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Friday, September 17, 2021

बच्चों को स्कूल भेजने से पहले माता-पिता की नसीहत


बहुत दिनों बाद तुम स्कूल जाओगे, हम हर समय तुम्हारा ख्याल नहीं रख सकते, मास्क लगाकर और दूरी बनाकर रहना

शिवपुरी-सरकार ने बच्चों की शिक्षा और भविष्य पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए नियम और शर्तों के आधार पर स्कूलों को खोलने की इजाजत दे दी। जिसमें बच्चे को स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों की सहमति को अनिवार्य किया गया है। पैरेंट्स भी यह समझ चुके थे कि ऑनलाइन पढ़ाई महज मानसिक संतुष्टि है क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई के चलते अधिकतर बच्चों को मोबाइल की लत लग चुकी है, उनके व्यवहार में बदलाव हुआ है। अधिक समय तक मोबाइल स्क्रीन पर नजर रखने से उनकी आंखों पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। उक्त नसीहत अभिभावकों के विचारों के माध्यम से व्यक्त किए महिला बाल विकास विभाग के बाल संरक्षण अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा ने जिन्होंने स्कूल खुलने के दौरान कई तरह की सावधानियों बरतने की अपील बच्चों व उनके अभिभावकों से की।

 श्री शर्मा ने बताया कि अधिकतर अभिभावकों ने विद्यालय प्रवंधन को लिखित सहमति तो दे दी है, पर संभावित तीसरी लहर का खौफ उनके मन में जरूर है। अधिकतर माताएं अपने बच्चों को सुरक्षा के लिए सजग रहने की नसीहत दे रहीं हैए कि बहुत दिनों बाद तुम स्कूल जाओगे। मैं हर समय तुम्हारा ख्याल नहीं रख सकती। तुम्हें खुद ही सजग रहना पड़ेगा। मास्क लगाकर और दूरी बनाकर रहना। स्कूल वैन से उतरने और दूसरों की किसी भी बस्तु को छूने के बाद अपने हाथों को सेनेटाइज जरूर करना।

- महामारी से बचाव के साथ बच्चों के लिए शिक्षा भी जरूरी है

बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा का कहना है कि, बच्चों को स्कूल जाकर जो समग्र शिक्षा प्राप्त होती है,ऑनलाइन पढ़ाई उसका विकल्प नहीं है। बच्चे स्कूल में अन्य बच्चों के संपर्क में आकर जीवन के महत्वपूर्ण आयामों- मानसिक, शारिरिक और भावनात्मक पहलुओं के बारे में सीखते और समझते है,जो ऑनलाइन पढ़ाई से संभव नहीं है। दूसरी बात ऑनलाइन पढ़ाई सिर्फ उन बच्चों के लिए उपयोगी हो सकती है,जिनके घरों में उन्हें पढ़ाने- समझाने वाला कोई व्यक्ति है। गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों का ऑनलाइन पढ़ाई में ज्यादा नुकसान हुआ,क्योंकि उनमें कुछ के पास इंटरनेट और मोबाइल नहीं थे तथा अधिकांश बच्चों को घरों में पढ़ाने वाला कोई व्यक्ति भी नहीं था। महामारी से बचाव के साथ बच्चों के लिये शिक्षा भी जरूरी है। 

- सेहत और शिक्षा के धर्मसंकट में अभिभावक

   बच्चों को स्कूल न भेजने से उनकी शिक्षा पर प्रतिकूल असर हो रहा है और भेजने से सेहत खराब होने का अंदेशा है। हालांकि अधिकतर परिजन सजगता की सीख देकर आशंकित मन से बच्चो स्कूल भेजने को सहमत है। बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजना, न भेजना यह निर्णय अभिभावकों को लेना है। परंतु बच्चों को मास्क, दूरी और धुलाई का पाठ सिखाना जरूरी है।

- घर में कोई संक्रमित हो तो बच्चों को नहीं भेजें  

अधिकारी शर्मा ने सुझाव दिया कि बच्चे के स्कूल जाने के दौरान यदि उसमें या परिवार के किसी अन्य सदस्य में संक्रमण के सामान्य लक्षण- बुखार,खांसी,सांस लेने में तकलीफ,थकान,नाक बहना,गले मे खरास,दस्त या स्वाद में कमी जेसे लक्षण दिखाई दें,तो उसे स्कूल भेजने की गलती न करें। यह गलती अन्य बच्चों को भी प्रभावित कर सकती है। विद्यालय प्रवंधन को भी स्वास्थ विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करना चाहिए।

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