इंडिया नहीं भारत कहें : मुनि निरीहसागर महाराजशिवपुरी-पंचकल्याणक में कल का दिन बहुत खास रहा। कल दिनांक 08 दिसम्बर बुधवार को सर्वप्रथम युवराज आदिकुमार की बारात ब?ी धूमधाम के साथ निकाली गई।बारात समाप्ति के बाद विवाहोत्सव मनाया गया। राज्याभिषेक के बाद महाराज आदिकुमार ने जीवन यापन की 72 कलाएं सिखाईं। राज व्यवस्थाए वर्ण व्यवस्थाएंए दंड व्यवस्था आदि दीं। 84 लाख पूर्व की आयु पूर्ण होने के पूर्व एक दिन नृत्य सभा में नीलांजना नामक नर्तकी का मरण होने पर उन्हें वैराग्य हो गया। उंन्होने बारह भावनाओं का चिंतन किया और महाराज आदिकुमार ने दीक्षा के लिए वन प्रस्थान किया उस समय दीक्षा की अनुमोदना के लिये पूरा पांडाल जयकारों से गूँज गयाए और स्वर्ग से लौकान्तिक देवों ने आकर सर्वप्रथम आदिकुमार की पालकी उठाई। तत्पश्चात पूज्य मुनिसंघ द्वारा दीक्षा संस्कार की विधि सम्पन्न कराई गई।
इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री अभयसागर महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा किपूज्यवर अभयसागर जी महाराज ने कहा कि जिसके अंतरंग में आत्महित की भावना होती हैए वह उपयुक्त निमित्त मिलता हैए वह अपना कल्याण कर लिया करता है। सांसारिक भोग लिप्सा में जिसका भाव होता हैए वह मात्र दिखाबे के लिए ही जीता है। कभी स्वयं का कल्याण करने के भाव भी उसके अंदर नहीं आते। मोह और मोक्ष दोनों विपरीत ध्रुव है। आपकी मोह की यात्रा तो अनादि काल से चल रही है। एक बार मोक्ष की यात्रा शुरू हो जाये तो किसी न किसी भव में कल्याण होना भी निश्चित हो ही जायेगा। मुनि श्री प्रभातसागर महाराज ने प्रवचनों में कहा कि आज दीक्षा दिवस का दिवस है। भगवान जो घर पर रहते थेए सब व्यवस्था होने के बाद भी उन्हें घर नहीं रुचा और दीक्षा ले कर वन की ओर चले गए। और उनके मातापिता ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया और साथ में 4000 राजाओ ने भी दीक्षा ली। भगवान ने दीक्षा पूर्व षट्कर्म की स्थापना की। और राज अवस्था में असि.मसी.कृषि का उपदेश दिया। परन्तु आज आपका दुर्भाग्य है कि आज यह व्यवस्था सब समाप्त होती जा रही है। आज व्यक्ति थो?ा सा ज्ञान होता हैए दूसरों को सिखाने लगता हैए जबकि तीर्थंकर कैवल्यज्ञान के धारी होने के बाद भी बोलते नहीं हैं। आप सभी इस पँचकल्याक से कुछ शिक्षा अपने जीवन मे लेंए तभी पँचकल्याक मानना सार्थक हो सकता है।
आज यह होंगें कार्यक्रम
आज 09 दिसम्बर को यहाँ आयोजित होने वाले कार्यक्रम में प्रात: 6:45 बजे अभिषेक.शांतिधारा, पूजन 8:15 बजे मुनिश्री के मंगल प्रवचन। प्रात: 9:15 बजे से मुनि श्री आदिसागर महाराज की आहार चर्याए दोपकर 12:15 बजे ज्ञान कल्याणक महोत्सव मंत्र आराधनाए अधिवासनाए तिलकदानए मुखोद्घाटन, नेत्रान्मीलन, प्राण प्रतिष्ठा, सूरिमंत्र, केवलज्ञान उत्पत्ति, समवशरण, गणधर के रूप में महाराज जी का उद्बोधन। रात्रि 6:30 पर गुरुभक्ति, आरती एवं रात्रि 7:00 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
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