ग्राम मुढ़ैनी में जारी है संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा, कौरव-पाण्डव कथा से बताया धर्म का महत्वशिवपुरी-ग्राम मुढैनी में हनुमान मंदिर पर चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के दौरान पंडित श्री बाल योगी वासुदेव नंदनी भार्गव ने महाभारत की कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि अधर्म चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो जाए पर अस्तित्व सदैव धर्म का ही रहता है, कौरव कितने ही शक्तिशाली थे लेकिन जो ख्याति पांडवों की है, वह कभी कौरवों की नहीं हो सकती। धर्म के मार्ग में समस्याएं भले ही कितनी ही आते किंतु स्थापत्य हमेशा धर्म का ही रहता है, एक संकेत यह भी इस कथा में दिया है कि द्रोपदी ने पहले अपने पतियों को रक्षा करने के लिए कहा, लेकिन कोई उनकी रक्षा नहीं कर सका, लेकिन संसार से मुंह मोड़ कर जैसे ही द्रौपदी ने कृष्ण को पुकारा भगवान तुरंत आ गये, अत: हमें संसार से आस हो तो वह कामना का रूप ले लेती है वहीं भगवान से हो तो वही आस प्रेम का रूप ले लेती है। भागवत कथा के रसिक जन बड़ी संख्या में कथा का रसपान कर रहे हैं। दूर-दूर से पधारे रहे भक्तों का यजमान मुकेश, दीवान रावत परिवार द्वारा स्वागत किया जा रहा है।
ग्राम मुढ़ैनी में जारी है संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा, कौरव-पाण्डव कथा से बताया धर्म का महत्वशिवपुरी-ग्राम मुढैनी में हनुमान मंदिर पर चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के दौरान पंडित श्री बाल योगी वासुदेव नंदनी भार्गव ने महाभारत की कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि अधर्म चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो जाए पर अस्तित्व सदैव धर्म का ही रहता है, कौरव कितने ही शक्तिशाली थे लेकिन जो ख्याति पांडवों की है, वह कभी कौरवों की नहीं हो सकती। धर्म के मार्ग में समस्याएं भले ही कितनी ही आते किंतु स्थापत्य हमेशा धर्म का ही रहता है, एक संकेत यह भी इस कथा में दिया है कि द्रोपदी ने पहले अपने पतियों को रक्षा करने के लिए कहा, लेकिन कोई उनकी रक्षा नहीं कर सका, लेकिन संसार से मुंह मोड़ कर जैसे ही द्रौपदी ने कृष्ण को पुकारा भगवान तुरंत आ गये, अत: हमें संसार से आस हो तो वह कामना का रूप ले लेती है वहीं भगवान से हो तो वही आस प्रेम का रूप ले लेती है। भागवत कथा के रसिक जन बड़ी संख्या में कथा का रसपान कर रहे हैं। दूर-दूर से पधारे रहे भक्तों का यजमान मुकेश, दीवान रावत परिवार द्वारा स्वागत किया जा रहा है।
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