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Friday, December 10, 2021

सोने एवं चांदी के रथों में सवार होकर निकली श्रीजी की रथयात्रा, पंचकल्याणक महोत्सव का समापन



गजरथ यात्रा को देखने उमड़ी भीड़, पंचकल्याणक महोत्सव का समापन

लगातार 6 दिन तक की गई हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा

शिवपुरी। पिछले 6 दिनों से चल रहे पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव का 10 दिसम्बर शुक्रवार को विश्वशांति महायज्ञ एवं गजरथ यात्रा के साथ समापन हो गया। पाषाण से भगवान बनने के इस अनूठे कार्यक्रम में भगवान आदिनाथए भगवान भरत, भगवान वासपूज्य, भगवान मुनिसुव्रत, भगवान महावीर की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित होकत पूज्यनीय हो गईं। जिन्हें जिनालय में विराजमान किया गया। इस महामहोत्सव में गजरथ में 3 गजरथों ने पांडाल के सात चक्कर लगाए। इस दौरान जैन श्रद्धालुओं के साथ हजारों की संख्या में अन्य समाज के लोग भी उपस्थित रहे। 

ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग गजरथ देखने के लिए अयोध्या नगरी गांधीपार्क मैदान पहुंचे। इस दौरान नगर के सभी पत्रकार बंधुओं का सम्मान भी समिति द्वारा किया गया। दोपहर 1 बजे विशाल गजरथ यात्रा का शुभारंभ किया गया। गजरथ यात्रा में सबसे आगेे ऐरावत हाथी पर प्रमुख पात्र विश्व शांति का प्रतीक ध्वज लिए थे चल रहे थे। उनके आगे दिव्य घोष चल रहे थे। तीनों गजरथों में श्री जी की प्रतिमा को लेकर प्रमुख इंद्र सौधर्म, महा यज्ञनायक, राजा श्रेयांश, भरत चक्रवर्ती बाहुबली, यज्ञ नायक, ईशान आदि प्रमुख पात्र चल रहे थे।

हाथियों पर धर्म ध्वजा लेकर वीरेंद्र जैन पत्ते वाले, चिंतामणि बीलारा, देवेंद्र कुमार डिस्पोजल, जिनेश चौधरी चल रहे थे, वहीं रथ सारथी बनने का सौभाग्य मुकेश जैन भंडारी, राकेश जैन आमोल, भीकमचन्द जैन आरआरबी, गजरथ सारथी प्रकाश चंद गंज वाले, जय कुमार जैन सिरसौद वालों को मिला। रथों के आगे पूज्य मुनि श्री अभयसागर जी महाराज, मुनि श्री प्रभातसागर महाराज, मुनि श्री निरीहसागर जी महाराज व श्रद्धालु चल रहे थे। रथों के पीछे अष्ट कुमारियाँ, नाचती.गाती हुई चल रही थी। साथ ही महिला रेजीमेंट व समाज के दिव्यघोंषों के साथ श्रद्धालु नाचते.गाते चल रहे थे। सात परिक्रमा पूर्ण करने के बाद श्री जी की भव्य रथयात्रा प्रारम्भ हुई।

भव्य रथयात्रा निकाली गई

पंचकल्याणक स्थल से श्रीजी की भव्य रथ यात्रा प्रारंभ हुईए जो कस्टम गेटए निचला बाजार ए सदर बाजार गांधी चौकए गुरुद्वाराए होकर पुरानी शिवपुरी जिनालय पहुंचीए जहाँ पाश्र्वनाथ भगवान की प्राचीन मूल प्रतिमा के साथ नवीन प्रतिमाओ को विराजमान किया गया। साथ ही मंदिर जी के शिखरों पर कलशारोहण किया गया। मूल प्रतिमा विराजमान करने का सौभाग्य श्री राकेश कुमार पवन कुमार जैन पुरानी शिवपुरी को प्राप्त हुआ। इस महोत्सव में शिवपुरी के अलावा कोलारस, बदरवास, लुकवासा, सिरोंज, अशोकनगर, गुना, आरोन, ईसागढ़, बामोरकलाँ, खनियाधाना, ललितपुर, ग्वालियर, भोपाल, इंदौर सहित देश के विभिन्न भागों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान सभी कार्यकर्ताओं, पुलिस प्रशासन, पत्रकार बंधुओं और सहयोगी संस्थाओं के सम्मान का कार्यक्रम भी यहाँ आयोजित किया गया। आभार प्रर्दशन पंचकल्याणक के अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू द्वारा किया गया।

नि:स्वार्थ मन से किए कार्य किए जाने पर भी आर्शीवाद देते है प्रभु : मुनिश्री अभय सागर जी महाराज
इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री अभयसागर महाराज ने कहा कि आज समापन का दिन हैए लगभग 6 वर्ष पूर्व जैसी जिनालय की परिकल्पना की थी, उसने साकार रूप ले लिया और इस विशाल कार्यक्रम के सानंद संपन्न होने पर स्वत: ही यह एहसास होने लगता है कि निस्वार्थ मन से कार्य किए जाने पर प्रभु भी आशीर्वाद देते हैं। फिर आचार्य श्री का आशीर्वाद तो दोनों हाथों से मिला ही था और जहां आचार्य भगवन का आशीर्वाद होता है, वहां कार्य सानंद सम्पन्न होता ही है जब कार्यकम सानंद सम्पन्न होता है, ऐसे में अव्यवस्था, असुविधाएं तथा परेशानी चेहरे से गायब हो जाती है और आत्म संतुष्टि तथा समर्पण का भाव आ जाता है। मुनि श्री प्रभातसागर महाराज ने कहा कि इतने बड़े आयोजन में छोटे से छोटे व्यक्ति का समर्पण बहुत मायने रखता है।  

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