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Saturday, November 20, 2021

भारतीय संस्कृति वैज्ञानिकता पर आधारित है : बृजभूषण महाराज



ग्राम रिजोदा में श्रीमद् भागवत कथा में बताया भारतीय संस्कृति का महत्व

शिवपुरी/कोलारस-हमारी भारतीय संस्कृति सनातन परंपरा रूढ़िवादी नहीं है एवं वैज्ञानिकता पर आधारित है प्रात: काल का जागना मनुष्य के लिए अमृत पीने के समान है, प्रात: काल जागने वाला मनुष्य कभी भी जीवन में बीमार नहीं होता, सुबह प्राणायाम करने वाला मनुष्य कभी भी हार्ड अटैक का शिकार नहीं होता, कार्तिक के महीने में प्रात: काल जल में स्नान करने वाला मनुष्य समस्त रोगों से मुक्त होता है, 

हमारी भारतीय परंपरा और सनातन संस्कृति का महत्व है तिलक लगाने से मनुष्य के मस्तक में आज्ञा चक्र जागृत होता है जिससे मनुष्य विद्वान बनता है और मस्तिष्क से संबंधित बीमारिया उसको नहीं होती औरतें मांग में सिंदूर भरती हैं उससे भी मस्तिष्क संबंधी बीमारियां नहीं होती, गले में माला पहनने से गले से संबंधित बीमारियां नहीं होती, जो लोग कहते हैं सनातन संस्कृति रूढ़िवादी है यह सनातन संस्कृति का अपमान करना है। यह प्रवचन कोलारस के समीप ग्राम रिजोदा में चल रही भागवत कथा की तृतीय दिवस पर पंडित श्री बृजभूषण महाराज ने अपनी कथा के दौरान दिए। 

उन्होंने बताया कि सनातन संस्कृति सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में भी फैली हुई है वहां पर भी लोग भगवान की पूजा करते है और जगह जगह पर आज भी भगवान की मूर्तियां मिल रही हैं हमारी संस्कृति होने के प्रमाण मिलते है उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा था जब पृथ्वी के आधे भाग पर सनातन संस्कृति का प्रचार था लेकिन कुछ विदेशी हमलावरों ने हमला करके हमारी संस्कृति को नष्ट किया और हमारे प्रति और हमारे संस्कृति के प्रति हमारी आने वाली पीढयि़ों में इस प्रकार से भ्रम पैदा किया की उनकी श्रद्धा धीरे.धीरे समाप्त होती चली जा रही है। 

आचार्य ने बताया कि सनातन संस्कृति मैं हमारी जड़ी बूटियां हमारी परंपराये हमारी आस्था हमारी नदियां हमारे वृक्ष सब कुछ अनमोल हैं, इनकी जहां तक प्रशंसा की जाए बहुत ही कम है, इसलिए हम अपनी सनातन संस्कृति को ही सर्वश्रेष्ठ माने और उस पर शंका ना करें, उसके बारे में संतों से प्रश्न करें। आचार्य श्री ने कथा के प्रसंग में मुक्ति की कथा कही और आचार्य जी ने विदुर जी का प्रसंग ध्रुव चरित्र, सती चरित्र एवं जड़ भरत की पावन कथा का वर्णन किया और बताया कि मनुष्य को भगवान पर विश्वास होना चाहिए। इस कथा का आयोजन नवल किशोर राठौर रिजोदा वाले करवा रहे यह कथा 25 नवंबर तक होगी।

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