संविधान दिवस पर हमें अपने अंदर ज्ञान का दिपक प्रज्जवलित करने की आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ीयों को हमारे देश के संविधान के महत्व को समझ सके -डाक्टर अर्पित बंसल मनो चिकित्सक जिला चिकित्सालय शिवपुरी
शिवपुरी। भारत में 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस मनाया जाता हैए क्योंकि वर्ष 1949 में 26 नवम्बर को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को स्वीकृत किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया। डॉ भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है और संविधान सभा द्वारा पारित करने में लगभग 2 सालए 11 महीने और 17 दिन का समय ले लिया गया।
शक्तिशाली महिला संगठन शिवपुरी द्वारा आदिवासी बाहुल्य पिछड़ा क्षेत्र मदकपुरा में विशाल मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन जिला चिकित्सालय के मनोचिकित्सक डा. अर्पित बंसल के मुख्य आतिथ्य में किया जिसमे कि एक सैकड़ा से अधिक मरीजों की जांच की गई इस अवसर पर डा. अर्पित बंसल ने कहा कि संविधान के जनक डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को याद और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।
संविधान दिवस भारत के संविधान के महत्व को समझाने के लिए प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर के दिन मनाया जाता है। जिसमें लोगो को यह समझाया जाता है कि आखिर कैसे हमारा संविधान हमारे देश के तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है तथा डॉ अंबेडकर को हमारे देश के संविधान निर्माण में किन.किन कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। आजादी के पहले तक भारत में रियासतों के अपने अलग.अलग नियम कानून थेए जिन्हें देश के राजनितिक नियमए कानून और प्रक्रिया के अंतर्गत लाने की आवश्यकता थी।
इसके अलावा हमारे देश को एक ऐसे संविधान की आवश्कता थी। जिसमें देश में रहने वाले लोगों के मूल अधिकारए कर्तव्यों को निर्धारित किया गया हो ताकि हमारा देश तेजी से तरक्की कर सके और नयी उचाइयों को प्राप्त कर सके। संविधान दिवस पर हमें अपने अंदर ज्ञान का दिपक प्रज्जवलित करने की आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ीयों को हमारे देश के संविधान के महत्व को समझ सकेए जिससे की वह इसका सम्मान तथा पालन करें।
इसके साथ ही यह हमें वर्तमान से जोड़ने का कार्य करता हैए जब लोग जनतंत्र का महत्व दिन.प्रतिदिन भूलते जा रहे है। पर्यवेक्षक निवेदिता मिश्रा ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के शरीर में लंबे समय तक खून की कमी बनी रहे तो वह कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है। आंकड़ों के मुताबिकए दुनिया की एक तिहाई आबादी आयरन की कमी से पीड़ित है।
जिस कारण लोग अलग.अलग तरह की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। इनमें सवसे ज्यादा किशोरी बालिकाओं और गर्भवती माताओं में खून की कमी है आज 100 बच्चियों की जांच की गई अधिकत्तर का हीमोग्लोबिन 10 से कम पाया गया जो कि चिन्ताजनक है संस्था की सुपोषण सखी नीलम ने सभी से निवेदन है कि अपने घर पोषण वाटिका जरुर लगाए इसके साथ आयरन की गोली खाए खून की कमी को दूर भगाए जो कि सरकार द्वारा निशुल्क प्रदान की जाती है।
कार्यक्रम में एक सैकड़ा महिला, किशोरी एवं बच्चो के मानसिक स्वास्थ्य की जांच की गई एवं आवश्यक दवाईयां प्रदान की। कार्यक्रम में मदकपुरा शक्तिशाली महिला संगठन की पूरी टीम, सुपोषण सखी श्रीमती निर्मला शाक्य, श्रीमती नीलम प्रजापति, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रजनी वर्मा, सहायिका राधा यादव, आशा कार्यकर्ता के साथ समुदाय की महिलाओ ंएवं किशोरी बालिकाओ ने भाग लिया।
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