शिबपुरी-जिले में इन दिनों अवैध रूप से खनन माफिया अपने कारोबार को करने के लिए अवैध उत्खनन और परिवहन को बढ़ावा दे रहे हैं यही कारण है कि जिले की बेदमऊ खदान जो कि वन सीमा क्षेत्र में आती हैं वहां रेंजर डीएफओ के संरक्षण में इस रेत खदान से अवैध रूप से पत्थर का उत्खनन और परिवहन दोनों ही किया जा रहा है देखा जाए तो अक्सर प्लीज के स्थान पर समीपस्थ वन भूमि को निशाना बनाया जा रहा है आसपास की भूमि को खुद कर उसका दोहन किया जा रहा है और यह सब वन क्षेत्र में होने वाले और जिम्मेदार वन अधिकारियों की निगरानी के सामने ही खनन माफिया इसे अंजाम दे रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो वह दिन भी दूर नहीं जब वन सीमा क्षेत्र से वनों का नाश हो जाएगा और वनो में अवैध उत्खनन और परिवहन का बढ़ावा होने के चलते इस तरह के खनन माफिया वन अधिकारियों के संरक्षण में वनों की भूमि का दुरुपयोग करते हुए अपने मंसूबों को पूरा करेंगे। जिससे खनन के इस काले कारोबार में वन अधिकारी की चुप्पी साधना कही ना कहीं इन्हें संरक्षण देने के ही समान है।
बताया जाता है कि वेदमऊ क्षेत्र में अवैध उत्खनन और परिवहन को लेकर ट्रक मालिकों से रॉयल्टी के नाम पर मोटी रकम वसूलकर लाखों के बारे-न्यारे किए जा रहे है। बताया तो यहां तक जाता है कि इस अवैध धंधे को स्थानीय रसूखदारों की भागीदारी से अमलीजामा पहनाया जा रहा है जिस प्रकार से शासकीय भूमि की संपदा को खुर्द-बुर्द कर प्रतिदिन लाखों की अवैध वसूली की जा रही है तो दूसरी ओर इसकी जिम्मेदारी संभालने वाले ही इसकी अनदेखी कर अवैध उत्खनन और परिवहन के नाम पर अपनी जेबें भरने में लगे हुए है। सूत्रों का कहना है कि वेदमऊ क्षेत्र में जहां लीज खदान की है तो उसके समीप ही रिक्त वन भूमि को निशाना बनाया जाकर अवैध उत्खनन करते हुए उसका परिवहन धड़ल्ले से किया जा रहा है। इन हालातों में जिम्मेदार वन विभाग के अधिकारी भी मौन धारण किए हुए है ऐसे में प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं वन विभाग के जिम्मेदार ही इस काले कारोबार को संरक्षण देने में लगे हुए है। यदि औचक निरीक्षण कर वन भूमि के इस लीज खदान क्षेत्र को देखा जाए तो कई बीघा शासकीय भूमि को खनन माफियाओं ने अपने कब्जे में लेकर खोद डाला है और उस वन भूमि को निशाना बनाकर वहां से खनिज निकालकर उसक परिवहन तक कर दिया है। इन हालातों में वन माफियाओं की विभाग के ही जिम्मेदारों से सांठगांठ होकर इस काले कारोबार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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