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Saturday, May 8, 2021

एक गुरू के सिद्धांतवादी शिष्य डा.ए.के.मिश्रा का आकस्मिक देहावसान


शहर में छाई शोक की लहर, हर किसी ने जताई शोक संवेदना, डॉक्टर नहीं भगवान का दर्जा रखते हुए थे डॉ.मिश्रा

-राजू यादव (ग्वाल)/राम यादव-

शिवपुरी- सदैव दूसरों की सेवा और अपने गुरू परम आदरणीय स्व.डॉ.चन्द्रपाल सिंह सिकरवार के सिद्धांतों पर चलकर कार्य करने वाले सरल, सहज, मृदुभाषी व्यवहार के धनी और सदैव हर किसी के लिए समर्पित रहने वाले राजपुरा रोड़ पुरानी शिवपुरी निवासी और पुरानी शिवपुरी में प्रसिद्ध मिश्रा क्लीनिक के संचालक सेवाभावी डा.ए.के.मिश्रा का आकस्मिक देहावसान की खबर जिसने भी सुनी वह अवाक सा रहा गया। 

पुरानी शिवपुरी क्षेत्र में लंबे समय से क्लीनिक चलाने वाले और सेंट झेवियर्स स्कूल के संचालक व शहर के वरिष्ठ लेखक डॉण् एके मिश्रा का शनिवार की सुबह ग्वालियर के विरला हॉस्पिटल में कोरोना से निधन हो गया। श्री मिश्रा हाल ही में कोरोना से संक्रमित हुए थे और उनकी लगातार हालत बिगडऩे के बाद परिजन उन्हें ग्वालियर ले गए। जहां उनका इलाज चल रहा था। लेकिन शनिवार सुबह उनकी हालत इतनी बिगड़ गई कि डॉक्टर भी जबाव दे गए और अंत में उन्होंने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया।

 डॉ.मिश्रा शहर के ख्यातिनाम लोगों में शुमार थे और वह हमेशा समाजसेवा में अग्रणी रहते थे। वह व्यवहार कुशल होने के साथ-साथ लोगों की हर हद तक मदद करते थे। उनकी क्लीनिक पर गरीबों को नि:शुल्क इलाज के साथ-साथ निशुल्क दवाएं भी मिलती थी। इस कारण क्षेत्र मेें उनका काफी अधिक सम्मान था। डॉक्टरी के पेशे के साथ-साथ वह ग्वालियर से संचालित एक दैनिक समाचार पत्र में भी कार्यरत थे। जिसमें छपे उनके लेख काफी पसंद किए जाते थे। 

श्री मिश्रा अधिमान्य पत्रकार भी थे एवं जनप्रतिनिधियों ने शोक संवेदनाएं व्यक्त की। सोशल मीडिया पर हर किसी ने उन्हें नम आंखों से उनकी स्मृति को संजोते हुए भावभीनी विदाई दी और कहा कि डा.मिश्रा आप हमेशा यादव आओगे। इस दु:खद घटना से पूरे शहर में शोक की लहर छा गई। एक ऐसी शख्सियत जिसने हमेशा सर्वहारा वर्ग की भलाई का कार्य किया हो और वह आकस्मिक रूप से इस कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी की चपेट में आकर बाहर ना निकल पाए और हम सब को छोड़कर इस दुनिया को अलविदा कह गए।

पुरानी शिवपुरी ही नहीं बल्कि दूर-दराज के ग्रामीण अंचलों के जब ग्रामीाजन शहर में पुरान शिवपुरी की इस प्रसिद्ध मिश्रा क्लीनिक पहुंचते तो वह यहां एक चिकित्सक के पास नहीं बल्कि भगवान के पास आते थे ऐसे में यहां अक्सर लोग उन्हें डाक्टर नहीं भगवान का दर्जा देकर दुआऐं देते बाबजूद इसके आज यह चिकित्सा रूपी भगवान असमय काल के गाल में समा गया। जिस पर किसी को विश्वास ही नहीं रहा।

प्रो.सिकरवार के सिद्धांतों पर चलकर जिया जीवन

डॉ.मिश्रा मध्यप्रदेश शासन से अधिमान्य पत्रकार थे और शिवपुरी की व्यवस्थाओं को लेकर वह अक्सर लिखा करते थे। चिकित्सा और दवाईयों के साथ साथ वह शिवपुरी के बडे मुद्दों पर वह हमेशा कलम चलाते रहते थे। डॉ.मिश्रा मूलरूप से जबलपुर के रहने वाले थे और वह अपने गुरू शिक्षाविद प्रोफेसर सिकरवार के सिद्धांतो पर चलने का प्रयास करते थे और यह सिंद्धात उनके क्लीनिक पर प्रतिदिन दिखता था, उनके क्लीनिक पर सैकडों लोग अपना इलाज कराने आते थे, उसमे से 70 प्रतिशत मरीज पुरानी शिवपुरी के गरीब लोग आते थे। 

लगभग प्रतिदिन आने वाले आधे मरीजों से वह फीस नही लेते थे, ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों से वह पूछ लेते थे कि इलाज कराने के बाद पैसा बचा है कि नहीं, खाना खाया कि नहीं, वापस कैसे जाऐगा, यह सवाल उनके अक्सर होते रहते थे। मैने स्वयं अक्सर कई मरीजों को दवा और पैसे देते उन्हें देखा हैं। वह अक्सर कहते थे कि भगवान इतना दे देता हैं कि मेरा परिवार का अच्छे से गुजरा हो जाता हैं, बस मरीजों की दुआएं मिलती रहीं काफी हैं। डॉ मिश्रा के लिए आज हर वह व्यक्ति रोया होगा जो उनसे परिचित था। उसका उदाहरण आज शहर की सोशल मीडिया पर दिखाए शहर के सैकड़ों लोगों ने उनको श्रद्धाजंलि पोस्ट की हैं और उसमें शहर का हर प्रकार का व्यक्ति था।

अंग्रेजी के अच्छे जानकार और शिक्षा के क्षेत्र में कर गुजरने की क्षमता रखते थे डॉ.मिश्रा

पुरानी शिवपुरी में मिश्रा क्लीनिक चलाने वाले डॉ.ए.के.मिश्रा अंग्रेजी विषय के अच्छे जानकार थे। वह शिक्षा के क्षेत्र भी कुछ कर गुजरनते की क्षमता रखते थे यही कारण रहा कि उन्होंने स्वयं चिकित्सक होकर बच्चों को शिक्षा प्रोत्साहन के लिए अपने गुरू शिक्षाविद प्रो.चन्द्रपाल सिंह सिकरवार का काम आगे बढाने उद्देश्य से सेंट झेवियर्स स्कूल का भी संचालन करते थे। जिसमें गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है। डॉ.मिश्रा मिश्रा शहर के ख्यातिनाम लोगों में शुमार थे और वह हमेशा समाजसेवा में अग्रणी रहते थे। वह व्यवहार कुशल होने के साथ-साथ लोगों की हर हद तक मदद करते थेएउनके दरवाजे से आज तक कोई भी खाली हाथ नही लोटा थाए उनका एकदम से श्रीहरि के चरणो में चले जाना शहर को छति हैं। उनके जिने की कलाएउनके कर्म और सिद्धांत एक ग्रंथ बन गया हैं।

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