शिवपुरी। सामजिक क्रांति के जनक महात्मा ज्योतिबा फुले की 131वीं पुण्यतिथि आज ओबीसी समाज के लोगों शिवपुरी के किरार छात्रावास में मनाई गई। इस मौके पर उपस्थित वक्ताओं ने महात्मा ज्योतिबा फुले के कार्यो को याद किया। इस दौरान ओबीसी महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश धाकड़ ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले महज समाज सुधारक ही नहीं बल्कि महान विचारकए कार्यकर्ताए समाज सुधारकए लेखक, दार्शनिक, संपादक और क्रांतिकारी भी थे, उन्होंने जीवन भर नीची जाति, कमजोर महिलाओं और दलितोद्धार के लिए बेशुमार कार्य किया। इस कार्य में उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने भी उन्हें पूरजोर योगदान दिया।
एडवोकेट रामस्वरूप बघेल ने कहा कि ज्योतिबा फुले का बचपन तमाम संघर्षों एवं कष्टों को सहते हुए बीता वे जब मात्र 9 माह के थेए उनकी मां का निधन हो गया, आर्थिक संकट के कारण उन्हें पिता के साथ खेतों में हाथ बंटाना पड़ता था, इसके लिए प्रारंभिक शिक्षा से भी विलग होना पड़ा, लेकिन उनके कुछ पड़ोसियों जो ज्योतिबा के कुशाग्र बुद्धि के कायल थे के सुझाव पर पिता ने उन्हें स्कॉटिश मिशन हाई स्कूल में प्रवेश दिलवाया, 12 वर्ष की आयु में उनका विवाह सावित्रीबाई से हो गया।
अखिल भारतीय कुशवाह समाज के जिलाध्यक्ष अवधेश कुशवाह ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले ने सामाजिक असमानता को जड़ से उखाड़ फेंकने की कसम खाई कि वे जानते थे कि जब तक समाज में महिलाओं को सम्मान नहीं प्राप्त होगा, निम्न जाति के लोगों को हेय दृष्टि से देखा जायेगा, समाज का समुचित विकास होना असंभव है और जब समाज कमजोर होगा तो देश कैसे सशक्त बन सकता है। इस अवसर पर इंजी.दिनेश कुमार ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई ने वर्ष 1848 में देश का पहला महिला विद्यालय शुरू किया।
सावित्री बाई देश की इस पहली महिला विद्यालय की पहली महिला अध्यापिका थी, यद्यपि उस दौर में लड़कियों को शिक्षा देने का प्रयास इतना आसान नहीं थाण् उनके इस भागीरथी प्रयास में उन्हें कदम.कदम पर विरोध और अपमान झेलने पड़ेण् लेकिन इससे ना ज्योतिबा का साहस डगमगाया ना ही सावित्रीबाई का. बल्कि उन्होंने कुछ समय के अंतराल पर ही दो और स्कूल खोले।
शिक्षा के साथ.साथ फुले दंपति ने विधवा के लिए आश्रमए विधवा पुनर्विवाह, नवजात शिशुओं के लिए आश्रम, कन्या शिशु हत्या के खिलाफ भी आवाज बुलंद किया। इस कार्यक्रम में अनिल कुशवाह, इंजी गिर्राज दुलहरा, परसादी पाल, एड्वोकेट ब्रजकिशोर धाकड़, केपी वर्मा, बनवारी शिवहरे, उत्तम जाटव, रामभरत धाकड़ आदि उपस्थित थे।
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