परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाए लापरवाही के आरोप, अस्पताल प्रबंधन ने बकाया राशि नहीं देने पर रोका शवशिवपुरी-एक ओर कोरोना जैसी मार दूसरी ओर चिकित्सकों और निजी अस्पताल की मृत संवेदनाओं ने मानव जीवन को संकट में डाल दिया है। यही कारण है कि निजी अस्पताल एम.एम.हॉस्पिटल में एक आदिवासी युवक की मौत को लेकर जहां परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर उपचार में लापरवाही के आरोप लगाए तो वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन ने मृत युवक का शव देने से इसलिए इंकार कर दिया क्योंकि उपचार को लेकर शेष राशि बकाया थी इसे लेकर काफी-हो-हंगामा हुआ और परिजन अस्पताल के बाहर ही बैठ गए, बाद में जब परिजनों का आक्रोश बढ़ा तो अस्पताल को मृतक का शव देना पड़ा। खास बात यह है कि इस पूरे मामले में निजी अस्पताल प्रबंधन ने भी स्वयं स्वीकार किया है कि उन्होंने दवा और ऑक्सीजन के पैसो की मांग परिजनों से की थी और राशि नहीं दी इसलिए मृतक का शव रोके रखा हालांकि बाद में परिजनों का हंगामा देख शव परिजनों के सुपुर्द किया गया।
32वर्षीय नव युवक को सीने में दर्द होने के चलते किया था भर्ती, बाद में हुई मौत
बताया गया है कि रविवार सुबह 32 साल के केदार आदिवासी के सीने में दर्द होने पर परिवार वाले उसे एमएम हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। यहां इलाज के दौरान उसने करीब प्रात: 10 बजे दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद मृतक की बहन उर्मिला का आरोप है कि इलाज में लापरवाही बरती गई, इसी कारण उसके भाई की जान चली गई और इसके बाद भी डॉक्टर उसे ऑक्सीजन लगाते रहे। मौत के बाद भी जब परिजनों ने शव भी ले जाने का प्रयास किया तो परिजनों को रोक लिया। अस्पताल प्रबंधन का कहना था पहले बकाया बिल भरो फिर शव लेकर जाना। वहीं मृतक की बहिन उर्मिला का कहना है कि अस्पताल प्रशासन ने 10 हजार की मांग की थी, जबकि 5 हजार रुपए हम पहले ही जमा कर चुके थे। बाबजूद इसके शव नहीं ले जाने दिया और परिजनों ने अस्पताल के मुख्य द्वार पर ही हंगामा शुरू कर दिया। जिसे देख बाद अस्पताल प्रबंधन ने बाद में करीब 3 घंटे बाद शव को परिजनों के सुपुर्द किया गया।
अस्पताल प्रबंधन ने पुलि को आवेदन दे पीएम करवाने के साथ की जांच की मांग
इस घटन के बाद एमएम अस्पताल प्रबंधन ने कोतवाली पुलिस को एक आवेदन सौंपा है जिसमें मृतक की स्थिति का ब्यौरा देते हुए उसका पीएम करवा कर मामला जांच में लेने का उल्लेख किया है।
इनका कहना है-
मृतक का इलाज एमएम अस्पताल में किया गया और यह निजी अस्पताल है यहां उपचार के दौरान दवाइयों का 4 हजार 250 और ऑक्सीजन के 2 हजार रुपए शेष थे जिसकी हमने परिजनों से मांग की।
डॉ.आर.पी. सिंह
संचालक, एम.एम.हॉस्पिटल, शिवपुरी
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