44 ग्राम पंचायतों के लिए जारी हुई थी राशि, जांच दल की पकड़ में आया मामलापिछोर जनपद के ब्लॉक समन्यक को बताया दोषी, शौचालय के फर्जी भुगतान किए प्राप्त
शिवपुरी/पिछोर। जिले की जनपद पंचायत पिछोर में शौचालय निर्माण के नाम पर 1 करोड़ 44 हजार रुपए से अधिक का फर्जी भुगतान का मामला सामने आया है। यहां जनपद के ब्लॉक समन्वयक रामनिवास राजपूत ने ही इस घोटाले को अंजाम दिया है। बताया गया है कि यहां 837 लोगों के बनने वाले शौचालय निर्माण की राशि को गलत तरीके से ब्लॉक कॉर्डिनेटर द्वारा षडयंत्रपूर्वक 44 ग्राम पंचायतों के इन शौचालय निर्माण की राशि का गबन कर लिया। प्रत्येक शौचालय के लिए 12 हजार रूपये की राशि आवंटित की गई थी लेकिन पिछोर में 837 परिवार में बनने वाले शौचालय निर्माण केवल कागजों में ही दर्शाकर बना दिए गए और धरातल पर यहां एक भी शौचालय नजर नहीं आया।
जिम्मेदारों की अनदेखी के बिना नहीं हो सकता इतना बड़ा घोटाला
लेकिन सूत्र बताते है कि जिम्मेदारों के बिना इतना बड़ा घोटाला नहीं हो सकता क्योंकि शौचालय के हितग्राही, भवन के अंदर निर्माण, हितग्राही को प्राप्त राशि, अधिकारियों के द्वारा होने वाले प्रमाणित शौचालय बनने के बाद पूर्ण होना आदि को लेकर कहीं ना कहीं जिम्मेदारों की अनदेखी को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि एक अकेले ब्लॉक कोर्डिनेटर रामनिवास राजपूत द्वारा किया गया यह गबन का मामला अकेले तो नहीं किया जा सकताा इसमें कहीं ना कहीं विभाग के ही जिम्मेदारों की संलिप्तता हो सकती है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि भुगतान के लिए प्रदाय की जाने वाली राशि के लिए जनपद पंचायत सीईओ, जिला पंचायत सीईओ के अलावा अन्य अधीनस्थ अमले के जिम्मेदार अधिकारी भी होते है जो मॉनीटिरिंग, निरीक्षण व धरातल पर निर्माण कार्यों का जायजा लेते है और तब कहीं जाकर यह राशि स्वीकृत की जाती है लेकिन एकाएक ही एक वर्ष के अंदर 1 करोड़ 44 हजार रूपये की राशि के गबन का मामला इन दिनों जिले का यह मामला प्रदेश भर में सुर्खियों में आ गया और मामले की उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए ताकि मामले की परत दर परत खुले और दोषियों के खिलाफ उचित कार्यवाही हो।
यह है पूरा मामला
इस मामले में बताया गया है कि जिले की पिछोर जनपद की 46 ग्राम पंचायतों में शौचालय विहीन परिवारों के सर्वे के बाद संबंधित ग्रामीणों के घर शौचालय बनना थे और यहां स्वच्छ भारत मिशन के ब्लॉक समन्वयक रामनिवास राजपूत ने सितंबर 2020 से मार्च 2021 तक 1048 ग्रामीणों के यहां शौचालय बनना दर्शा दिए। बिना निर्माण के पोर्टल पर शौचालय बने प्रोत्साहन राशि जारी होने की भनक कुछ ग्रामीणों को लगी और उन्होंने अपने खाते दिखवाए तो कोई पैसा नहीं आया था। फिर सीएम हेल्पलाइन सहित जिला मुख्यालय पर अधिकारियों से लिखित शिकायत की। मामले की जांच कराई गई तो शुरुआती दौर में ही बड़ा घपला सामने आ गया।
चार सदस्यीय जांच दल हुआ गठित, की जांच
पिछोर के ग्रामीणों की प्रोत्साहन राशि दूसरे ब्लॉक के रहने वाले लोगों के बैंक खातों में जारी हुई है। इसमें अकेले बदरवास ब्लॉक में ही 500 से अधिक खातों में राशि जारी हुई है। मामले की जांच के लिए जनपद पिछोर में चार सदस्यीय दल गठित किया। खंड पंचायत अधिकारी आरके टैगर,मनरेगा के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी एनके शर्मा, सहायक लेखा अधिकारी वीणा मजेजी और पीएमएवाय के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर सोनपाल यादव के दल ने जांच की तो पता चला कि 1048 हितग्राहियों में से 837 बैंक खाते पिछोर क्षेत्र से बाहर के लोगों के हैं। साथ ही इंदौर, ग्वालियर और भिंड के बैंक खातों में फर्जी भुगतान करवाया गया।
इनका कहना है-
ब्लॉक समन्वयक रामनिवास राजपूत ने षड्यंत्र के तहत यह घपला किया है। मार्च 2021 से ही वह अनुपस्थित है। ग्रामीणों की जानकारी दर्ज करने से लेकर फोटो वेरीफाई का काम भी वही करता था। हमने पोस्ट ऑफिस से उसके घर नोटिस भिजवाए, जहां रहता था वहां नोटिस चस्पा कराए हैं। अब पुलिस थाने में भी मुकदमा दर्ज करा दिया है।
पुष्पेंद्र व्यास
सीईओ, जनपद पंचायत पिछोर
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