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Thursday, September 9, 2021

कोविड-19 की गाईड लाईन के बीच श्रीगणेश महोत्सव की भव्य शुरूआत आज से



आज घर-घर विराजेगे श्री गणेश : पं.लक्ष्मीकांत शर्मा

शिवपुरी- शहर में कोविड-19 की गाईड लाईन के बीच भव्य श्रीगणेश महोत्सव की शुरूआज आज 10 सितम्बर से होने जा रही है जहां घर-घर श्रीविघ्नहर्ता श्रीगणेश की स्थापना की जाएगी और लगातार 10 दिनों तक श्रीगणेश महोत्सव कार्यक्रमों का आयेाजन होगा। 

इस दौरान जानकारी देते हुए मंशापूर्ण मंदिर के पुजारी पं.लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है इस वर्ष चतुर्थी तिथि गुरुवार की रात्रि 12:18 से प्रारंभ होकर आज  शुक्रवार को   रात्रि में 9:57 तक है। पं.लक्ष्मीकांत शर्मा मंशापूर्ण मंदिर के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र विघ्नहर्ता श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को हुआ था भगवान गणपति के जन्म उत्सव के दिन उनकी विशेष पूजा होती है बे भक्तों से प्रसन्न होकर उनके दुखों का नाश करते हैं और उनकी समस्त इच्छाओं को पूर्ण करते हैं प्रत्येक कार्य में प्रथम पूज्य गणेश जी का यह उत्सव 10 दिन तक चलता है।

बन रहा रवियोग
वहीं गणेश चतुर्थी पर इस बार रवियोग में पूजन होगाण् लंबे समय बाद इस बार चतुर्थी पर चित्रा.स्वाति नक्षत्र के साथ रवि योग का संयोग बन रहा है, चित्रा नक्षत्र दोपहर में 12:57 बजे तक रहेगा और इसके बाद स्वाति नक्षत्र लगेगा आज सूर्य उदय से दोपहर 12:57 तक  रवियोग रहेगाए जो कि उन्नति को दर्शा रहा है। इस शुभ योग मैं गणपति पूजा भक्तों को सुख समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करेगी।

गणेश स्थापना मुहूर्त
भारतीय मानक समय के अनुसार शिवपुरी के स्थानीय समय से श्री गणेश स्थापना एवं पूजन मुहूर्त दोपहर में 12:00से 1:30तक अभिजीत मुहूर्त के साथ वृश्चिक लग्न शुभ की चौघडयि़ा के साथ मध्यकाल रहेगा जो  गणेश स्थापना के लिए सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त है। इसके अलावा आप प्रात: 7:37 से 9:10 तक लाभ की चौघडयि़ा 9:10 से 10:43 तक अमृत और साय काल 5:55 से 6:19 तक गोधूलि लग्न में भी गणेश स्थापना कर सकते हैं।

चंद्र दोष कलंक चतुर्थी
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन मिथ्या कलंक देने वाला होता है इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन करना मना है इस चतुर्थी को कलंक चौथ के नाम से भी जाना जाता है कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण भी इस तिथि पर चंद्र दर्शन करने के पश्चात कलंक के भागी बने।

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