आर्य समाज मंदिर में आयोजित श्रीकृष्ण कथा में श्रीकृष्ण बाल लीला व युवावस्था का किया बखानशिवपुरी-आज के समय में यदि मनुष्य भगवान श्रीकृष्ण के चित्र की पूजा करें तो इससे अच्छा है कि वह श्रीकृष्ण के चित्र की नहीं बल्कि उनके चरित्र को पूजें और उसे अपने जीवन में धारण करें तभी यह मानव जीवन का कल्याण हो सकता है, श्रीकृष्ण ने अपनी बाल्यकाल अवस्था में ही जब दुराचारियों और अताताईयों का अंत कर दिया तब उसी योगीराज कृष्ण ने युवा वस्था में कंस जैसे दुराचारी का अंत कर मथुरा को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई,
ऐसे योगीराज कृष्ण के जीवन से प्रेरणा लें और अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर उसे प्राप्त करने का प्रयास करें, हमेशा अपने स्वाभिमान के प्रति सजग रहें और जीवन में दूसरों के लिए कुछ कर सके वह कार्य करें, श्रीकृष्ण ने अपना जीवन हमेशा दूसरों के लिए समर्पित किया है। योगीराज श्रीकृष्ण की इस गौरवगाथा का अपने प्रवचनों के माध्यम से बखान किया प्रसिद्ध वेदकथा वाचक दीदी अंजलि आर्या ने जो स्थानीय आर्य समाज मंदिर में आयोजित श्रीकृष्ण कथा का रसपान उपस्थित श्रोताओं को अपने मुखराबिन्द से करा रहीं थी।
इस अवसर पर आर्य समाज के समीर गांधी के द्वारा दीदी अंजलि आर्या का कथा प्रारंभ से पूर्व स्वागत किया गया। इस अवसर पर कथा के आयोजक नमन विरमानी, गौरव अग्रवाल, विजय सिंघल आदि के साथ समस्त आर्य समाजजनों ने प्रात: के समय यज्ञ किया तत्पश्चात दीदी अंजलि आर्या के आर्शीवचनों का लाभ प्राप्त किया। आर्य समाज मंदिर में प्रात 8 बजे से 10 बजे एवं सायं 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक आयोजित श्रीकृष्ण कथा में पहुंचकर श्रद्धालुओं से श्रीकृष्णा कथा धर्मलाभ प्राप्त करने का आह्वान किया है।
भजन-उपदेशो से बताई श्रीकृष्ण की महिमा
आर्य समाज मंदिर में आयोजित श्रीकृष्णकथा का वाचन करते हुए दीदी अंजलि आर्या ने भजन-उपदेशों के माध्यम से श्रीकृष्ण कथा का वाचन किया जिसमें श्रोताओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। यहां दीदी ने श्रीकृष्ण को लेकर भजन ...सुनी हो गयी ये भारत माता की गोपी रे घनश्याम...अरे ओ गोपी रे घनश्याम, सुर्दशन धारी आ जाए, ओ कृष्णमुरारी आ जा...को लेकर वर्तमान समय में श्रीकृष्ण की उपस्थिति का आह्वान किया। इसके अलावा दीदी अंजलि आर्या ने श्रीकृष्ण कथा से संबंधित कई तरह की जिज्ञासाओं का भी बड़े सरल तरीके से उसका समाधान किया और कथा के दौरान छोटे-छोटे उदाहरणों और कहानियों के माध्यम से ईश्वरीय कृपा का आभास भी कराया।
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