आर्य समाज मंदिर में श्रीकृष्ण की रोचकपूर्ण जानकारी देकर कई भिन्नताओं को किया दूरशिवपुरी-इस संसार में जब योगीराज श्रीकृष्ण जन्मे थे तब उनका एक ही उद्देश्य था कि धर्म की स्थापना किस प्रकार से हो, अपने बाल्यकाल से लेकर युवावस्था तक उन्होंने अनेकों ऐसे कार्य किए जिससे धर्म की स्थापना हो, योगीराज कृष्ण की नीतियों का पालन करें उन पर चलें, इन नीतियों पर चलकर ही महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज, सरदार बल्लभ भाई पटेल और महर्षि दयानन्द भी रहे जिन्होंने योगीराज के बताए मार्ग पर चलकर धर्म की स्थापना के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। धर्म की स्थापना का यह मार्ग प्रशस्त किया दीदी अंजलि आर्या ने जो स्थानीय आर्य समाज मंदिर में आयोजित श्रीकृष्ण कथा प्रसंग के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं का जीवन कल्याण करने का मार्ग बात रही थी।
इस अवसर पर कथा के दौरान कथा आयोजक नमन विरमानी की वैवाहिक वर्षगांठ के अवसर पर दीदी अंजलि आर्या के द्वारा वैदिक परंपराअनुसार विवाह वर्षगांठ की शुभकामनाऐं दी और पति-पत्नि के साथ जीने वाले जीवन के बारे में भी बताया। यहां विशेष यज्ञ भी आज किया गया।
इस अवसर पर कथा आयोजक गौरव अग्रवाल, विजय सिंघल सहित आर्य समाज के समीर गांधी, हनी हरियाणी, मनोज सोनी, कपिल मंगल, विशाल भसीन, गगन अरोरा, मनीष हरियाणी, विनोद अग्रवाल सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे जिन्होंने कथा में श्रीकृष्ण कथा का धर्मलाभ प्राप्त किया। इस दौरान कथा में योगीराज श्रीकृष्ण की रोचकपूर्ण जानकारी देकर दीदी अंजलि आर्या ने श्रोताओं की कई प्रकार की मत भिन्नताओं को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से दूर किया।
संस्कारों की नींव मजबूत करता है आर्य समाज
श्रीकृष्ण कथा का वाचन कर रही दीदी अंजलि आर्या ने आर्य समाज पर प्रकाश डालते हुए उपस्थितजनों को बताया कि आर्य समाज में आने वाले हरेक व्यक्ति नींव संस्कारों से मजबूती होगी, आर्य समाज की पद्वतियों ने हमेशा हवन-यज्ञ करना सिखाया है ताकि धर्म की स्थापना हो सके। आर्य समाज में वेदों का ज्ञान हासिल किया जाता है और यही वेद मानव जीवन का कल्याण करते हैं। उन्होंने समस्त आर्यजनों व उपस्थितजनों से आह्वान किया कि वह अपने-अपने बच्चों को आर्य समाज जरूर भेजें जिससे वह धर्म,ज्ञान प्राप्त कर सकें।
No comments:
Post a Comment