष शर्मा के साथ अन्य बैंक अधिकारी-कर्मचारियों ने हड़ताल में शामिल होकर इस आह्वान में अपना योगदान दिया।

बताना होगा कि सरकार की बैंकिंग नीतियों और अर्थव्यवस्था को लेकर अगले बजट में प्रस्तावित सुधारों का बैंकिंग सेक्टर में विरोध शुरू हो गया है। और बैंक ऑफिसर्स और कर्मचारी यूनियंस गुरूवार से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए हैं। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में 16 व 17 दिसंबर को बैंक कर्मचारी देशव्यापी हड़ताल करेंगे। यूनाइटेड फोरम ऑफ  बैंक यूनियंस के क्षेत्रीय सचिव संजय वर्मा ने बताया कि इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र की 4 000 से भी अधिक शाखाओं में कार्यरत 25000 अधिकारी व कर्मचारी शामिल होंगे। 

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लेकर आ रही है जिससे भविष्य में किसी भी सरकारी बैंक को निजी क्षेत्र में देने का रास्ता साफ हो जाएगा। बैंक कर्मचारी व अधिकारी सरकार के इस निर्णय के खिलाफ  लामबंद होकर 16 व 17 दिसंबर की दो दिन की देशव्यापी हड़ताल कर रहे हैं।  

इस हड़ताल में गुरूद्वारा चौक बैंक के प्रबंधक गौरव यादव, संजय कबीरपंथी, सीबीआई से सतीश, विनोद, बीओआई सौरभ सक्सैना, हनीसिंह चौहान, पीएनबी अशोक कुशवाह, आईओबी मातादीन, इंडियन बैंक महाजन सर, पूजा मिश्रा, यूनियन बैंक से नायक, बैंक ऑफ बड़ौदा से राजकुमार, सुनील शिवहरे, एसबीआई से डीपी शर्मा, क्षितिज पाठक, राघवेन्द्र तोमर, मोहन शर्मा, सोनम गुप्ता, श्रद्धा तिग्गा, समता, आलोक, संजय मालू, अभिषेक जैन, अंकुर शाक्यवाल, नीरज शर्मा, संजय भीलबाल सहित समस्त अधिकारी-कर्मचारी शामिल रहे।

क्या है हड़ताल की वजह
हाल ही में सालाना बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विनिवेश के ज़रिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी। मोदी सरकार कई सरकारी कंपनियों के साथ-साथ कुछ बैंकों के निजीकरण के ज़रिए इतनी रक़म जुटाएगी। बैंक कर्मचारी संघ वर्तमान सत्र में मौजूदा कानूनों में संशोधन करके दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के सरकार के प्रस्तावित कदम का विरोध कर रहे हैं।

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