ग्राम जाफरपुर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा संपन्नशिवपुरी-ईश्वर ने हमेशा अपनी लीलाओ में मानव प्राणी को कोई ना कोई संदेश दिया है और यही कारण है कि मित्रता की पहचान और जीवन में कैसे मित्र होने चाहिए इसके लिए ही सुदामा-कृष्ण मित्रता इसका अनूठा उदाहरा है कि जब भगवान स्वयं अपने मित्र के लिए राजपाट छोड़ उस गरीब सुदामा को लेने ना केवल द्वार पर जाते है बल्कि उसके चरण धोकर सिर माथे लगाते है ऐसे मित्र हमेशा जीवन में होना चाहिए ताकि मित्र आपके सुख-दु:ख में हमेशा सहभागी रहे।
मित्रता की इस परिभाषा को परिभाषित किया पं.कृष्णकांत ने जो स्थानीय ग्राम जाफरपुर में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्णा-सुदामा चरित्र बखान करते हुए जीवन में कैसे होन चाहिए मित्र को लेकर प्रवचन दे रहे थे। इस अवसर पर ग्राम जाफरपुरवासियों ने पं.कृष्णकांत की सुमधुर वाणी से श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया और अंत में सभी ने मिलकर भण्डारा प्रसादी पाते हुए श्रीमद् भागवत कथा को विराम देकर समापन किया। इस दौरान श्रीकृष्ण-सुदामा के भाव भरे गीतों पर स्थानीय ग्रामीणजन भावविभोर होकर नाचते-गाते हुए कृष्ण-सुदामा मित्रता का स्मरण कर रहे थे।
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