कृषि अभियांत्रिकीय विभाग द्वारा तेंदुआ में कृषक संगोष्ठी आयोजित
शिवपुरी-जिले में देखने में आ रहा है कि रबी फसलों की बुवाई के लिए डीएपी खाद को प्राथमिकता दे रहे हैं जबकि फसलों की बुवाई के लिए डीएपी की तुलना में सस्ता और अच्छा विकल्प रासायनिक खादों के बाजार में उपलब्ध हैं। उक्त जानकारी आज बुधवार को कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा विकासखंड कोलारस के यंत्र दूत चयनित ग्राम तेंदुआ में कृषक संगोष्ठी में वरिष्ठ वैज्ञानिक सस्य विज्ञान डॉ.एम.के.भार्गव ने कृषकों को दी।
उन्होंने कहा कि किसान भाई रबी फसलें-सरसों, अलसी, चना, मटर, मसूर एवं गेहूं इत्यादि फसलों की बुवाई के लिए समन्वित पोषक तत्व, प्रबंधन प्रणाली को अपनाये। डीएपी जैसी खादों के लगातार प्रयोग से भूमि फास्फोरस जैसे तत्वों की उपलब्धता होते हुए भी नहीं मिल पा रही है। रबी फसलों के लिए एनपीके 12:32:16 या 10:26:26 या अन्य संयोजनों का उपयोग कर रबी फसलों की बुवाई में करें तथा बुवाई करने से पहले बीजोपचार के लिए जैव उर्वरकों राइजोबियम दलहनी फसलों में, एजोटोबैक्टर अनाज वाली फसलों में तथा स्फूर घोलक जीवाणु (पीएसबी)सभी फसलों में 250 ग्राम प्रति 10 किलो बीज की दर से बीजोपचार करें तथा 2.3 किग्रा 50 किलो भुरभुरी मिट्टी/वर्मी कम्पोस्ट/नाडेप खाद में मिलाकर बुवाई से पूर्व 01 एकड़ मिट्टी में मिला दें जिससे प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन तथा पूर्व से स्थिर फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ जाती है। इससे उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग भी नहीं होगा और लागत व्यय पर भी कमी हो सकेगी।
वैज्ञानिक (पौध संरक्षण)डॉ.जे.सी.गुप्ता द्वारा रबी फसलों के बीजोपचार तथा टमाटर फसल में कीट.व्याधि नियंत्रण के बारे में तकनीकी जानकारी दी गई। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ.एस.पी.सिंह द्वारा किसानों से आग्रह किया है कि किसान डीएपी के पीछे न भागकर बाजार में उपलब्ध डीएपी के विकल्प सिंगल सुपर फॉस्फेट, एनपीके 12:32:16 या 10:26:26 आदि का वैज्ञानिकों की अनुशंसा के अनुरूप प्रयोग करके फसलों से भरपूर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
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