भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा जिला इकाई ने मनाया भारतीय जनसंघ का 70 वाँ स्थापना दिवसशिवपुरी-21 अक्टूबर 1951 को 10 सदस्यों की उपस्थिति दिल्ली में भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा की गई, भारतीय जनसंघ के 1952 में 2 सांसद लोकसभा में जीते और उसके बाद जनसंघ की उपस्थिति हर जगह बढऩे लगी कई स्थानों पर पार्टी की पहचान कायम करने के लिए यह जानते की हारेगे, जमानत जब्त होगी, परन्तु सिद्वांतो एवं नीतियों को जनता के बीच अपना पक्ष रखकर पार्टी के प्रति विष्वास कायम करने का काम पार्टी ने किया।
भारतीय जनसंघ के इस स्थापना पर प्रकाश डाल रहे थे भाजपा के वरिष्ठ नेता यषवंत जैन (भाजपा के पूर्व कार्यालय मंत्री) ने जो स्थानीय रोटरी चौक के समीप स्थित पार्क में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा जिला इकाई के द्वारा मनाए जा रहे जनसंघ के 70वें स्थापना दिवस के अवसर पर जनसंघ की स्थापना और अतीत को लेकर अपने विचार प्रकट कर रहे थे। इस अवसर पर यह आयोजन भा.ज.पा. अनुसूचित जनजाति मोर्चा अध्यक्ष डॉ. महेश आदिवसी (पूर्व जिला पंचायत सदस्य) के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर डॉ.महेश आदिवासी प्रांतीय सचिव अ.भा.आदिवासी विकास परिषद, यशवन्त जैन पूर्व कार्यालय मंत्री भा.ज.पा.,प्रहलाद सिंह आदिवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य, बृजलाल आदिवासी ठकुरपुरा, प्रहलाद आदिवासी, कम्पाबाई, किरन आदिवासी, पूजा, रामबेटी, अनीता, कुसुम, सुमन, मुन्नी, सखी, कला आदिवासी, बीद्या, मीरा, सुशीला, गुडिय़ा, रामस्ती, रीना, मीना ग्राम करई पंचायत करई बैकुन्डी, आदिवासी, भागिती ग्राम कलोथरा आदि मौजूद रहे।
इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत जैन (भाजपा के पूर्व कार्यालय मंत्री) ने कहा कि कांग्रेस की नीतियों का विरोध करते 1975 में आपातकाल जैसा देश के सभी राजनैतिक दलों के नेताओं को जेल जाना पड़ा राजनैतिक सामाजिक दायित्वों को कुचला गया 25 जून जो काला दिवस साबित हुआ प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाँधी की दमननीति का विरोध करते सारा विपक्ष एक हो गया। 1977 में आपातकाल की ज्यागती के खिलाफ जनता में भारी आक्रोष था उस समय विपक्षी दल के नेताओं की रिहाई के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया, भारतीय जनसंघ ने अपनी पार्टी का नाम व चुनाव चिन्ह का विलय जनता पार्टी में कर दिया। उसमें जय प्रकाश नारायण की आवाज पर सारा विपक्ष एक हो गया था।
इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत जैन (भाजपा के पूर्व कार्यालय मंत्री) ने कहा कि कांग्रेस की नीतियों का विरोध करते 1975 में आपातकाल जैसा देश के सभी राजनैतिक दलों के नेताओं को जेल जाना पड़ा राजनैतिक सामाजिक दायित्वों को कुचला गया 25 जून जो काला दिवस साबित हुआ प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाँधी की दमननीति का विरोध करते सारा विपक्ष एक हो गया। 1977 में आपातकाल की ज्यागती के खिलाफ जनता में भारी आक्रोष था उस समय विपक्षी दल के नेताओं की रिहाई के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया, भारतीय जनसंघ ने अपनी पार्टी का नाम व चुनाव चिन्ह का विलय जनता पार्टी में कर दिया। उसमें जय प्रकाश नारायण की आवाज पर सारा विपक्ष एक हो गया था।
केन्द्र एवं राज्यों में जनता पार्टाी की सरकारें बनी केन्द्र में मुरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने उस सरकार में भारतीय जनसंघ को ऐसे दो केबिनेट, एक राज्यमंत्री बनाया जिसमें अटलबिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण अड़वानी केबिनेट एवं बृजलाल वर्मा राज्यमंत्री बनाये गये। पद लोलुकता के कारण जाटनेता चरणसिंह द्वारा 1980 में जनता पार्टी में जनसंघ पार्टी पर दोहरी सदस्यता का आरोप लगाकर पार्टी को तोडऩे का काम किया। वहीं जनसंघ के सांसद एवं मंत्रियो को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से समाजवादी, लोकदल संबंध विच्छेद पर अड़े परन्तु जनसंघ घटक के सदस्यों ने सदस्य संख्या अधिक होने पर भी मंत्री बढ़ाने का कोई दबाव नहीं बनाया परन्तु लोकदल नेता चौधरीचरण सिंह ने 1980 में जनता पार्टी तोड़कर स्वयं प्रधानमंत्री बनने के सपने को पूरा करने का कार्य किया।
No comments:
Post a Comment