शिवपुरी-आज विद्या निकेतन विद्यालय शिवपुरी में भारत चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर हेमंत यादव बड़ौदी ने श्रद्धांजलि सभा में कहा कि यह युद्ध देश में नहीं पूरे विश्व में ऐतिहासिक था जिसमें हिमालय की पहाड़ी पर रेजांगला नाम की पोस्ट पर 13 कुमायूं रेजीमेंट की एक कंपनी तैनात थी जिसमें 120 सैनिक देश के लिए सर्वस्व देने के लिए तैयार थे जिनमें से 114 वीर अहीर थे।
परिस्थितियां हमारे अनुकूल नहीं थी उस समय इनके पास एक ही रास्ता था मैदान छोड़कर भाग आए या सीने पर गोली खाकर मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दें, हमारे 120 सैनिकों के सामने चीन के 3000 से अधिक सैनिक थे जो गोला बारूद हत्यारों से मजबूत थे, दूसरी तरफ हमारे सैनिकों पर नाममात्र के हथियार थे 600 राउंड गोलियां थी फिर भी हमारे सैनिकों ने जमकर मुकाबला किया। अंत में हमारे गोला बारूद गोली खत्म हो गई, तब अपने बुटो और गुथम, गुथा की लड़ाई में 1200 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।
अंत में उनके सम्मान में चीन वाले अपनी रायफल के ऊपर टोपी सम्मान मैं लगाकर रह गए, हमारे 114 सैनिक शहीद हो चुके थे, 5 लोगों को बंदी बना कर ले गए, वहां से 1 सैनिक ने लौटकर इनकी वीरगाथा को बताया। इसे चीन ने भी माना, सबसे ज्यादा नुकसान रेजांगला नामक स्थान पर हुआ लेकिन दुर्भाग्य से आज 18 नवंबर 1962 के दिन को सरकार शासन प्रशासन द्वारा ऐतिहासिक दिवस के रूप में नहीं मनाया जाता है, ऐसे वीर शहीदों को कोटि कोटि बंदन।
इस श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित साथियों द्वारा अहीर रेजिमेंट की भी मांग की गई। श्रद्धांजलि सभा में गजेंद्र यादव, अनिल कुशवाह, होतम सिंह बघेल, जनक सिंह रावत, नीलम सिंह यादव, दिनेश बघेल, सुरेंद्र धाकड़, शंकर जाटव, केशव यादव, गोलू यादव, दीपक, खड़क सिंह, बल्ले यादव सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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