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Shishukunj

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Sunday, September 19, 2021

स्व.अखिल बंसल की कविता 'ये देखो मुह फाड़े यहां कौन आ गया, मुझे बताओ कि मेरी रोटी कौन खा गयाÓ


स्वर्गीय अखिल बंसल की जयंती वृक्षारोपण व काव्य गोष्ठी आयोजित कर मनाई

शिवपुरी-होनहार कवि अल्पायु में ही परलोक गमन करने वाले कवि डॉ अखिल बंसल की 42 वी जयंती अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा वृक्षारोपण व काव्य गोष्ठी स्थानीय पटेल पार्क पर आयोजित कर मनाईएइस अवसर पर सभी कवियों ने अखिल बंसल की कविताओं का पाठ किया व उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। 

सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ माँ शारदे व अखिल बंसल के चित्र के आगे दीप प्रज्वलित कर पुष्प अर्पित कर हुआ, तत्पश्चात कार्यक्रम संयोजक व अखिल भारतीय साहित्य परिषद शिवपुरी के जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने अखिल बंसल द्वारा लिखित सरस्वती वंदना माता तू सरस्वती, तू है वीणावादिनी, हम शिशु है तेरे तू है, हम सभी की पालिनी से विधिवत कार्यक्रम प्रारम्भ किया। नगर के चिकित्सक व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ एच पी जैन ने सर्वप्रथम स्वर्गीय अखिल बंसल के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बचपन से अत्यंत मेधावी, हर कार्य मे निपुण व सभी के प्रति समभाव रखने वाले डॉ अखिल बंसल थे, उनका अल्पायु में जाना निश्चित ही शिवपुरी के साहित्य जगत के लिए गहरी ठेस है।

शासकीय महाविद्यालय में विधि के प्राध्यापक दिग्विजय सिंह सिकरवार ने इस अवसर पर कहा कि अखिल भाई अपार संभावनाओं से भरे हुए थेएअल्पायु में ही उनने साहित्यिक क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुकून शिवपुरी ने इस अवसर पर देते रहना उम्मीदों के पेड़ों को पानी, ये फूल तुमको ही चखना है, हम कितने दिन है सुना नौजवानों को एक संदेश दिया। 

राजेश गोयल रजत ने सहरियाओं पर लिखी अखिल बंसल की कविता ये देखो मुह फाड़े यहां कौन आ गया, मुझे बताओ कि मेरी रोटी कौन खा गया, प्रस्तुत की। कार्यक्रम में रामदयाल जैन व अशोक अग्रवाल ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन आशुतोष शर्मा ने तो आभार ज्ञापित डॉ डी के बंसल ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम में स्वर्गीय अखिल बंसल की स्मृति में पटेल पार्क में पौधे भी रोपे गए।

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